हजारीबाग: जिले के सदर अनुमंडल क्षेत्र में मोहर्रम और करम पर्व को सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न कराने के उद्देश्य से धारा 144 लागू कर दिया है. हजारीबाग का मोहर्रम जुलूस में दूसरे समुदाय के लोग भी बढ़कर हिस्सा लेते है.
सदर अनुमंडल क्षेत्र में मोहर्रम और करम पर्व को लेकर जिला प्रशासन सतर्क हो गई है. एक साथ दोनों पर्व होने से शहर में कोई अप्रिय घटना ना हो इसके लिए सदर अनुमंडल पदाधिकारी मेघा भारद्वाज ने अपनी प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए हजारीबाग सदर अनुमंडल क्षेत्र में धारा 144 घोषित कर दिया है. इस दौरान प्रभावित क्षेत्र में सभी लोगों को धारा संबधी लागू नियम को पालन करना अनिवार्य हो जाएगा. ऐसा नहीं करने पर कानून के तहत दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई भी किया जा सकता है.
क्या है धारा 144
एक साथ 4 से अधिक व्यक्ति को एक साथ घूमने का इजाजत नहीं होती है. साथ ही घातक हथियार, लाठी इत्यादि लेकर चलने पर प्रतिबंध रहता है. प्रभावित थाना में पुलिस के अनुमति के बिना झांकी और जुलूस निकालने जैसे कार्यों पर पूर्णत: प्रतिबंध रहता है. पुलिस प्रशासन द्वारा पहले से प्रस्तावित रास्तों से ही जुलूस निकाला जा सकता है. एसडीओ मेघा भरद्वाज ने बताया कि कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
लाउडस्पीकर से उत्तेजक भाषण और किसी धर्म विशेष की भावना को ठेस पहुंचाने वाले लोगों पर भी जिला प्रशासन की विशेष नजर रहेगी. साथ ही सोशल मीडिया पर भड़काऊ और सांप्रदायिक पोस्ट पर पुलिस विशेष नजर बनाए हुए है. धारा 144 रविवार से लेकर 11 सितंबर के प्रातः 06 बजे तक लागू रहेगा.
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हजारीबाग में मोहर्रम के खास मायने
हजारीबाग में मोहर्रम कुछ खास अंदाज में होता है. इसको लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ-साथ हिंदू परिवारों में भी खासा उत्साह देखने को मिलता है. जिले के रोमी गांव निवासी अंतू साव पिछले 4 पीढ़ी से मोहर्रम पर तजिया बनाते आ रहे हैं. अंतू खुद 45 सालों से मोहर्रम में ताजिया निकालकर आपसी प्रेम और सौहार्द का संदेश दे रहे हैं. इस कार्य के लिए पूरे समाज में उनका तारिफ किया जाता है.
रोमी गांव में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग मिलकर ताजिया बनाते हैं और दशमी के दिन पूरे धूमधाम के साथ घर से पूरे परिवार के साथ तजिया जुलूस में निकलते हैं. अंतू साव कहते हैं कि हमारा परिवार हिंदू-मुस्लिम में फर्क नहीं करता है. त्यौहार एकता का प्रतीक होता है, हम इसी सोच के साथ ताजिया निकालते हैं.
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बता दें कि अंतू साव का ताजिया सिर्फ हजारीबाग के लिए नहीं पूरे हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लिए मिसाल है. रोमी गांव के दोनों समुदाय के लोग एक साथ मिलकर ताजिया बनाते हैं, फिर ताजिया को कर्बला तक ले जाते हैं. जब अंतू साव का ताजिया जुलूस वहां पहुंचता है तो हर ओर प्रशंसा का केंद्र बन जाता है.