हजारीबागः मोहम्मद खालिद एक ऐसा नाम है, जो झारखंड में परिचय का मोहताज नहीं है. लावारिस शवों का अंतिम संस्कार और भूखों के लिए रोटी बैंक बनाने वाले मोहम्मद खालिद ने अब 'संबंध' नाम की पत्रिका निकाली है. इस पत्रिका का उद्देश्य मुर्दा कल्याण समिति के बारे में लोगों को जानकारी देना है.
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समाजसेवियों के दान से चल रही समिति
पूरे झारखंड में मुर्दा कल्याण समिति पिछले कई सालों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रही है. रांची में एक साथ कई लावारिस शव का अंतिम संस्कार करने के बाद इन्हें समाज में प्रतिष्ठा भी मिली. आज के दिनों में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने के साथ-साथ भूखों के लिए रोटी बैंक भी इन्होंने बनाया है. कोरोना काल के दौरान संक्रमित मरीज की मौत के बाद अंतिम संस्कार भी मुर्दा कल्याण समिति कर रही है. इन्हीं बातों को लोगों बताने के लिए अब मुर्दा कल्याण समिति ने एक मासिक पत्रिका निकाली है. यह पत्रिका भी हजारीबाग के लोगों की मदद और दान से निकाली गई है. मुर्गा कल्याण समिति भी हजारीबाग के विभिन्न समाजसेवियों के दान के कारण ही चल रही है. इस पत्रिका का नाम 'संबंध' रखा गया है.
इनसे कराया विमोचन
मुर्दा कल्याण समिति के संचालक मोहम्मद खालिद ने अपनी मुंहबोली बहन दीप्ति खंडेलवाल के जन्मदिन पर इस पत्रिका का विमोचन उनके हाथों से कराया है. ऐसे में दीप्ति भी कहती हैं कि हमने इसके पहले खालिद को एक एंबुलेंस और एक लावारिस शव ढोने के लिए गाड़ी दी थी. अब उन्होंने पत्रिका का विमोचन मेरे हाथों से कराया है. इसका उद्देश्य काफी अच्छा है. मुझे बेहद खुशी है कि मैं उनकी बहन हूं.
पत्रिका का यह उद्देश्य
पत्रिका के जरिए मुर्दा कल्याण समिति हजारीबाग के लोगों को यह जानकारी देगी कि आखिर कौन व्यक्ति समिति को दान देता है, समिति कैसे चलती है और समिति चलाने के पीछे का उद्देश्य क्या है. वहीं लावारिस शव की पहचान हो सके. यह भी एक इसके पीछे का उद्देश्य है. इसके अलावा भी हजारीबाग के समाजसेवियों का जिक्र भी पत्रिका में होगा ताकि अन्य लोगों को भी प्रोत्साहित किया जा सके.