हजारीबाग: 21वीं सदी में कोरोना लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है. इस संक्रमण ने सभी के जीवन को प्रभावित किया है. कोरोना के लगातार वैरिएंट (Variant of Corona) बदलने से स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के साथ-साथ आम लोगों की चिंता बढ़ गई है. पहली और दूसरी लहर की मार से अभी लोग उबरे भी नहीं हैं, कि कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) आने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में अब इस पर रिसर्च होना भी शुरू हो गया है. हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Hazaribag Medical College Hospital) में भी कोरोना पर रिसर्च किया जा रहा है, जिसमें कोरोना के अलग-अलग पर वैरिएंट की जानकारी इकट्ठा की जाएगी, ताकि रिसर्च भविष्य में मददगार साबित हो सके.
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कोरोना के बारे मे एक छोटा बच्चा से लेकर वृद्ध तक समझ गए हैं, कि यह एक जानलेवा संक्रमण है. ऐसे में इस संक्रमण के बचाव के लिए हर व्यक्ति अपने स्तर से उपाय भी कर रहे हैं. मेडिकल क्षेत्र के लिए भी यह एक चुनौती से कम नहीं है. ऐसे में हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल (HMCH) में कोरोना सहित 20 बीमारियों पर शोध शुरू किया गया है, लेकिन पूरा शोध कार्य कोरोना और उसके आसपास की बीमारियों पर विशेष रूप से केंद्रित है. मेडिकल कॉलेज एथिकल कमेटी की बैठक में कोविड-19 महामारी और उससे जुड़े बीमारियों पर शोध करने का निर्णय लिया गया है.
शोध पत्र प्रकाशित करने के बाद होता है डॉक्टरों का प्रमोशन
हजारीबाग मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुशील कुमार सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में 100 शिक्षक कॉलेज में पढ़ाई के कार्य में जुटे हुए हैं, चिकित्सा के क्षेत्र में हर दिन नया डिस्कवरी हो रहा है, इलाज की पद्धति भी बदल रही है, इस कारण से शोध बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि एनएमसी के गाइडलाइन के अनुसार भी मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों को तीन से चार शोध पत्र प्रकाशित करने के बाद ही प्राथमिकता के आधार पर प्रमोशन दी जाती है, जिसके लिए शोध कार्य महत्वपूर्ण है.
कई बिंदुओं पर होगा रिसर्च
डॉ सुशील कुमार ने कहा कि हजारीबाग में कोरोना संक्रमण के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हुई है, कई डॉक्टरों ने भी संक्रमण को बहुत नजदीक से देखा है, ऐसे में यह तय किया है कि इस पर रिसर्च किया जाए, ताकि आने वाले समय में इलाज में मदद मिल सके. उन्होंने बताया कि शोध में यह देखा जाएगा कि कोरोना के मरीजों को एस्ट्रो राइड देने से शुगर लेवल नहीं बढता है, यदि शुगर लेवल में इजाफा हुआ तो प्रतिरोधक क्षमता घटने की वजह तो नहीं बन जाती है, इसके अलावा सिलेंडर से ऑक्सीजन देने से स्थिति क्या होती है, इन तमाम विषयों को भी देखा जाएगा.
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हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में पहली बार शोध कार्य
हजारीबाग मेडिकल कॉलेज की स्थापना 2018 में हुई है. उसके बाद पहली बार यहां शोध कार्य किया जा रहा है, जिसमें 20 डॉक्टर 26 बीमारियों पर शोध करेंगे. कॉलेज में डॉक्टर की पढ़ाई कर रहे छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ शोध के तरीकों से भी रुबरू होने का मौका मिल पाएगा. डॉक्टर भी बताते हैं कि शोध में कोरोना के बदलते हुए वैरिएंट और उससे संभावित खतरा, बच्चों पर इसका असर और उनके बेहतर इलाज के विकल्प पर शोध किया जा रहा है. शोध में कोविड-19 का संक्रमण से लेकर उनके इलाज के हर एक पहलू शामिल है.