हजारीबाग: जब कोई योजना धरातल पर उतारी जाती है तो सबसे पहले उस योजना का लाभ कैसे आम जनता को मिले सबसे पहले इस पर विचार-विमर्श किया जाता है. लेकिन हजारीबाग के बोंगा में योजना पर विचार किए बिना ही औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बनाने में करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए हैं. इसका नतीजा यह हुआ कि संस्थान का भवन तो बनकर तैयार हो गया लेकिन इसका लाभ किसी को नहीं मिल रहा है.
कब और कितने की लागत से बनकर तैयार हुआ भवन
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के लिए भवन का निर्माण 8.48 करोड़ की लागत से वर्ष 2015 में किया गया था. इस भवन का निर्माण हजारीबाग के गांव बोंगा में किया गया है जो एनएच 33 से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर है.
क्या था भवन का उद्देश्य, कितना पूरा हुआ लक्ष्य
कौशल विकास योजना के तहत हर किसी में कौशल का विकास करना इसका मुख्य उद्देश्य था. अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इस पर करोड़ों खर्च तो कर दिए गए लेकिन प्रशिक्षण के लिए भवन का इस्तेमाल एक दिन भी नहीं हुआ. ऐसे में लक्ष्य प्राप्ति मात्र एक सपना बनकर रह गया है.
![impact of government negligence ITI building not started in hazaribagh](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4058068_pic.jpg)
क्या है समस्या
प्रशिक्षण संस्थान के आज तक शुरू न होने का मुख्य कारण है सड़कों का अभाव. संस्थान का निर्माण ऐसे जगह किया गया है जहां पहुंचने के लिए कोई सड़क ही नहीं है. ऐसा नहीं है कि सड़क की हालत बाद में बुरी हुई है. जब इस परियोजना के बारे में विचार किया जा रहा था तब भी विभाग का ध्यान इस ओर दिलाया गया था कि भवन निर्माण के पहले सड़क निर्माण आवश्यक है लेकिन विभाग ने इसकी अनदेखी करते हुए केवल संस्थान निर्माण की परियाजना को धरातल पर उतार दिया.
![impact of government negligence ITI building not started in hazaribagh](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4058068_pics.png)
नाले और जंगल से होकर गुजरते हैं लोग
2015 में ही भवन का निर्माण हो चुका था. अगर निर्माण के पहले सड़कों को नहीं बनवाया जा सका तब भी 4 वर्ष में सड़क को लेकर काम तो किया जा ही सकता था. लेकिन विभाग के ढीले ढाले रवैये से करोड़ो रुपए ही बर्बाद नहीं हो रहे बल्कि नौजवानों के सपने भी इन खराब सड़कों की बलि चढ़ रहे हैं. आज सड़कों का आलम यह है कि संस्थान तक पहुंचने के लिए लोग नाले और जंगल से होकर गुजरने के लिए मजबूर हैं.
नहीं हो पा रहा रख-रखाव
भवन की हालत देखकर आज यही लगता है कि विभाग इसे लेकर पूरी तरह उदासीन हो चुका है, सड़क निर्माण की ओर ध्यान देना तो दूर विभाग ने इसके रखरखाव के लिए भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. रखरखाव के अभाव में भवन जर्जर हो रहा है, करोड़ों की संपत्ति यहां बर्बाद हो रही है, चारों तरफ झाड़ी उग गये है और भवन के अंदर पड़े सामानों की चोरी हो जाने का खतरा स्थानीय लोगों को अलग ही सता रहा है. इसलिए स्थानीय लोग ही यहां गार्ड का काम कर रहे हैं लेकिन जो सुरक्षा में लगे हुए हैं उन्हें भी अंधेरे और सुनसान में रहना पड़ रहा है.
क्या स्थानीय लोग जमीन देने को नहीं हैं तैयार
स्थानीय रैयत अपना जमीन देने को अगर तैयार नहीं होते तो इतना बड़ा भवन बनाना सरकार के लिए संभव ही नहीं हो पाता.
मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र में भी दर्ज है शिकायत
इस मामले को लेकर समाजसेवियों ने मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र में शिकायत भी दर्ज की है. लेकिन अब तक कोई कार्य नहीं हो पाया है.
हो रही पैसे की बर्बादी
ट्रेनिंग सेंटर के ऐसे हालात में यह कहना गलत नहीं होगा कि आम जनता की गाढ़ी कमाई से जो टैक्स लिया गया है जिससे विकास की बुनियाद रखी जानी चाहिए. वह अधिकारियों की लापरवाही के कारण पानी की तरह बहाया जा रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी और ग्रामीण
इस मामले पर सीओ उषा मिंज का कहना है कि मामले को लेकर उच्च अधिकारियों से बात की गई है. बहुत जल्द ही समस्या का समाधान होगा. बड़े अधिकारियों का भी कहना है कि रैयत जमीन देने को तैयार है लेकिन इसके बाद भी अगर विलंब हो रहा है तो इसे सरकारी लापरवाही ही कहा जा सकता है. वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि भी अगर सड़क बन जाता और कॉलेज में पढ़ाई शुरू हो जाती तो इसका फायदा ग्रामीण लड़कों को ही मिलता.