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अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी बोझा ढोने को मजबूर, सरकार से लगाई मदद की गुहार - अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल मैच में हिस्सा

हजारीबाग के बड़कागांव के कदमाडीह गांव निवासी अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल प्लेयर झालो कुमारी आर्थिक तंगी की सामना कर रही हैं. उन्होंने जिले के साथ-साथ राज्य का नाम रोशन किया है, लेकिन आज वो बोझा ढोने को मजबूर हैं. जिनका चर्चा कभी बेहतर खेलों के वजह से हर जुबान पर थी, वो खुद सरकार से मदद की गुहार लगा रही हैं.

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खिलाड़ी बोझा ढोने को मजबूर
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Published : Dec 11, 2020, 9:37 PM IST

हजारीबाग: अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी झालो कुमारी ने कभी झारखंड का नाम दुनियाभर में रोशन किया था लेकिन आज वो खुद अपनी जिंदगी को अंधेरे में पाती हैं. आर्थिक तंगी के चलते इन दिनों झालो खेत में काम करने को मजबूर हैं. कभी कभार तो उन्हें दूसरे के घरों में बर्तन-पोछा भी करना पड़ता है.

देखें स्पेशल स्टोरी

मैदान में फिर से उतरने की चाहत

हजारीबाग मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर बड़कागांव के कदमाडीह गांव की रहने वाली झालो कुमारी ने फुटबॉल खेलने की शुरुआत अपने स्कूल से की थी. धीरे-धीरे स्कूल से जिला, जिला से राज्य, राज्य से राष्ट्रीय और फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक उन्होंने अपना हुनर दिखाया. झालो ने उत्तराखंड, महाराष्ट्र और पुणे के अलावा कई राज्यों में झारखंड का नाम रोशन किया. झालो ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ्रांस में भी जाकर मैच खेला, जिसमें ब्राजील, रोमानिया और डेनमार्क के खिलाड़ियों से उनका मुकाबला हुआ. आज यह अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मुफलिसी की जिंदगी जी रही हैं. ईटीवी भारत से उन्होंने अपनी चाहत साझा करते हुए कहा कि वो फिर से खेल के मैदान में उतरकर अपना दमखम दिखाना चाहती हैं. ऐसा कहते हुए झालो भावुक हो जाती हैं.



चार साल बाद पहनी जर्सी

ईटीवी भारत की टीम ने उनसे पूछा कि क्या आपके पास अपनी जर्सी है, तो वो काफी भावुक हो गईं. झालो ने कहा कि उन्होंने अपनी जर्सी संभाल कर रखी है. उसी जर्सी को पहनकर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल मैच में हिस्सा लिया था. उन्होंने कहा कि ये जर्सी अनमोल है, ईटीवी भारत ने यादें ताजा कर दी इसलिए पहली बार अपने ससुराल में जर्सी पहन रही हैं.

इसे भी पढ़ें: हजारीबाग: कोहरे की चादर में लिपटा चौपारण, यातायात प्रभावित

झालो के पास सर्टिफिकेट की मोटी फाइल

झालो कुमारी के पास सर्टिफिकेट की एक मोटी फाइल है. उनके खेल की चर्चा अब डायरी की शोभा बनकर रह गई है. झालो के पति कहते हैं कि उनकी काफी इच्छा थी कि झालो और आगे तक जाएं और देश का नाम रोशन करें, लेकिन उसका पूरा सपना बेकार हो गया. सरकार तो खिलाड़ियों को उत्साहित करने के लिए कई योजना चला रही है, लेकिन उसका लाभ नहीं मिला.

