हजारीबागः जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर केरेडारी प्रखंड के घनघोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र निरी बस्ती में 3 शिक्षक शिक्षा का अलख जगा रहे हैं. निरी गांव दुर्दांत नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है. इस गांव में पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है, जंगल नदी नाला पार करके इस गांव में पहुंचा जा सकता है. काले रोड से इस गांव की दूरी लगभग16 किलोमीटर है, बादजूद इसके सरकारी स्कूल के ये शिक्षक रोज स्कूल आते हैं और बच्चों को शिक्षत करते हैं.
प्राइवेट स्कूल से बेहतर सरकारी स्कूल
बरसात के दिनों में यह गांव टापू में परिवर्तित हो जाता है. पूरे क्षेत्र में क्योंकि नदी में पानी आ जाती है और गांव के लोग शहर नहीं आ सकते हैं और जो वह शहर में हैं वह गांव नहीं आ सकते हैं। ऐसे में पहाड़ पार करके लोग सड़क पर पहुंचते हैं, लेकिन इस दुर्दांत क्षेत्र में 3 ऐसे शिक्षक हैं जो हर रोज स्कूल पहुंचते हैं और यहां शिक्षा का अलख जगाते हैं. स्कूल का परिसर शहर के सरकारी स्कूल के परिसर से काफी बेहतर है. स्कूल परिसर में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है.
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शिक्षकों को भगवान मानते हैं गांव वाले
इस गांव के सभी लोग इन शिक्षकों को भगवान से कम नहीं समझते. गांव के लोग भी कहते हैं कि गर्मी हो या बरसात शिक्षक किसी भी हालत में स्कूल पहुंचते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं. शिक्षक बच्चों को न सिर्फ पढ़ाते हैं बल्कि उन्हें परेशानी होने पर अकसर आर्थिक मदद के साथ-साथ कॉपी-पेन भी देते हैं.
निरी गांव के इस स्कूल के शिक्षकों की मेहनत ने बच्चों में शिक्षा का दीपक जलाया है. देश को ऐसी ही शिक्षकों की जरूरत है, जो भारत का भविष्य बदलने के लिए हर मुसीबत को पार कर बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें.