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हजारीबागः सरकारी लापरवाही की बानगी, 4 साल बाद भी नहीं शुरू हुई आईटीआई कॉलेज में पढ़ाई - मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र

सरकारी पैसे का दुरूपयोग किस तरह होता है इसकी एक बानगी हजारीबाग के बोंगा में निर्मित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के रूप में नजर आ रहा है. इसका कारण है कि 8.48 करोड़ की लागत से वर्ष 2015 में निर्मित इस आईटीआई कॉलेज में सड़क के अभाव में आज तक शुरू नहीं हो सका है.

4 वर्ष बाद भी नहीं शुरू हुई आईटीआई भवन में ट्रेनिंग
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Published : Aug 7, 2019, 12:08 AM IST

हजारीबाग: जब कोई योजना धरातल पर उतारी जाती है तो सबसे पहले उस योजना का लाभ कैसे आम जनता को मिले सबसे पहले इस पर विचार-विमर्श किया जाता है. लेकिन हजारीबाग के बोंगा में योजना पर विचार किए बिना ही औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बनाने में करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए हैं. इसका नतीजा यह हुआ कि संस्थान का भवन तो बनकर तैयार हो गया लेकिन इसका लाभ किसी को नहीं मिल रहा है.

देखें यह स्पेशल स्टोरी


कब और कितने की लागत से बनकर तैयार हुआ भवन
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के लिए भवन का निर्माण 8.48 करोड़ की लागत से वर्ष 2015 में किया गया था. इस भवन का निर्माण हजारीबाग के गांव बोंगा में किया गया है जो एनएच 33 से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर है.


क्या था भवन का उद्देश्य, कितना पूरा हुआ लक्ष्य
कौशल विकास योजना के तहत हर किसी में कौशल का विकास करना इसका मुख्य उद्देश्य था. अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इस पर करोड़ों खर्च तो कर दिए गए लेकिन प्रशिक्षण के लिए भवन का इस्तेमाल एक दिन भी नहीं हुआ. ऐसे में लक्ष्य प्राप्ति मात्र एक सपना बनकर रह गया है.

impact of government negligence ITI building not started in hazaribagh
जर्जर हालत में आईटाआई भवन


क्या है समस्या
प्रशिक्षण संस्थान के आज तक शुरू न होने का मुख्य कारण है सड़कों का अभाव. संस्थान का निर्माण ऐसे जगह किया गया है जहां पहुंचने के लिए कोई सड़क ही नहीं है. ऐसा नहीं है कि सड़क की हालत बाद में बुरी हुई है. जब इस परियोजना के बारे में विचार किया जा रहा था तब भी विभाग का ध्यान इस ओर दिलाया गया था कि भवन निर्माण के पहले सड़क निर्माण आवश्यक है लेकिन विभाग ने इसकी अनदेखी करते हुए केवल संस्थान निर्माण की परियाजना को धरातल पर उतार दिया.

impact of government negligence ITI building not started in hazaribagh
आईटीआई ट्रेनिंग सेंटर की हालत


नाले और जंगल से होकर गुजरते हैं लोग
2015 में ही भवन का निर्माण हो चुका था. अगर निर्माण के पहले सड़कों को नहीं बनवाया जा सका तब भी 4 वर्ष में सड़क को लेकर काम तो किया जा ही सकता था. लेकिन विभाग के ढीले ढाले रवैये से करोड़ो रुपए ही बर्बाद नहीं हो रहे बल्कि नौजवानों के सपने भी इन खराब सड़कों की बलि चढ़ रहे हैं. आज सड़कों का आलम यह है कि संस्थान तक पहुंचने के लिए लोग नाले और जंगल से होकर गुजरने के लिए मजबूर हैं.


नहीं हो पा रहा रख-रखाव
भवन की हालत देखकर आज यही लगता है कि विभाग इसे लेकर पूरी तरह उदासीन हो चुका है, सड़क निर्माण की ओर ध्यान देना तो दूर विभाग ने इसके रखरखाव के लिए भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. रखरखाव के अभाव में भवन जर्जर हो रहा है, करोड़ों की संपत्ति यहां बर्बाद हो रही है, चारों तरफ झाड़ी उग गये है और भवन के अंदर पड़े सामानों की चोरी हो जाने का खतरा स्थानीय लोगों को अलग ही सता रहा है. इसलिए स्थानीय लोग ही यहां गार्ड का काम कर रहे हैं लेकिन जो सुरक्षा में लगे हुए हैं उन्हें भी अंधेरे और सुनसान में रहना पड़ रहा है.


क्या स्थानीय लोग जमीन देने को नहीं हैं तैयार
स्थानीय रैयत अपना जमीन देने को अगर तैयार नहीं होते तो इतना बड़ा भवन बनाना सरकार के लिए संभव ही नहीं हो पाता.


मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र में भी दर्ज है शिकायत
इस मामले को लेकर समाजसेवियों ने मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र में शिकायत भी दर्ज की है. लेकिन अब तक कोई कार्य नहीं हो पाया है.


हो रही पैसे की बर्बादी
ट्रेनिंग सेंटर के ऐसे हालात में यह कहना गलत नहीं होगा कि आम जनता की गाढ़ी कमाई से जो टैक्स लिया गया है जिससे विकास की बुनियाद रखी जानी चाहिए. वह अधिकारियों की लापरवाही के कारण पानी की तरह बहाया जा रहा है.


क्या कहते हैं अधिकारी और ग्रामीण
इस मामले पर सीओ उषा मिंज का कहना है कि मामले को लेकर उच्च अधिकारियों से बात की गई है. बहुत जल्द ही समस्या का समाधान होगा. बड़े अधिकारियों का भी कहना है कि रैयत जमीन देने को तैयार है लेकिन इसके बाद भी अगर विलंब हो रहा है तो इसे सरकारी लापरवाही ही कहा जा सकता है. वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि भी अगर सड़क बन जाता और कॉलेज में पढ़ाई शुरू हो जाती तो इसका फायदा ग्रामीण लड़कों को ही मिलता.

हजारीबाग: जब कोई योजना धरातल पर उतारी जाती है तो सबसे पहले उस योजना का लाभ कैसे आम जनता को मिले सबसे पहले इस पर विचार-विमर्श किया जाता है. लेकिन हजारीबाग के बोंगा में योजना पर विचार किए बिना ही औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बनाने में करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए हैं. इसका नतीजा यह हुआ कि संस्थान का भवन तो बनकर तैयार हो गया लेकिन इसका लाभ किसी को नहीं मिल रहा है.

देखें यह स्पेशल स्टोरी


कब और कितने की लागत से बनकर तैयार हुआ भवन
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के लिए भवन का निर्माण 8.48 करोड़ की लागत से वर्ष 2015 में किया गया था. इस भवन का निर्माण हजारीबाग के गांव बोंगा में किया गया है जो एनएच 33 से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर है.


क्या था भवन का उद्देश्य, कितना पूरा हुआ लक्ष्य
कौशल विकास योजना के तहत हर किसी में कौशल का विकास करना इसका मुख्य उद्देश्य था. अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इस पर करोड़ों खर्च तो कर दिए गए लेकिन प्रशिक्षण के लिए भवन का इस्तेमाल एक दिन भी नहीं हुआ. ऐसे में लक्ष्य प्राप्ति मात्र एक सपना बनकर रह गया है.

impact of government negligence ITI building not started in hazaribagh
जर्जर हालत में आईटाआई भवन


क्या है समस्या
प्रशिक्षण संस्थान के आज तक शुरू न होने का मुख्य कारण है सड़कों का अभाव. संस्थान का निर्माण ऐसे जगह किया गया है जहां पहुंचने के लिए कोई सड़क ही नहीं है. ऐसा नहीं है कि सड़क की हालत बाद में बुरी हुई है. जब इस परियोजना के बारे में विचार किया जा रहा था तब भी विभाग का ध्यान इस ओर दिलाया गया था कि भवन निर्माण के पहले सड़क निर्माण आवश्यक है लेकिन विभाग ने इसकी अनदेखी करते हुए केवल संस्थान निर्माण की परियाजना को धरातल पर उतार दिया.

impact of government negligence ITI building not started in hazaribagh
आईटीआई ट्रेनिंग सेंटर की हालत


नाले और जंगल से होकर गुजरते हैं लोग
2015 में ही भवन का निर्माण हो चुका था. अगर निर्माण के पहले सड़कों को नहीं बनवाया जा सका तब भी 4 वर्ष में सड़क को लेकर काम तो किया जा ही सकता था. लेकिन विभाग के ढीले ढाले रवैये से करोड़ो रुपए ही बर्बाद नहीं हो रहे बल्कि नौजवानों के सपने भी इन खराब सड़कों की बलि चढ़ रहे हैं. आज सड़कों का आलम यह है कि संस्थान तक पहुंचने के लिए लोग नाले और जंगल से होकर गुजरने के लिए मजबूर हैं.


नहीं हो पा रहा रख-रखाव
भवन की हालत देखकर आज यही लगता है कि विभाग इसे लेकर पूरी तरह उदासीन हो चुका है, सड़क निर्माण की ओर ध्यान देना तो दूर विभाग ने इसके रखरखाव के लिए भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. रखरखाव के अभाव में भवन जर्जर हो रहा है, करोड़ों की संपत्ति यहां बर्बाद हो रही है, चारों तरफ झाड़ी उग गये है और भवन के अंदर पड़े सामानों की चोरी हो जाने का खतरा स्थानीय लोगों को अलग ही सता रहा है. इसलिए स्थानीय लोग ही यहां गार्ड का काम कर रहे हैं लेकिन जो सुरक्षा में लगे हुए हैं उन्हें भी अंधेरे और सुनसान में रहना पड़ रहा है.


