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हरियाली धो रही चुरचू प्रखंड का लाल दाग, गांव में बंदूक की जगह लहरा रही फसल

नक्सलियों का सेफ कॉरिडोर रहे चुरचू प्रखंड के लोगों को लाल आतंक की सच्चाई समझ में आई तो यह दाग खेतों की हरियाली से धुलने लगा है. लोगों को नक्सलियों के गुनाह समझ में आने लगे हैं. जिसका नतीजा है कि गांव में अब बंदूक की जगह टमाटर से तरबूज और अन्य फसलें लहराती हैं. पुलिसिंग और रोजगार के साधन युवाओं तक पहुंचने से नक्सल दुष्चक्र को तोड़ने में कामयाबी मिल रही है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

farming in curchu block
हजारीबाग के चुरचू प्रखंड में खेती
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Published : May 9, 2022, 7:44 PM IST

हजारीबागः हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर चुरचू प्रखंड उग्रवाद के लिए बदनाम था. यहां दिन में भी उग्रवादियों की तलाश में फोर्स के बूट और पुलिस वाहनों के सायरन गूंजते रहते थे. लेकिन हालात बदलने लगे हैं, यहां अब यहां बंदूकों की जगह फसल लहरा रही है. युवा मुख्यधारा से जुड़कर जीवन यापन के लिए खेती और रोजगार के अन्य साधनों की तरफ जा रहे हैं. सरकार भी यहां खेती को बढ़ावा दे रही है. प्रखंड की योजना के तहत यहां बागवानी कराई गई है नाबार्ड ने भी 1000 एकड़ में खेती के लिए मदद कराई है. कई एनजीओ की ओर से भी यहां काम का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है.

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बता दें कि चुरचू प्रखंड घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में राज्य में जाना जाता था. यहां नक्सलियों की हुकूमत चला करती थी. नक्सली खासकर अंगों एवं चुरचू थाना क्षेत्र में काफी सक्रिय थे. बूढ़ा पहाड़ होने के कारण नक्सलियों का यह सेफ कॉरिडोर भी माना जाता था. लेकिन सरकार की योजना और पुलिसिंग के कारण अब क्षेत्र नक्सल प्रभाव यहां से खत्म हो गया है. आलम यह है कि यहां अब सरकार के कई योजनाएं धरातल पर उतारी जा चुकी हैं. यही नहीं एनजीओ भी यहां काम कर रहे हैं. प्रखंड विकास पदाधिकारी इंदर कुमार कहते हैं कि डेढ़ साल पहले हमने अपना यहां पदभार लिया और उस वक्त यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र था. कई घटनाएं हो चुकीं थीं. एक प्रखंड में 3 थाना और सीआरपीएफ कैंप होना खुद हालात बयां करता है कि यह क्षेत्र बेहद दुर्दांत क्षेत्र था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं.

हरियाली धो रही चुरचू प्रखंड का लाल दाग
चुरचू में टमाटर और तरबूज बदल रहे पहचानः प्रखंड विकास पदाधिकारी इंदर कुमार का कहना है कि आम जनता में जागरुकता आई है और वे हकीकत को समझ रहे हैं. इसलिए यहां नक्सल प्रभाव कम हो रहा है. यहां के लोग अब रोजगार की ओर बढ़ रहे हैं. चुरचू प्रखंड में सरकार की ओर से लगभग 1500 एकड़ में खेती कराई जा रहा है. जिसमें 80 एकड़ जिला प्रशासन और 1000 एकड़ नाबार्ड की ओर से भी खेती कराई जा रही है. बरसात के दिनों में पूरे चुरचू में टमाटर की खेती होती है और गर्मी में तरबूज की. बड़े-बड़े व्यापारी आकर यहां से तरबूज और टमाटर की खरीदारी करते हैं.मुखिया ने गिनाया नक्सलियों का गुनाहः चुरचू गांव के मुखिया सहदेव किस्कू ने कहा कि हम लोग नक्सल क्षेत्र के लिए कलंकित थे. आए दिन नक्सली घटना हत्या यहां हुआ करती थी. नक्सली गांव घर में घुसकर बड़ी बड़ी घटनाओं को अंजाम भी दिया करते थे. यहां दिन में भी पुलिस गाड़ी के सायरन सुनने को मिलते थे. लेकिन आम लोगों में जागरुकता आने और रोजगार सृजन होने के कारण यह कलंक अब धुलता जा रहा है. गांव के लोग रोजगार कर रहे हैं. सरकारी योजना मनरेगा का लाभ यहां के अधिकतर युवाओं ने उठाया है. यही नहीं अधिक से अधिक युवाओं को कैसे रोजगार से जोड़ा जाए, इसके लिए एनजीओ भी काम कर रहे हैं. खेती जीवन यापन का प्रमुख साधन बन गया है.

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पुलिसिंग और रोजगार से नक्सल दुष्चक्र पर वारः हजारीबाग एसपी मनोज रतन चौथे ने बताया कि नक्सल क्षेत्र होने के कारण यहां विशेष रूप से सोशल पुलिसिंग पर जोर दिया गया. युवाओं को बताया गया कि उनका अधिकार क्या है और उन्हें क्या करना है. रोजगार उत्पन्न किया गया. जिस कारण नक्सल समस्या का समाधान हुआ है. आने वाले दिनों में यहां बेहतर पुलिसिंग हो इसके लिए हम लोग काम कर रहे हैं.


