हजारीबाग: हर एक छात्र की तमन्ना होती है कि वह उस ऊंचाई पर पहुंचे जहां उसे प्रतिष्ठा, सम्मान और पैसा मिले. लेकिन इस कोरोना काल ने छात्रों के भविष्य पर ब्रेक लग गया है. छात्रों की ऊंची उड़ान को कोरोना ने अपने आगोश में ले लिया है. ऐसे में छात्र अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं. छात्रों के अभिभावक भी इस बात को लेकर काफी परेशान हैं कि उनके बेटे का भविष्य कैसे संवरेगा.
कोरोना काल में छात्र परेशान
छात्रों के सामने कोरोना ने नया संकट खड़ा कर दिया है. छात्र पढ़ाई के जो सपने देख रहे थे वह लटक गया है. किसी ने अच्छी कोचिंग के लिए बाहर जाने का मन बनाया था, तो कोई डिग्री हासिल करने के लिए सपने संजोए हुए थे, लेकिन कोरोना ने फिलहाल उनके सपनों पर ब्रेक लगा दिया है. ऐसे में छात्र अब अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं. वो जल्द से जल्द हालात सुधरने का इंतजार कर रहे हैं, जिससे उनकी पढ़ाई को गति मिले.
हजारीबाग के कई छात्रों के सपने अधूरे
हजारीबाग में भी कई ऐसे छात्र हैं जिन्होंने दिल्ली, इलाहाबाद, नोएडा, कोटा समेत विभिन्न शहरों में कोचिंग और अन्य डिग्री हासिल करने का मन बनाया था. वर्तमान परिस्थितियों में अभिभावक आगे की पढ़ाई के लिए समझौता करने की स्थिति में नहीं हैं. अभिभावक अपने बच्चे को इस हालात में घर से बाहर भेजने के मूड में नहीं हैं. अभी सभी कॉलेजों और कोचिंग संस्थानों में ताला लटका हुआ है. छात्र इसी उम्मीद में है कि जल्द से जल्द यह महामारी खत्म हो और हमारी जीवन पटरी पर लौट सके. हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र का कहना है कि हमारी इंजीनियर की पढ़ाई चल रही थी, लेकिन कोरोना ने उसे रोक दिया है, ऑनलाइन क्लास पढ़ाई के लिए उचित नहीं है. उनका कहना है कि वो न प्रैक्टिकल कर सक रहे हैं और न ही व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त हो सकता है.
वहीं, अन्य छात्रों का कहना है कि हम अब परिस्थिति के सामने मजबूर हो गए हैं, आलम यह है कि नहीं चाहते हुए भी प्रमोशन के लिए विश्वविद्यालय का चक्कर काटना पड़ रहा है, ताकि हमारा साल खराब न हो. उनका यह भी कहना है कि प्रमोशन देने से भी सिर्फ हमारा समय बचेगा, लेकिन हमें व्यवहारिक ज्ञान नहीं मिलेगा, जिसका खामियाजा भविष्य में भुगतना पड़ेगा.
खिलाड़ियों पर भी कोरोना का असर
कोरोना काल में छात्र के अलावा खिलाड़ी भी काफी परेशान हैं. हजारीबाग के दारू प्रखंड के राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज भी कहते हैं कि कोरोना संक्रमण के दौर में प्रैक्टिस भी प्रभावित हुआ है, पहले स्टेडियम में जाकर प्रैक्टिस किया करते थे, लेकिन लॉकडाउन और संक्रमण का भय मन में इस तरह बैठ गया है कि घर के छत पर प्रेक्टिस करने को मजबूर हो गए हैं. उन्होंने बताया कि गोवा में होने वाला नेशनल गेम भी स्थगित कर दिया गया है, जिससे काफी निराशा हाथ लगी है.
शिक्षकों में भी कोरोना का भय
शिक्षक भी कहते हैं कि सबसे पहले तो जीवन बचाना है, जब छात्रों का जीवन बचेगा तो ही वह पढ़ाई कर पाएंगे, आने वाला समय छात्रों के लिए बहुत ही चुनौती भरा है, छात्र कैसे आखिर अपनी ऊंची उड़ान ले पाएंगे यह समय के गर्भ में है, लेकिन वर्तमान समय में छात्रों को इसी स्थिति में अपने आप को ढालना होगा. उन्होंने कहा कि अभिभावक भी छात्रों को बाहर भेजने के मूड में नहीं हैं, बतौर अभिभावक हम भी अपने बच्चों को वर्तमान परिस्थिति में बाहर भेजने के मूड में नहीं हैं.
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बच्चों पर पड़ रहा मानसिक असर
कोरोना काल में बच्चे भी मानसिक अवसाद से गुजर रहे हैं. हजारीबाग मेडिकल कॉलेज मे बतौर सेवा दे रही डॉक्टर ने बताया कि अभी छात्रों को संभालने की जरूरत है, अभिभावकों का दायित्व बढ़ गया है. उन्होंने अभिभावकों से अपने बच्चों को अकेले नहीं छोड़ने और कभी भी घर में नकारात्मक बात करियर को लेकर न करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में छात्रों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है नहीं तो घर का चिराग पर भी इसका असर होगा और इसका खामियाजा जिंदगी भर भुगतना पड़ सकता है.
छात्रों के मनोबल को बढ़ाने की जरूरत
सभी छात्रों का सपना होता है कि वह जीवन में कामयाब इंसान बने और कामयाबी उसके कदम चूमे, लेकिन वर्तमान समय में छात्रों के साथ-साथ उनके अभिभावकों की भी जिम्मेवारी बढ़ गई है. जरूरत है छात्रों के मनोबल को बढ़ाने का जिससे वो अपनी भविष्य की ऊंचाईयों को छू सके.