हजारीबाग: चौपारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सरकारी आदेशानुसार हर माह की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं की जांच की जाती है. जांच कराने आई गर्भवती महिलाओं को जांच के बाद सरकार की ओर से 30 रुपये का नाश्ता देने का प्रावधान है, जबकि चौपारण सीएचसी में मात्र दो जलेबी देकर गर्भवती महिलाओं को भेज दिया जाता है.
सोशल डिस्टेंसिंग का भी नहीं हो रहा पालन
इस संबंध में महिलाओं ने कहा कि नाश्ते के नाम पर महज दो जलेबी दे दी जाती है. जिसकी बाजार में कीमत मात्र 10 रुपये होती है. बाकी का 20 रुपये का सीएचसी में बंदरबाट हो जाता है. ग्रामीण महिलाओं का आरोप है कि सरकारी प्रावधान के अनुसार सहिया दीदी को नाश्ता नहीं देना है. लेकिन अस्पताल में आपसी मिली भगत से सहिया दीदी को भी वही नाश्ता परोसा जाता है. साथ ही कोरोना काल में सोशल डिस्टेंस का भी पालन नहीं हो रहा है. जिससे महिलाओं में भय का माहौल व्याप्त है.
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गर्भवती महिलाओं की जांच
महिलाओं ने बताया की महिला चिकित्सक नहीं होने के कारण जांच एएनएम की तरफ से करवाया जाता है. जिसकी रिपोर्ट भी एएनएम ही देखती है. जानकारी हो कि गर्भवती महिलाओं को जांच के क्रम में मुख्य रूप से एचआईवी और हीमोग्लोबिन सहित कई प्रकार के अन्य जांचें भी जरूरी होती हैं. इस संबध में पूछे जाने पर डॉ. धीरज कुमार ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है, ये सब बीपीएम देखते हैं. वहीं बीपीएम जागेश्वर शर्मा ने बताया कि सरकारी प्रावधान के अनुसार सभी चीजें गर्भवती महिलाओं को दी जाती है. जबकि जांच कर रही बीटीटी सविता सिंह ने कहा कि 30 रुपये के नाश्ते का प्रावधान है पर मात्र 10 रुपये का नाश्ता गर्भवती महिलाओं को दिया जाता है.