स्थानीय ग्रामीण बिनू किस्कू का कहना है कि आम जनता अब खेती से जुड़ रही है. उनका भी कहना है कि हम लोगों का परिवार अब सुख शांति से है. रात के अंधेरे में भी हम घर से बाहर निकलते हैं. पहले हमारे गांव से लोग निकलने के लिए सोचते थे. कई परिवर्तन जागरुकता के साथ-साथ सरकारी योजनाओं के कारण क्षेत्र में हुआ है.

हजारीबागः हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर चुरचू प्रखंड उग्रवाद के लिए बदनाम था. यहां दिन में भी उग्रवादियों की तलाश में फोर्स के बूट और पुलिस वाहनों के सायरन गूंजते रहते थे. लेकिन हालात बदलने लगे हैं, यहां अब यहां बंदूकों की जगह फसल लहरा रही है. युवा मुख्यधारा से जुड़कर जीवन यापन के लिए खेती और रोजगार के अन्य साधनों की तरफ जा रहे हैं. सरकार भी यहां खेती को बढ़ावा दे रही है. प्रखंड की योजना के तहत यहां बागवानी कराई गई है नाबार्ड ने भी 1000 एकड़ में खेती के लिए मदद कराई है. कई एनजीओ की ओर से भी यहां काम का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है.

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बता दें कि चुरचू प्रखंड घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में राज्य में जाना जाता था. यहां नक्सलियों की हुकूमत चला करती थी. नक्सली खासकर अंगों एवं चुरचू थाना क्षेत्र में काफी सक्रिय थे. बूढ़ा पहाड़ होने के कारण नक्सलियों का यह सेफ कॉरिडोर भी माना जाता था. लेकिन सरकार की योजना और पुलिसिंग के कारण अब क्षेत्र नक्सल प्रभाव यहां से खत्म हो गया है. आलम यह है कि यहां अब सरकार के कई योजनाएं धरातल पर उतारी जा चुकी हैं. यही नहीं एनजीओ भी यहां काम कर रहे हैं. प्रखंड विकास पदाधिकारी इंदर कुमार कहते हैं कि डेढ़ साल पहले हमने अपना यहां पदभार लिया और उस वक्त यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र था. कई घटनाएं हो चुकीं थीं. एक प्रखंड में 3 थाना और सीआरपीएफ कैंप होना खुद हालात बयां करता है कि यह क्षेत्र बेहद दुर्दांत क्षेत्र था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं.

हरियाली धो रही चुरचू प्रखंड का लाल दाग
चुरचू में टमाटर और तरबूज बदल रहे पहचानः प्रखंड विकास पदाधिकारी इंदर कुमार का कहना है कि आम जनता में जागरुकता आई है और वे हकीकत को समझ रहे हैं. इसलिए यहां नक्सल प्रभाव कम हो रहा है. यहां के लोग अब रोजगार की ओर बढ़ रहे हैं. चुरचू प्रखंड में सरकार की ओर से लगभग 1500 एकड़ में खेती कराई जा रहा है. जिसमें 80 एकड़ जिला प्रशासन और 1000 एकड़ नाबार्ड की ओर से भी खेती कराई जा रही है. बरसात के दिनों में पूरे चुरचू में टमाटर की खेती होती है और गर्मी में तरबूज की. बड़े-बड़े व्यापारी आकर यहां से तरबूज और टमाटर की खरीदारी करते हैं.मुखिया ने गिनाया नक्सलियों का गुनाहः चुरचू गांव के मुखिया सहदेव किस्कू ने कहा कि हम लोग नक्सल क्षेत्र के लिए कलंकित थे. आए दिन नक्सली घटना हत्या यहां हुआ करती थी. नक्सली गांव घर में घुसकर बड़ी बड़ी घटनाओं को अंजाम भी दिया करते थे. यहां दिन में भी पुलिस गाड़ी के सायरन सुनने को मिलते थे. लेकिन आम लोगों में जागरुकता आने और रोजगार सृजन होने के कारण यह कलंक अब धुलता जा रहा है. गांव के लोग रोजगार कर रहे हैं. सरकारी योजना मनरेगा का लाभ यहां के अधिकतर युवाओं ने उठाया है. यही नहीं अधिक से अधिक युवाओं को कैसे रोजगार से जोड़ा जाए, इसके लिए एनजीओ भी काम कर रहे हैं. खेती जीवन यापन का प्रमुख साधन बन गया है.

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पुलिसिंग और रोजगार से नक्सल दुष्चक्र पर वारः हजारीबाग एसपी मनोज रतन चौथे ने बताया कि नक्सल क्षेत्र होने के कारण यहां विशेष रूप से सोशल पुलिसिंग पर जोर दिया गया. युवाओं को बताया गया कि उनका अधिकार क्या है और उन्हें क्या करना है. रोजगार उत्पन्न किया गया. जिस कारण नक्सल समस्या का समाधान हुआ है. आने वाले दिनों में यहां बेहतर पुलिसिंग हो इसके लिए हम लोग काम कर रहे हैं.


स्थानीय ग्रामीण बिनू किस्कू का कहना है कि आम जनता अब खेती से जुड़ रही है. उनका भी कहना है कि हम लोगों का परिवार अब सुख शांति से है. रात के अंधेरे में भी हम घर से बाहर निकलते हैं. पहले हमारे गांव से लोग निकलने के लिए सोचते थे. कई परिवर्तन जागरुकता के साथ-साथ सरकारी योजनाओं के कारण क्षेत्र में हुआ है.

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