हजारीबाग : पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल हजारीबाग इन दिनों सुर्खियों में है. यहां अनियमितता की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है. अब हजारीबाग पेयजल स्वच्छता विभाग में अनियमितता की बात सामने आ रही है. पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल में गड़बड़ियों के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी की जा रही है.
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स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत हजारीबाग प्रमंडल झारखंड में वित्तीय लेखा एवं अन्य की जांच की गई थी. इसे लेकर 24 नवंबर को सरकार की ओर से संयुक्त सचिव संयुक्त, निदेशक पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने पत्र जारी किया था. इसमें कहा गया था कि चार सदस्यीय दल द्वारा प्रमंडल भ्रमण के दौरान जांच की गई, जिसमें गड़बड़ी पाई गई. इस संबंध में स्पष्टीकरण भी मांगा गया.
यह था मामला
दरअसल, पेयजल स्वच्छता विभाग की जांच में मंत्री को 5000 रुपये से अधिक के गुलदस्ते का बिल लगाया जाना मिला, जिसे मंजूरी भी मिल गई. विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर को जो बुके दिया गया था उसकी कीमत ₹5400 दिखाई गई थी. 24 फरवरी 2021 को राहुल कुमार मालाकार को इसका भुगतान दिखाया गया. इसके अलावा हजारीबाग अनुमंडल पदाधिकारी को एक वाहन उपलब्ध कराया गया है, जिसका नंबर jh02AR 3465 है. वाहन का प्रकार स्कॉर्पियो बताया गया है, जिसके लिए जनवरी 2021 से जून तक 1 लाख 70 हजार का भुगतान दिखाया गया. साल 2020 से 2021 में केवल अनुमंडल पदाधिकारी के वाहन पर ईंधन के लिए 2 लाख 30 हजार 64 रुपये खर्च दिखाई गई. महामारी के समय इतना पैसा तेल पर खर्च होने पर सवाल उठ रहे हैं. यह बताया गया कि स्वच्छ भारत मिशन के दौरान जांच गाड़ी पर यह पैसा खर्चा किया गया. पेयजल स्वच्छता विभाग की जांच के बाद तैयार 190 पेज की रिपोर्ट में कई तरह की अनियमितता दिखाई गईं है.
तीन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट की तैयारी
इधर अधीक्षण अभियंता ने बताया कि हजारीबाग प्रमंड की टीम की जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यपालक अभियंता की ओर से तीन लोगों पर एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी चल रही है. जिसमें तत्कालीन कार्यपालक अभियंता राकेश कुमार मारकंडे, कंप्यूटर ऑपरेटर राकेश कुमार और लेखापाल उमेश कुमार का नाम शामिल है. हजारीबाग सदर थाना में इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी भी चल रही है.विभाग की ओर से लिखित आवेदन दिया जा चुका है.
बोरिंग कम दिखा दी अधिक
हजारीबाग पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल में घोटालों की जो फेहरिस्त सामने आ रही है.इसमें यह भी कहा जा रहा है कि विभाग में 200 करोड़ रुपये तक का घोटाला है. अधूरे काम को पूरा दिखाकर ठेकेदारों ने पूरा पैसा निकाल लिया है. एसबीएम अर्थात एकल ग्राम योजना में गड़बड़ी को लेकर भी सवाल खड़ा किया जा रहा है. साथ ही कहा जा रहा है कि ब्रजमोहन और मनोज कुमार जो कर्मी हैं उन्होंने अपने परिजनों की टेंडर के दौरान मदद की. यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि चापानल निर्माण में भी अनियमितता हुई 180 फीट की जगह 100 फीट ही बोरिंग की गई.
अधीक्षण अभियंता की सफाई
हालांकि कई आरोपों को अधीक्षण अभियंता हरेंद्र कुमार मिश्र ने खारिज किया है. उन्होंने कहा कि चापाकल लगाने में अनियमितता नहीं हुई है. फिर भी हमारी ओर से जांच करने का आदेश दिया गया है. दिसंबर अंत तक जांच रिपोर्ट सामने आ जाएगी.
कर्मचारियों के रिश्तेदारों को ठेका
पेयजल एवं स्वच्छता अंचल के विभिन्न प्रमंडल में SVS (एकल ग्राम योजना) के तहत कई योजनाओं पर निर्माण के लिए प्रमंडल द्वारा निविदा निकाला गया था. जिसमें कुल 201 कार्य आदेश निर्गत किए गए थे. संवेदक में सूर्य प्रसाद गुप्ता को कुल पांच टेंडर जिसकी राशि 97.10 लाख रुपया, जो अंचल कार्यालय में कार्यरत बृज मोहन प्रसाद लेखा लिपिक के भाई है, वहीं संवेदक सरस्वती इंटरप्राइजेज को कुल 3 टेंडर 138.05 लाख के मिले. फर्म के पार्टनर उमेश कुमार और अमर यादव हैं, जो प्रमंडल के कार्यालय में कार्यरत मनोज कुमार लेखा लिपिक के भाई एवं बहनोई हैं.
हालांकि अधीक्षण अभियंता हरेंद्र कुमार मिश्र ने आरोपों को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि संवेदक निबंधन नियमावली में कहा गया है कि ऐसे संवेदक किसी अंचल में निविदा समर्पित करने के हकदार नहीं होंगे जिनमें उनके संबंधी पति-पत्नी, माता-पिता सहोदर भाई सहोदर बहन हो. इस कारण नियम का उल्लंघन नहीं होता है. फिर भी एक जांच समिति बनी है उसकी रिपोर्ट आने पर उचित कार्रवाई करेंगे.