हजारीबागः एक ऐसा वक्त था जब कई झारखंड और बिहार के कई लोग हजारीबाग को शिमला समझते थे और गर्मी की छुट्टियों में यहां पहुंचते थे. लेकिन अब यहां के मौसम का मिजाज बदला हुआ है. हजारीबाग में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया जा रहा है. स्थिति यह है कि आसमान आग उगल रहा है, जिससे आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है.
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हजारीबाग इन दिनों लू और गर्म हवा की चपेट में है. अप्रैल महीने में ही तापमान 42 डिग्री पार हो चुका है और लोग अप्रैल महीने में ही मई और जून की तपिश का एहसास कर रहे हैं. मौसम विज्ञान केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 वर्षों का औसतन तापमान 44 डिग्री सेल्सियत तक पहुंचा था. लेकिन इस साल अप्रैल माह में ही अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है.
दिन चढ़ते ही तीखी गर्मी महसूस होने लगाती है. दोपहर में चिलचिलाती धूप चेहरे को जलाने जैसा महसूस कराती है. इससे दोपहर में अधिकतर लोग दफ्तर या अपने घरों में कैद रहते हैं. सड़क पर वही लोग दिखते हैं, जिन्हें जरूरी काम होता है. स्थिति यह है कि दोपहर में सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता है. गर्मी की तपिश से बचाव में लोग तरबूज, खीरा, लस्सी और छांछ का खूब सेवन कर रहे हैं.
बढ़ती तपिश को देखते हुए डीसी नैंसी सहाय ने कहा कि दोपहर में घर से नहीं निकलने की अपील की है. उन्होंने लोगों के कहा है कि जरूरत रहने पर ही घर से निकलें. डीसी ने कहा कि गर्मी से सावधान रहें, ताकि आम लोग लू की चपेट में आने से बच सके. उन्होंने कहा कि गर्मी की वजह से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है. मरीजों की संख्या को देखते हुए अस्पतालों में व्यापक इंतजाम सुनिश्चित की गई है, ताकि मरीज को किसी तरह की परेशानी नहीं हो.
हजारीबाग में तापमान में भारी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. इसका कारण है कि पेड़ों को काटकर कंक्रीट के जंगल को माना जा रहा है. पर्यावरणविद् कहते हैं कि समय रहते सावधानी नहीं बरती गई तो इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ी को भुगतना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि गर्मी बढ़ते ही बारिश होने लगती थी, लेकिन अब यह बदलाव हुआ है, जो आने वाले समय में और घातक हो जाएगा.
पिछले 12 साल का अधिकतम तापमान का रिकॉर्ड
साल | अप्रैल | मई |
2010 | 42.0 डि.से | 41.5 डि.से |
2011 | 40.0 डि.से | 38.0 डि.से |
2012 | 41.0 डि.से | 42.0 डि.से |
2013 | 40.0 डि.से | 33.0 डि.से |
2014 | 40.5 डि.से | 40.5 डि.से |
2015 | 41.9 डि.से | 40.9 डि.से |
2016 | 40.4 डि.से | 39.9 डि.से |
2017 | 40.0 डि.से | 40.0 डि.से |
2018 | 39.3 डि.से | 38.1 डि.से |
2019 | 43.0 डि.से | 44.0 डि.से |
2020 | 43.0 डि.से | 44.0 डि.से |
2021 | 37.0 डि.से | 38.0 डि.से |
2022 | 42.0 डि.से |