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हजारीबाग से सुभाष चंद्र बोस का गहरा नाता, यहीं से दिया था अंग्रेजों के खिलाफ पहला भाषण - दिल्ली टू रंगून यात्रा

हजारीबाग कई मामलों में ऐतिहासिक महत्व रखता है. हजारीबाग की धरती कई स्वतंत्रता सेनानियों की गवाह स्थली रही है. यहां से कई स्वतंत्र सेनानियों ने देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाई है. ऐसे में हजारीबाग से सुभाष चंद्र बोस का विशेष लगाव रहा है. जिन्होंने हजारीबाग में आकर अंग्रेजो के खिलाफ बिगुल फूंका था. देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

Subhash Chandra Bose  gave first speech against the British from Hazaribag
फाइल फोटो
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Published : Jan 23, 2020, 12:34 PM IST

हजारीबाग: जिला से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का खास संबंध रहा है. हजारीबाग के केशव हॉल मैदान परिसर से उन्होंने 21 मार्च 1940 को अंग्रेजों के खिलाफ अपना पहला भाषण दिया था, दरअसल रामगढ़ अधिवेशन समाप्त होने के बाद वे हजारीबाग पहुंचे थे. उस वक्त हजारीबाग में बांग्ला समाज कि बहुलता थी, उन लोगों ने उन्हें यहां आमंत्रण दिया था.

देखें पूरी खबर

आमंत्रण स्वीकार करने के बाद वे हजारीबाग के घोष लॉज में रात्रि विश्राम किए और सुबह 21 मार्च को बड़ी जनसभा को संबोधित किया. इस बात की जानकारी आज हजारीबाग में एक कार्यक्रम के दौरान यूनियन क्लब के सदस्य ने दी है. उन्होंने कहा कि केशव हॉल एक ऐतिहासिक भूमि है और हमें याद दिलाती है कि हजारीबाग के लोगों ने किस तरह देश की आजादी में अपना अहम भूमिका निभाया है.

जानकारी देते उपायुक्त और बुजुर्ग

इस कारण हर साल सुभाष चंद्र बोस जयंती के अवसर पर यहां कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, दिल्ली टू रंगून यात्रा की जाती है. जिसमें स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राएं हिस्सा लेती हैं. उनका यह भी कहना है कि रामगढ़ अधिवेशन के बाद पहला भाषण उन्होंने हजारीबाग के केशव हॉल मैदान में दिया है, जिसकी जानकारी उनके पिता देते हैं.

Subhash Chandra Bose  gave first speech against the British from Hazaribag
क्लब

ये भी देखें- रिटायर्ड डीवीसी कर्मचारी के घर चोरी, 2.80 लाख नगद सहित जेवरात की चोरी

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर हजारीबाग के उपायुक्त ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया और उन्हें नमन किया. उन्होंने कहा कि यह धरती वीरों की धरती है और यहां की माटी हमें सीख देती है कि देश सर्वोपरि है. उन्होंने छात्रों को बताया कि आईएएस की नौकरी छोड़कर देश सेवा करना बहुत बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि 'मैं भी एक आईएएस ऑफीसर हूं और मैं इस बात को भलीभांति समझ सकता हूं, लेकिन सुभाष चंद्र बोस ने महज 17 साल की उम्र में परीक्षा पास किया और देश के लिए पद को छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि हर बच्चों को कम से कम प्रत्येक दिन 10 मिनट सुभाष चंद्र बोस की जीवनी के बारे में पढ़ना चाहिए और उसे आत्मसात भी करना चाहिए.'

Subhash Chandra Bose  gave first speech against the British from Hazaribag
आजाद हिंद फौज

ये भी देखें- रिटायर्ड डीवीसी कर्मचारी के घर चोरी, 2.80 लाख नगद सहित जेवरात की चोरी

वहीं, अगर कहा जाए तो हजारीबाग वह ऐतिहासिक धरती है, जिसके कन-कन में इतिहास बसता है. जरूरत है इतिहास के पन्नों को आम जनता के बीच लाने की और यह बताने की कि हमारा शहर का इतिहास कितना गौरवमई रहा है. हमें जरूरत है उन वीर सपूतों की जीवन से सीख लेने की.

Subhash Chandra Bose  gave first speech against the British from Hazaribag
स्कूली बच्चे

हजारीबाग: जिला से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का खास संबंध रहा है. हजारीबाग के केशव हॉल मैदान परिसर से उन्होंने 21 मार्च 1940 को अंग्रेजों के खिलाफ अपना पहला भाषण दिया था, दरअसल रामगढ़ अधिवेशन समाप्त होने के बाद वे हजारीबाग पहुंचे थे. उस वक्त हजारीबाग में बांग्ला समाज कि बहुलता थी, उन लोगों ने उन्हें यहां आमंत्रण दिया था.

देखें पूरी खबर

आमंत्रण स्वीकार करने के बाद वे हजारीबाग के घोष लॉज में रात्रि विश्राम किए और सुबह 21 मार्च को बड़ी जनसभा को संबोधित किया. इस बात की जानकारी आज हजारीबाग में एक कार्यक्रम के दौरान यूनियन क्लब के सदस्य ने दी है. उन्होंने कहा कि केशव हॉल एक ऐतिहासिक भूमि है और हमें याद दिलाती है कि हजारीबाग के लोगों ने किस तरह देश की आजादी में अपना अहम भूमिका निभाया है.

