हजारीबाग: जिला से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का खास संबंध रहा है. हजारीबाग के केशव हॉल मैदान परिसर से उन्होंने 21 मार्च 1940 को अंग्रेजों के खिलाफ अपना पहला भाषण दिया था, दरअसल रामगढ़ अधिवेशन समाप्त होने के बाद वे हजारीबाग पहुंचे थे. उस वक्त हजारीबाग में बांग्ला समाज कि बहुलता थी, उन लोगों ने उन्हें यहां आमंत्रण दिया था.
आमंत्रण स्वीकार करने के बाद वे हजारीबाग के घोष लॉज में रात्रि विश्राम किए और सुबह 21 मार्च को बड़ी जनसभा को संबोधित किया. इस बात की जानकारी आज हजारीबाग में एक कार्यक्रम के दौरान यूनियन क्लब के सदस्य ने दी है. उन्होंने कहा कि केशव हॉल एक ऐतिहासिक भूमि है और हमें याद दिलाती है कि हजारीबाग के लोगों ने किस तरह देश की आजादी में अपना अहम भूमिका निभाया है.
इस कारण हर साल सुभाष चंद्र बोस जयंती के अवसर पर यहां कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, दिल्ली टू रंगून यात्रा की जाती है. जिसमें स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राएं हिस्सा लेती हैं. उनका यह भी कहना है कि रामगढ़ अधिवेशन के बाद पहला भाषण उन्होंने हजारीबाग के केशव हॉल मैदान में दिया है, जिसकी जानकारी उनके पिता देते हैं.
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर हजारीबाग के उपायुक्त ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया और उन्हें नमन किया. उन्होंने कहा कि यह धरती वीरों की धरती है और यहां की माटी हमें सीख देती है कि देश सर्वोपरि है. उन्होंने छात्रों को बताया कि आईएएस की नौकरी छोड़कर देश सेवा करना बहुत बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि 'मैं भी एक आईएएस ऑफीसर हूं और मैं इस बात को भलीभांति समझ सकता हूं, लेकिन सुभाष चंद्र बोस ने महज 17 साल की उम्र में परीक्षा पास किया और देश के लिए पद को छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि हर बच्चों को कम से कम प्रत्येक दिन 10 मिनट सुभाष चंद्र बोस की जीवनी के बारे में पढ़ना चाहिए और उसे आत्मसात भी करना चाहिए.'
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वहीं, अगर कहा जाए तो हजारीबाग वह ऐतिहासिक धरती है, जिसके कन-कन में इतिहास बसता है. जरूरत है इतिहास के पन्नों को आम जनता के बीच लाने की और यह बताने की कि हमारा शहर का इतिहास कितना गौरवमई रहा है. हमें जरूरत है उन वीर सपूतों की जीवन से सीख लेने की.
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