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हजारीबाग: 17 साल बाद परिजनों से मिला बिछुड़ा बेटा, योगी के रूप में मांग रहा था भिक्षा - हजारीबाग में परिजनों से मिला बिछुड़ा बेटा

हजारीबाग में दुर्गा पूजा एक परिवार के लिए खुशियों की सौगात के लेकर आई है. टाटीझरिया में एक परिवार को 17 बाद अपना बिछुड़ा बेटा मिला. बेटी योगी के रूप में अपनी मां से भिक्षा मांग रहा था. इसी बीच मां ने उसे पहचान लिया.

बिछुड़ा बेटा
बिछुड़ा बेटा
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Published : Oct 23, 2020, 1:13 AM IST

हजारीबाग: हिंदू धर्म में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है. दुर्गा पूजा के दौरान अगर कोई संत ,साधु या योगी घर पहुंचे तो शुभ माना जाता है, लेकिन हजारीबाग के टाटीझरिया में जब एक योगी भिक्षा मांगने के लिए पहुंचा तो उसे देखकर घरवाले खुशी के मारे रो पड़े और उसे गले से लगा लिया. दरअसल यह योगी आज से 17 साल पहले घर छोड़कर चला गया था और जब लौटा तो वह योगी के रूप में सामने आया.

हजारीबाग के टाटीझरिया के रहने वाले सुबोध ने 13 साल पहले 2003 मे घर छोड़ दिया था. घर छोड़ने का कारण उसके पिता ने उसे छाता मांगने पर छाता नहीं खरीद दिया.

ऐसे में वह गुस्सा होकर घर से दूर चला गया .16 अगस्त 2003 को अपने परिवार से दूर होने के बाद 17 साल के बाद अपना गांव लौटा और अपने मां से भिक्षा मांगी.

लेकिन मां ने भिक्षा तो नहीं दिया और उसे गले से लगा लिया. उसके पिता कौलेश्वरी मिश्र यह देखकर भाव विभोर हो उठे और जिद कर दिया कि वह घर से नहीं जाएं .

मां नगीना देवी उसे देख कर खुद को संभाल भी नहीं पा रही थी. क्योंकि 17 साल के बाद उसका बेटा उसके सामने था. जब उसके परिजनों ने कहा कि घर रुक जाओ तो उसने कहा कि गुरु का आदेश है और 4 साल के बाद हमारी दीक्षा पूरी होगी इसके बाद ही मैं घर आ सकूंगा.

यह भी पढ़ेंः बिहार : तेजस्वी की जनसभा में बेकाबू हुई भीड़, दर्जनों कुर्सियां टूटीं

यह कहकर उसने कुछ समय अपने घर के आंगन में बिताया और फिर बरकट्ठा के लिए रवाना हो गया. कुछ दूरी तक उसके परिजनों ने उसे अलविदा करने के लिए भी पहुंचे.

गेरुआ वस्त्र धारण किया सुबोध के बारे में कहा जाता है कि वह काफी शांत स्वभाव का था और कुछ पाने की उसकी जिद थी . सुबोध के बारे में यह भी कहा गया कि 3 दिन पूर्व चौपारण में उसे ननिहाल भिक्षा लेने के लिए पहुंचा था .ननिहाल से उसके घर फोन करके इसकी जानकारी दी गई. ऐसे में सुबोध ने कहा था कि वह बुधवार को झरपो भी पहुंचेगा.

हजारीबाग: हिंदू धर्म में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है. दुर्गा पूजा के दौरान अगर कोई संत ,साधु या योगी घर पहुंचे तो शुभ माना जाता है, लेकिन हजारीबाग के टाटीझरिया में जब एक योगी भिक्षा मांगने के लिए पहुंचा तो उसे देखकर घरवाले खुशी के मारे रो पड़े और उसे गले से लगा लिया. दरअसल यह योगी आज से 17 साल पहले घर छोड़कर चला गया था और जब लौटा तो वह योगी के रूप में सामने आया.

हजारीबाग के टाटीझरिया के रहने वाले सुबोध ने 13 साल पहले 2003 मे घर छोड़ दिया था. घर छोड़ने का कारण उसके पिता ने उसे छाता मांगने पर छाता नहीं खरीद दिया.

ऐसे में वह गुस्सा होकर घर से दूर चला गया .16 अगस्त 2003 को अपने परिवार से दूर होने के बाद 17 साल के बाद अपना गांव लौटा और अपने मां से भिक्षा मांगी.

लेकिन मां ने भिक्षा तो नहीं दिया और उसे गले से लगा लिया. उसके पिता कौलेश्वरी मिश्र यह देखकर भाव विभोर हो उठे और जिद कर दिया कि वह घर से नहीं जाएं .

मां नगीना देवी उसे देख कर खुद को संभाल भी नहीं पा रही थी. क्योंकि 17 साल के बाद उसका बेटा उसके सामने था. जब उसके परिजनों ने कहा कि घर रुक जाओ तो उसने कहा कि गुरु का आदेश है और 4 साल के बाद हमारी दीक्षा पूरी होगी इसके बाद ही मैं घर आ सकूंगा.

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यह कहकर उसने कुछ समय अपने घर के आंगन में बिताया और फिर बरकट्ठा के लिए रवाना हो गया. कुछ दूरी तक उसके परिजनों ने उसे अलविदा करने के लिए भी पहुंचे.

गेरुआ वस्त्र धारण किया सुबोध के बारे में कहा जाता है कि वह काफी शांत स्वभाव का था और कुछ पाने की उसकी जिद थी . सुबोध के बारे में यह भी कहा गया कि 3 दिन पूर्व चौपारण में उसे ननिहाल भिक्षा लेने के लिए पहुंचा था .ननिहाल से उसके घर फोन करके इसकी जानकारी दी गई. ऐसे में सुबोध ने कहा था कि वह बुधवार को झरपो भी पहुंचेगा.

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