जानकारी देते उपायुक्त और बुजुर्ग

इस कारण हर साल सुभाष चंद्र बोस जयंती के अवसर पर यहां कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, दिल्ली टू रंगून यात्रा की जाती है. जिसमें स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राएं हिस्सा लेती हैं. उनका यह भी कहना है कि रामगढ़ अधिवेशन के बाद पहला भाषण उन्होंने हजारीबाग के केशव हॉल मैदान में दिया है, जिसकी जानकारी उनके पिता देते हैं.

Subhash Chandra Bose  gave first speech against the British from Hazaribag
क्लब

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर हजारीबाग के उपायुक्त ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया और उन्हें नमन किया. उन्होंने कहा कि यह धरती वीरों की धरती है और यहां की माटी हमें सीख देती है कि देश सर्वोपरि है. उन्होंने छात्रों को बताया कि आईएएस की नौकरी छोड़कर देश सेवा करना बहुत बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि 'मैं भी एक आईएएस ऑफीसर हूं और मैं इस बात को भलीभांति समझ सकता हूं, लेकिन सुभाष चंद्र बोस ने महज 17 साल की उम्र में परीक्षा पास किया और देश के लिए पद को छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि हर बच्चों को कम से कम प्रत्येक दिन 10 मिनट सुभाष चंद्र बोस की जीवनी के बारे में पढ़ना चाहिए और उसे आत्मसात भी करना चाहिए.'

Subhash Chandra Bose  gave first speech against the British from Hazaribag
आजाद हिंद फौज

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वहीं, अगर कहा जाए तो हजारीबाग वह ऐतिहासिक धरती है, जिसके कन-कन में इतिहास बसता है. जरूरत है इतिहास के पन्नों को आम जनता के बीच लाने की और यह बताने की कि हमारा शहर का इतिहास कितना गौरवमई रहा है. हमें जरूरत है उन वीर सपूतों की जीवन से सीख लेने की.

Subhash Chandra Bose  gave first speech against the British from Hazaribag
स्कूली बच्चे
Intro:हजारीबाग शहर का ऐतिहासिक महत्व रहा है ।हजारीबाग की धरती कई स्वतंत्रता सेनानियों की गवाह स्थली रही है। यहां से कई स्वतंत्र सेनानियों ने देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाई है ।ऐसे में हजारीबाग से सुभाष चंद्र बोस का विशेष लगाव रहा है ।जिन्होंने हजारीबाग में आकर अंग्रेजो के खिलाफ बिगुल फूंका था। ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...


Body:हजारीबाग से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संबंध रहा है। हजारीबाग के केशव हॉल मैदान परिसर से उन्होंने 21 मार्च 1940 को अंग्रेजो के खिलाफ अपना पहला भाषण दिया था। दरअसल रामगढ़ अधिवेशन समाप्त होने के बाद वे हजारीबाग पहुंचे थे। उस वक्त हजारीबाग में बांग्ला समाज कि बहुलता थी। उन लोगों ने उन्हें यहां आमंत्रण दिया था। आमंत्रण स्वीकार करने के बाद वे हजारीबाग के घोष लॉज में रात्रि विश्राम किए और सुबह 21 मार्च को बड़ी जनसभा को संबोधित किया। इस बात की जानकारी आज हजारीबाग में एक कार्यक्रम के दौरान यूनियन क्लब के सदस्य ने दिया है। उन्होंने बताया कि केशव हॉल एक ऐतिहासिक भूमि है और हमें याद दिलाती है कि हजारीबाग के लोगों ने किस तरह देश की आजादी में अपना अहम भूमिका निभाया है ।इस कारण हर वर्ष सुभाष चंद्र बोस जयंती के अवसर पर यहां कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है । दिल्ली टू रंगून यात्रा की जाती है ।जिसमें स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राएं हिस्सा लेती हैं। उनका यह भी कहना है कि रामगढ़ अधिवेशन के बाद पहला भाषण उन्होंने हजारीबाग के केशव हॉल मैदान में दिया है जिसकी जानकारी उनके पिता देते हैं ।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर हजारीबाग के उपायुक्त ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया और उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि यह धरती वीरों की धरती है और यहां की माटी हमें सीख देती है कि देश सर्वोपरि है। उन्होंने छात्रों को बताया कि 1 आईएएस की नौकरी छोड़कर देश सेवा करना बहुत बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि मे भी एक आईएएस ऑफीसर हूं और मैं इस बात को भलीभांति समझ सकता हूं। लेकिन सुभाष चंद्र बोस ने महज 17 साल की उम्र में परीक्षा पास किया और देश के लिए पद को छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि हर बच्चों को कम से कम प्रत्येक दिन 10 मिनट सुभाष चंद्र बोस की जीवनी के बारे में पढ़ना चाहिए और उसे आत्मसात भी करना चाहिए।

byte.... भुवनेश प्रताप सिंह, उपायुक्त, हजारीबाग
byte.... ध्रुव चटर्जी, सेवानिवृत्त शिक्षक, अन्नदा हाई स्कूल हजारीबाग


Conclusion:कहां जाए तो हजारीबाग वह ऐतिहासिक धरती है। जिसके कन कन में इतिहास बसा है। जरूरत है इतिहास के पन्नों को आम जनता के बीच लाने की और यह बताने की कि हमारा शहर का इतिहास कितना गौरवमई रहा है। हमें जरूरत है उन वीर सपूतों की जीवन से सीख लेने की।

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग
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