हजारीबाग: मानसून के दौरान सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती है. बरसात में सांप घरों में भी घुस जाते हैं. ऐसे में कई लोग दहशत में आ जाते हैं. आमतौर पर मई से जुलाई के दौरान सांप अंडे देते हैं और इस दौरान वे अपने बिल से बाहर निकलकर भोजन की तलाश में घरों में घुस जाते हैं. इस दौरान कई लोग सर्पदंश के शिकार भी हो जाते हैं. सिर्फ हजारीबाग की बात करें तो एक साल में 394 में सर्पदंश की घटनाएं सामने आई हैं जिसमें दो दर्जन से अधिक मौत हुई है.
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सांप काटने पर क्या करें ?
सांप काटने के बाद ज्यादातर लोग घबरा जाते हैं. उन्हें समझ नहीं आता है कि क्या करें. हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सेवा देने वाली डॉक्टर सुमेधा राणा बताती हैं कि सांप काटने पर तुरंत अस्पताल का रुख करना चाहिए. सांप काटने पर पैनिक होने की जरूरत नहीं. जिस जगह सांप ने डसा है वहां हल्का रस्सी बांधकर मरीज को तुरंत अस्पताल लाना चाहिए. इस दौरान कोशिश करनी चाहिए कि वह शख्स चहलकदमी न करे. इससे खतरा बढ़ सकता है.
इन बातों को फॉलो करें-
- जिसे सांप ने डंसा है उसे चलने-फिरने नहीं दें
- जहां सांप ने डंसा है उसके ऊपर तक रस्सी घुमा-घुमाकर बांधनी चाहिए
- इससे शरीर में खून का संचार धीमी हो जाती है और जहर फैलता नहीं है
- व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक रूप से आत्मबल बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए
- रोना नहीं चाहिए और चिरा नहीं लगाना चाहिए
- शरीर का कोई नस काटने की जरूरत नहीं
- विष निकालने के लिए मुंह लगाने की जरूरत नहीं, इससे जान का खतरा हो सकता है
- जल्द से जल्द एंटी-वेनोम(Anti-Venom) इंजेक्शन लगवाएं
झाड़-फूंक के चक्कर में न फंसें, मरीज को तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचें
स्नेक रेस्क्यूवर मुरारी सिंह का कहना है कि आम लोगों को सांपों के बारे में जानकारी नहीं होती. खासकर ग्रामीण इलाकों में लोग झाड़-फूंक का भी सहारा लेते हैं. ओझा ग्रामीणों को मूर्ख बनाकर पैसा भी ले लेते हैं लेकिन कुछ होता नहीं है. दरअसल, झारखंड में 23 प्रकार के ऐसे सांप मिलते हैं जो विषैले नहीं होते. ओझा झाड़-फूंक करते हैं और मरीज बच जाता है. ऐसे में वे कहते हैं कि हमने मरीज को बचा लिया. यह अंधविश्वास ही लोगों के लिए घातक साबित हो रहा है. सांप काटे तो बिना देर किए लोगों को अस्पताल पहुंचना चाहिए.
सांपों के बारे में रखें थोड़ी जानकारी
कई बार सांप निकलने पर घर में अफरा तफरी का माहौल बन जाता है. कई लोग सांप को मार देते हैं तो कई लोग रेस्क्यू करने वालों से संपर्क करते हैं. स्नेक रेस्क्यूवर मुरारी सिंह का कहना है कि झारखंड में मुख्य तौर पर तीन विषैले सांप होते हैं जिसमें नाग, करैत और रसैल वाईपर है. इन सभी की दो-दो प्रजाति भी यहां देखने को मिलती है. इन तीन सांप के अलावा जितने भी सांप हैं वह विषैले नहीं हैं. इनमें करैत सबसे जहरीला होता है जो धीरे-धीरे शरीर पर असर करता है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर फिल्म, साहित्य और विभिन्न तरह की कहानी ने सभी सांपों को जहरीला साबित कर दिया है. इसके कारण आज सांपों की हत्या हो रही है. ऐसे में लोगों को सांप के विषय में जानकारी भी रखने की जरूरत है.
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सांपों को मारने से इकोलॉजी पर पड़ेगा असर
सांपों पर जानकारी इकट्ठा करने वाले पीयूष कहते हैं कि आजकल लोग सांप निकलते ही उसे मार देते हैं. यह गलत है. अगर सांप निकले तो उसे वैसे लोगों की मदद से बचाना चाहिए जो सांप पकड़ते हैं. अगर सांप मारा जाएगा तो इससे इकोलॉजी पर भी असर पड़ेगा. सांप चूहों को खाते हैं. चूहा किसानों का सबसे बड़ा दुश्मन है. अगर हम सांप मारेंगे तो इसका असर किसानों पर पड़ेगा. इसे समझने की जरूरत है.
हजारीबाग के सिविल सर्जन का कहना है कि अस्पताल में सांप काटने पर दवा उपलब्ध है. अगर ग्रामीण क्षेत्रों में भी सांप काटे तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को ले जाना चाहिए. इसके अलावा हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में भी पर्याप्त मात्रा में एंटी वेनम है. समय पर मरीज को देने से जान बच सकती है. एचएमसीएच की डॉक्टर सुमेधा राणा का कहना है कि सांप काटने को लेकर लोगों को लगातार जागरुक कर रहे हैं. अस्पताल में इसको लेकर पूरी तैयारी है. ऐसा कोई शख्स आता है तो उसके तत्काल इलाज की व्यवस्था है.
झाड़-फूंक के चक्कर में चली गई जान
केस स्टडी-1
टाटीझरिया प्रखंड में पिछले सप्ताह धरमपुर निवासी रामेश्वर माली को करैत सांप ने काट लिया था और उसकी मौत हो गई थी. परिवार वाले उसे अस्पताल ले जाने की बजाय तांत्रिक के पास झाड़-फूंक कराने ले गए. युवक की शादी होने वाली थी और वधु पक्ष के लोग तिलक चढ़ाने आए थे. इसी दौरान सांप ने काट लिया और उसकी मौत हो गई थी.
केस स्टडी-2
करीब एक महीने पहले इचाक प्रखंड में सांप काटने से युवती की मौत हुई है. युवती विनोबा भावे विश्वविद्यालय में एमए की छात्रा थी. झाड़-फूंक के चक्कर में उसकी जान चली गई थी.
केस स्टडी-3
टाटीझरिया में पिछले दिनों झाड़-फूंक का मामला आया था जहां सांप डंसने के बाद पांच साल के एक बच्चे को परिजन डॉक्टरों के पास ले जाने की बजाय झाड़-फूंक के लिए ले गए. बच्चे की किस्मत अच्छी थी और वह बच गया क्योंकि जिस सांप ने उसे काटा था वह जहरीला नहीं था.