हजारीबागः जिले का बड़कागांव इन दिनों पूरे राज्य भर में सुर्खियों में है. दरअसल विगत लगभग 40 दिनों से यहां कोयला उत्खनन बंद है. साथ ही साथ ट्रांसपोर्टेशन का कार्य भी बाधित किया गया है.
आंदोलनकारी अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर धरने पर हैं. इनको यहां की विधायक अंबा प्रसाद का भी समर्थन प्राप्त है. ऐसे में बुधवार से कड़ी सुरक्षा के बीच ट्रांसपोर्टेशन का कार्य शुरू किया गया है, लेकिन अब विधायक अंबा प्रसाद ने चेतावनी दी है कि आगे भी यहां से सत्याग्रह जारी रहेगा. वहीं प्रशासन ने उन्हें माइनिंग क्षेत्र में जाने से भी रोक दिया.
बड़कागांव मामले को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ता जा रहा है, तो दूसरी ओर प्रशासनिक हलचल भी तेज हो चुकी है. विगत कई दिनों से डंप कोयले में आग लगने के बाद राष्ट्रीय क्षति होने की बात सामने आई थी.
ऐसे में स्थानीय जिला प्रशासन एनटीपीसी और रैयत के सहमति के बाद 2 दिनों से डंप कोयले को डिस्पैच किया जा रहा है. इसी बीच बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने रैयतों के साथ बैठक की है और उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षति को देखते हुए जनप्रतिनिधि एवं रैयतो ने कोयला डिस्पैच करने के लिए तैयार हो गए हैं, लेकिन यहां माइनिंग अभी नहीं होगा.
वहीं उन्होंने ऐलान किया है कि 15 दिनों का समय प्रशासन ने ट्रांसपोर्टेशन के लिए लिया है. इसके बाद हम लोग फिर से सत्याग्रह तब तक करेंगे जब तक हम लोगों की मांग पूरी नहीं होती है.
वहीं उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि क्षेत्र में माइनिंग नहीं होने देंगे. विधायक अंबा प्रसाद ने आरोप लगाया है कि कोयला डम्प में आग खुद से नहीं लगी है. बल्कि कंपनी के लोगों ने लगाई है, ताकि ट्रांसपोर्टेशन का कार्य शुरू किया जा सके. उनका कहना है कि मिट्टी तेल छिड़ककर इस घटना को अंजाम दिया गया, जब जब पदाधिकारी घटनास्थल पहुंचे हैं तो उन्होंने आग लगाया.
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अंबा प्रसाद ने इसी बीच माइनिंग क्षेत्र में भी जाने की कोशिश की जहां रैयत धरने पर अभी भी बैठे हुए हैं. जहां जिला प्रशासन ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया.
ऐसे में उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि को प्रशासन क्षेत्र में जाने से नहीं रोक सकती है. यह तरीका प्रशासन का सही नहीं है. मैं इसका निंदा करती हूं.
बहराल एनटीपीसी का मामला शांत होता नजर नहीं आ रहा है जरूरत है जिला प्रशासन और एनटीपीसी को अरे यह तो को विश्वास में लेकर मामले का पटाक्षेप करने की.