सरकार से मदद की गुहार

झालो कुमारी के पास एक फुटबॉल है, जिसे वह मन लगाने के लिए कभी कभार खेलती हैं. कभी अपने बच्चे के साथ तो कभी अपने पति के साथ. झालो कहती हैं कि फुटबॉल उनका सपना है लेकिन शादी हो जाने के बाद वे इस खेल से दूर होती चली गई. अगर पैसा होता तो वह अपने खेल को और भी आगे ले जातीं. उन्होंने कहा कि अब अपना दिल लगाने के लिए घर पर ही खेलती हैं, लेकिन यह जरूर चाहती हैं कि सरकार खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करे. उन्होंने खुद के लिए भी सरकार से नौकरी की मांग की है ताकि वो अपनी जिंदगी बेहतर तरीके से जी सके.

हजारीबाग: अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी झालो कुमारी ने कभी झारखंड का नाम दुनियाभर में रोशन किया था लेकिन आज वो खुद अपनी जिंदगी को अंधेरे में पाती हैं. आर्थिक तंगी के चलते इन दिनों झालो खेत में काम करने को मजबूर हैं. कभी कभार तो उन्हें दूसरे के घरों में बर्तन-पोछा भी करना पड़ता है.

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मैदान में फिर से उतरने की चाहत

हजारीबाग मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर बड़कागांव के कदमाडीह गांव की रहने वाली झालो कुमारी ने फुटबॉल खेलने की शुरुआत अपने स्कूल से की थी. धीरे-धीरे स्कूल से जिला, जिला से राज्य, राज्य से राष्ट्रीय और फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक उन्होंने अपना हुनर दिखाया. झालो ने उत्तराखंड, महाराष्ट्र और पुणे के अलावा कई राज्यों में झारखंड का नाम रोशन किया. झालो ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ्रांस में भी जाकर मैच खेला, जिसमें ब्राजील, रोमानिया और डेनमार्क के खिलाड़ियों से उनका मुकाबला हुआ. आज यह अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मुफलिसी की जिंदगी जी रही हैं. ईटीवी भारत से उन्होंने अपनी चाहत साझा करते हुए कहा कि वो फिर से खेल के मैदान में उतरकर अपना दमखम दिखाना चाहती हैं. ऐसा कहते हुए झालो भावुक हो जाती हैं.



चार साल बाद पहनी जर्सी

ईटीवी भारत की टीम ने उनसे पूछा कि क्या आपके पास अपनी जर्सी है, तो वो काफी भावुक हो गईं. झालो ने कहा कि उन्होंने अपनी जर्सी संभाल कर रखी है. उसी जर्सी को पहनकर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल मैच में हिस्सा लिया था. उन्होंने कहा कि ये जर्सी अनमोल है, ईटीवी भारत ने यादें ताजा कर दी इसलिए पहली बार अपने ससुराल में जर्सी पहन रही हैं.

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झालो के पास सर्टिफिकेट की मोटी फाइल

झालो कुमारी के पास सर्टिफिकेट की एक मोटी फाइल है. उनके खेल की चर्चा अब डायरी की शोभा बनकर रह गई है. झालो के पति कहते हैं कि उनकी काफी इच्छा थी कि झालो और आगे तक जाएं और देश का नाम रोशन करें, लेकिन उसका पूरा सपना बेकार हो गया. सरकार तो खिलाड़ियों को उत्साहित करने के लिए कई योजना चला रही है, लेकिन उसका लाभ नहीं मिला.

सरकार से मदद की गुहार

झालो कुमारी के पास एक फुटबॉल है, जिसे वह मन लगाने के लिए कभी कभार खेलती हैं. कभी अपने बच्चे के साथ तो कभी अपने पति के साथ. झालो कहती हैं कि फुटबॉल उनका सपना है लेकिन शादी हो जाने के बाद वे इस खेल से दूर होती चली गई. अगर पैसा होता तो वह अपने खेल को और भी आगे ले जातीं. उन्होंने कहा कि अब अपना दिल लगाने के लिए घर पर ही खेलती हैं, लेकिन यह जरूर चाहती हैं कि सरकार खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करे. उन्होंने खुद के लिए भी सरकार से नौकरी की मांग की है ताकि वो अपनी जिंदगी बेहतर तरीके से जी सके.

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