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कार्तिक अमावस्या को यहां होता है विशेष पूजा का आयोजन, पूरी होती है हर मुराद

हजारीबाग के शमशान घाट परिसर में मां काली के मंदिर में अमावस्या की रात विशेष पूजा का आयोजन किया गया. माना जाता है कि यहां जो भी भक्त सच्चे दिल से जो मांगता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है.

माता काली की प्रतिमा
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Published : Oct 28, 2019, 4:25 AM IST

हजारीबाग: कार्तिक मास के अमावस्या की रात काली पूजा पूरे देश में धूमधाम से की जाती है. हजारीबाग में श्मशान घाट परिसर में काली पूजा भव्यता के साथ सालों से होती आ रही है. पूरे झारखंड में यहां की पूजा बेहद खास मानी जाती है क्योंकि यह तंत्र पीठ के रूप में भी प्रदेश में जाना जाता है. इस काली पूजा के अवसर पर भी हजारीबाग में बड़े ही धूमधाम से काली पूजा का आयोजन किया गया.

देखें पूरी खबर


बली देने का है रिवाज
हजारीबाग के शमशान घाट परिसर में मां काली के मंदिर में सालों से पूजा का आयोजन होता आ रहा है. इस आयोजन में समाज का हर एक तबका भाग लेता है. पूजा रात के 12:00 बजे से शुरू होती है जो देर रात तक चलती है. मां को प्रसन्न करने के लिए यहां बली भी देने की रिवाज है.

ये भी पढ़ें: यहां सूर्यास्त के बाद बनती है मां काली की मूर्ति, सूर्योदय से पहले हो जाता है विसर्जन, बलि की भी है प्रथा


पूरी होती है हर मुराद
यह मंदिर तंत्र पीठ के रूप में पूरे देश में विख्यात है. इस मंदिर की खास बात यह है कि शमशान परिसर के अंदर भी एक भूमिगत मंदिर है जहां विशेष पूजा की जाती है. इस भूमिगत मंदिर के अंदर सामान्य लोगों को जाना वर्जित है. मंदिर के पुजारी और तंत्र सिद्धि करने वाले व्यक्ति ही यहां सिद्धि करने के लिए प्रवेश करते हैं. साथ ही पुजारी उन भक्तों को भूमिगत मंदिर में ले जाते हैं जो नियम का पालन करते हैं. जबकि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश पूर्ण रूप से वर्जित है. अमावस्या की रात इस मंदिर का पट खोला जाता है और इस दिन तंत्र मंत्र के साधक यहां पूजा करते हैं. इस भूमिगत मंदिर के अंदर मूर्ति पूजा नहीं होती है. ऐसी मान्यता है कि इस जागृत काली मंदिर में जो भी सच्चे मन से मांगता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है.

हजारीबाग: कार्तिक मास के अमावस्या की रात काली पूजा पूरे देश में धूमधाम से की जाती है. हजारीबाग में श्मशान घाट परिसर में काली पूजा भव्यता के साथ सालों से होती आ रही है. पूरे झारखंड में यहां की पूजा बेहद खास मानी जाती है क्योंकि यह तंत्र पीठ के रूप में भी प्रदेश में जाना जाता है. इस काली पूजा के अवसर पर भी हजारीबाग में बड़े ही धूमधाम से काली पूजा का आयोजन किया गया.

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बली देने का है रिवाज
हजारीबाग के शमशान घाट परिसर में मां काली के मंदिर में सालों से पूजा का आयोजन होता आ रहा है. इस आयोजन में समाज का हर एक तबका भाग लेता है. पूजा रात के 12:00 बजे से शुरू होती है जो देर रात तक चलती है. मां को प्रसन्न करने के लिए यहां बली भी देने की रिवाज है.

ये भी पढ़ें: यहां सूर्यास्त के बाद बनती है मां काली की मूर्ति, सूर्योदय से पहले हो जाता है विसर्जन, बलि की भी है प्रथा


पूरी होती है हर मुराद
यह मंदिर तंत्र पीठ के रूप में पूरे देश में विख्यात है. इस मंदिर की खास बात यह है कि शमशान परिसर के अंदर भी एक भूमिगत मंदिर है जहां विशेष पूजा की जाती है. इस भूमिगत मंदिर के अंदर सामान्य लोगों को जाना वर्जित है. मंदिर के पुजारी और तंत्र सिद्धि करने वाले व्यक्ति ही यहां सिद्धि करने के लिए प्रवेश करते हैं. साथ ही पुजारी उन भक्तों को भूमिगत मंदिर में ले जाते हैं जो नियम का पालन करते हैं. जबकि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश पूर्ण रूप से वर्जित है. अमावस्या की रात इस मंदिर का पट खोला जाता है और इस दिन तंत्र मंत्र के साधक यहां पूजा करते हैं. इस भूमिगत मंदिर के अंदर मूर्ति पूजा नहीं होती है. ऐसी मान्यता है कि इस जागृत काली मंदिर में जो भी सच्चे मन से मांगता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है.

Intro:कार्तिक मास के अमावस्या की रात काली पूजा पूरे धूमधाम से की जाती है। हजारीबाग में श्मशान घाट परिसर में काली पूजा भव्यता के साथ सालों से होती आ रही है। पूरे झारखंड में यहां की पूजा बेहद खास मानी जाती है। क्योंकि यह तंत्र पीठ के रूप में भी प्रदेश में जाना जाता है।


Body:जिले के शमशान घाट परिसर में मां काली के भव्य मंदिर में सालों से पूजा का आयोजन होता आ रहा है ।इस आयोजन में समाज का हर एक तबका आकर मां की पूजा-अर्चना करता है ।पूजा रात के 12:00 बजे से शुरू होती है जो देर रात तक चलती है। मां को प्रसन्न करने के लिए यहां बली भी देने की रिवाज है।

यह मंदिर तंत्र पीठ के रूप में पूरे झारखंड में विख्यात है। इस मंदिर की एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह शमशान परिसर के अंदर भूमिगत मंदिर है जहां पूजा की जाती है। इस भूमिगत मंदिर के अंदर सामान्य लोगों को जाना वर्जित है। महिलाएं को पूर्ण रूप से इस मंदिर के अंदर प्रवेश करने की इजाजत नहीं है। मंदिर के पुजारी और तंत्र सिद्धि करने वाले व्यक्ति यहां सिद्धि करने के लिए प्रवेश करते हैं। साथ ही पुजारी उन भक्तों को भूमिगत मंदिर में ले जाते हैं जो नियम का पालन करते हैं। अमावस्या की रात इस मंदिर का पट खोला जाता है। इस भूमिगत मंदिर के अंदर मूर्ति पूजा नहीं होती है। अमावस्या की रात इस भूमिगत मंदिर में तंत्र मंत्र के साधक पूजा करते हैं।

byte.... चंद्रिका साव, साधक
byte.... मनोज गुप्ता अध्यक्ष बाबा भूतनाथ मंडली ,सफेद स्वेटर में




Conclusion:ऐसी मान्यता है कि इस जागृत काली मंदिर में जो भी सच्चे मन से मांगता है उसकी मुराद पूरी होती है ।
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