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अब झारखंडी चाय की चुस्की से होगी सुबह की शुरुआत, चाय की खेती के लिए हजारीबाग में चल रहा पायलट प्रोजेक्ट - उद्यानिकी निदेशक

झारखंड में चाय की खेती की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. इसके लिए हजारीबाग में पायलट प्रोजेक्ट शुरू भी हो चुका है. सब ठीक रहा तो जल्द ही झारखंड में बड़े पैमाने पर चाय की खेती शुरू हो जाएगी. Tea cultivation in Jharkhand

Tea cultivation in Jharkhand
Tea cultivation in Jharkhand
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 27, 2023, 9:55 PM IST

झारखंड में चाय की खेती पर उद्यानिकी निदेशक सूरज कुमार का बयान

रांची: झारखंड की राजधानी रांची में नामकुम के पास एक इलाका है चाय बागान. यह नाम सुनकर ऐसा लगता है कि यहां कोई चाय का बागान होगा, लेकिन जब आप उस इलाके में जाते हैं तो चाय के बागान की जगह कंक्रीट के जंगल नजर आते हैं. लेकिन अब आपको चाय बागान को लेकर निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि टी बोर्ड ऑफ इंडिया के सहयोग से झारखंड सरकार एक बार फिर राज्य में चाय की खेती शुरू करने की योजना पर आगे बढ़ी है.

यह भी पढ़ें: लोहरदगा के किसानों को मौसम का नहीं मिला साथ, उम्मीद से आधी हुई खरीफ फसल की खेती

पिछले कुछ वर्षों में हजारीबाग के डेमोटांड़ में कृषि विभाग की जमीन पर लगभग 21 एकड़ में चाय का पौधा लगाया गया था, जो अब बगीचे का रूप लेने लगा है. चाय के पौधों की अच्छी वृद्धि को देखते हुए हजारीबाग के कृषि फार्म में बागान का रकबा और बढ़ाया गया है.

झारखंड राज्य के उद्यानिकी निदेशक आईएएस अधिकारी सूरज कुमार ने राज्य में चाय की खेती की संभावनाओं के बारे में ईटीवी भारत को बताया कि चाय एक नकदी फसल है और यह किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त स्रोत हो सकती है. ऐसे में इसकी खेती के लिए हजारीबाग के डेमोटांड़ में बागान लगाया गया है.

गुमला जिले के रायडीह और पालकोट में भी चाय के पौधे लगाने की योजना है. सूरज कुमार ने कहा कि खूंटी और लातेहार के नेतरहाट में चाय की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु परिस्थितियों और अन्य संभावनाओं का पता लगाने के लिए टी बोर्ड ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों ने भी राज्य का दौरा किया है. ऐसे में नेतरहाट में चाय बागान बनाने की योजना भी पाइपलाइन में है. जैसे ही यहां गार्डन स्थापित करने की तैयारी पूरी हो जाएगी, इसकी जानकारी मीडिया को दे दी जाएगी.

राज्य के कई इलाके चाय की खेती के लिए अनुकूल: हजारीबाग चाय बागान के नोडल अधिकारी विकास कुमार कहते हैं कि टी बोर्ड ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों ने राज्य में चाय की खेती की संभावनाओं को तलाशने के लिए राज्य का दौरा किया था और अपने दौरे के दौरान उन्होंने कई साइट को इसके लिए अनुकूल पाया था. हालांकि कई स्थानों को उन्होंने रिजेक्ट भी कर दिया था.

इसके बाद ही टी बोर्ड ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों ने जहां भी चाय की खेती की अच्छी संभावनाएं बताईं, वहां राज्य के कृषि विभाग और उद्यानिकी विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चाय की खेती शुरू कर दी है. पिछले वर्ष हजारीबाग में जो पौधे लगाये गये थे उनकी वृद्धि और स्वास्थ्य उत्साहजनक है. सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में न सिर्फ चाय की खेती का रकबा बढ़ेगा बल्कि यह किसानों के लिए आय का बढ़ता जरिया भी साबित होगा.

झारखंड में चाय की खेती पर उद्यानिकी निदेशक सूरज कुमार का बयान

रांची: झारखंड की राजधानी रांची में नामकुम के पास एक इलाका है चाय बागान. यह नाम सुनकर ऐसा लगता है कि यहां कोई चाय का बागान होगा, लेकिन जब आप उस इलाके में जाते हैं तो चाय के बागान की जगह कंक्रीट के जंगल नजर आते हैं. लेकिन अब आपको चाय बागान को लेकर निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि टी बोर्ड ऑफ इंडिया के सहयोग से झारखंड सरकार एक बार फिर राज्य में चाय की खेती शुरू करने की योजना पर आगे बढ़ी है.

यह भी पढ़ें: लोहरदगा के किसानों को मौसम का नहीं मिला साथ, उम्मीद से आधी हुई खरीफ फसल की खेती

पिछले कुछ वर्षों में हजारीबाग के डेमोटांड़ में कृषि विभाग की जमीन पर लगभग 21 एकड़ में चाय का पौधा लगाया गया था, जो अब बगीचे का रूप लेने लगा है. चाय के पौधों की अच्छी वृद्धि को देखते हुए हजारीबाग के कृषि फार्म में बागान का रकबा और बढ़ाया गया है.

झारखंड राज्य के उद्यानिकी निदेशक आईएएस अधिकारी सूरज कुमार ने राज्य में चाय की खेती की संभावनाओं के बारे में ईटीवी भारत को बताया कि चाय एक नकदी फसल है और यह किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त स्रोत हो सकती है. ऐसे में इसकी खेती के लिए हजारीबाग के डेमोटांड़ में बागान लगाया गया है.

गुमला जिले के रायडीह और पालकोट में भी चाय के पौधे लगाने की योजना है. सूरज कुमार ने कहा कि खूंटी और लातेहार के नेतरहाट में चाय की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु परिस्थितियों और अन्य संभावनाओं का पता लगाने के लिए टी बोर्ड ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों ने भी राज्य का दौरा किया है. ऐसे में नेतरहाट में चाय बागान बनाने की योजना भी पाइपलाइन में है. जैसे ही यहां गार्डन स्थापित करने की तैयारी पूरी हो जाएगी, इसकी जानकारी मीडिया को दे दी जाएगी.

राज्य के कई इलाके चाय की खेती के लिए अनुकूल: हजारीबाग चाय बागान के नोडल अधिकारी विकास कुमार कहते हैं कि टी बोर्ड ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों ने राज्य में चाय की खेती की संभावनाओं को तलाशने के लिए राज्य का दौरा किया था और अपने दौरे के दौरान उन्होंने कई साइट को इसके लिए अनुकूल पाया था. हालांकि कई स्थानों को उन्होंने रिजेक्ट भी कर दिया था.

इसके बाद ही टी बोर्ड ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों ने जहां भी चाय की खेती की अच्छी संभावनाएं बताईं, वहां राज्य के कृषि विभाग और उद्यानिकी विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चाय की खेती शुरू कर दी है. पिछले वर्ष हजारीबाग में जो पौधे लगाये गये थे उनकी वृद्धि और स्वास्थ्य उत्साहजनक है. सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में न सिर्फ चाय की खेती का रकबा बढ़ेगा बल्कि यह किसानों के लिए आय का बढ़ता जरिया भी साबित होगा.

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