क्या स्थानीय लोग जमीन देने को नहीं हैं तैयार
स्थानीय रैयत अपना जमीन देने को अगर तैयार नहीं होते तो इतना बड़ा भवन बनाना सरकार के लिए संभव ही नहीं हो पाता.


मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र में भी दर्ज है शिकायत
इस मामले को लेकर समाजसेवियों ने मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र में शिकायत भी दर्ज की है. लेकिन अब तक कोई कार्य नहीं हो पाया है.


हो रही पैसे की बर्बादी
ट्रेनिंग सेंटर के ऐसे हालात में यह कहना गलत नहीं होगा कि आम जनता की गाढ़ी कमाई से जो टैक्स लिया गया है जिससे विकास की बुनियाद रखी जानी चाहिए. वह अधिकारियों की लापरवाही के कारण पानी की तरह बहाया जा रहा है.


क्या कहते हैं अधिकारी और ग्रामीण
इस मामले पर सीओ उषा मिंज का कहना है कि मामले को लेकर उच्च अधिकारियों से बात की गई है. बहुत जल्द ही समस्या का समाधान होगा. बड़े अधिकारियों का भी कहना है कि रैयत जमीन देने को तैयार है लेकिन इसके बाद भी अगर विलंब हो रहा है तो इसे सरकारी लापरवाही ही कहा जा सकता है. वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि भी अगर सड़क बन जाता और कॉलेज में पढ़ाई शुरू हो जाती तो इसका फायदा ग्रामीण लड़कों को ही मिलता.

Intro:जब कोई योजना धरातल पर उतारी जाती है तो सबसे पहले उस योजना का लाभ कैसे आम जनता को मिले इस पर विचार विमर्श की जाती है। लेकिन हजारीबाग में बिना किसी योजना पर विचार किए ही करोड़ों रुपया खर्च कर दिया जा रहा है। जिसके कारण लोगों को लाभ भी नहीं मिल रहा है। ऐसा ही है करोड़ों रुपया के निर्माण से बना आईटीआई प्रशिक्षण संस्थान हजारीबाग के बोंगा इचाक में।


Body:भवन निर्माण विभाग द्वारा निर्मित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ग्राम बोंगा इचाक हजारीबाग में बनाया गया। जिसका उद्देश्य लोगों के हाथों में हुनर देना था ।जहां एक ओर सरकार करोड़ों रुपया खर्च करके कौशल विकास योजना चला रही है। लेकिन हजारीबाग में करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद भी 1 दिन भी आईटीआई में कक्षा नहीं चली।

श्रम विभाग ने नौजवानों को प्रशिक्षण देने के लिए 8.48 करोड़ रुपए की लागत से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बनाया है ।यह भवन वर्ष 2015 में बनकर तैयार हुआ। लेकिन बनने के बाद बंद पड़ा है ।प्रशिक्षण संस्थान का भवन nh33 से 4 किलोमीटर की दूरी पर बना है। लेकिन वहां पहुंचने का रास्ता नहीं है ।जब यह भवन बन रहा था उस समय भी यह बातें सामने आ रही थी कि रास्ता नहीं होने के कारण इसका लाभ नहीं मिल पाएगा ।लेकिन विभाग द्वारा उस वक्त विचार नहीं किया गया ।आज भी सड़क भवन तक नहीं पहुंच रहा है ।उस भवन तक पहुंचने के लिए नाला और जंगल खेत लांग कर आपको पहुंचना होगा। जहां स्थानीय रैयत अपना जमीन सड़क पर देने को तैयार नहीं थे ।इस कारण सड़क नहीं बनी। यह एक बड़ा सवाल है कि अगर सड़क नहीं बन सकी तो इतना बड़ा भवन आखिर कैसे सरकार के द्वारा बनाया गया।

औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान खेतों और जंगल झाड़ के बीच वीराने में बनाया गया है ।बनाने के 4 साल बाद भी प्रशिक्षण संस्थान में युवाओं के लिए कोर्स की शुरुआत नहीं हुई ।करोड़ों की लागत से बने इस भवन का लाभ नौजवानों को नहीं मिल रहा है ।जबकि बंद पड़े रहने के कारण नवनिर्मित भवन की देखभाल भी नहीं हो पा रही है। रखरखाव के अभाव में भवन भी अब जर्जर हो रहा है ।करोड़ों की संपत्ति यहां बर्बाद हो रही है ।चारों तरफ झाड़ी उग गये है। वहीं स्थानीय लोगों के द्वारा यहां गार्ड का काम किया जा रहा है ताकि सामान की चोरी ना हो ।आलम यह है कि जो सुरक्षा में लगे हुए हैं उन्हें भी अंधेरे में और सुनसान में रहना पड़ रहा है।


इस मामले को लेकर समाजसेवी के द्वारा मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र में शिकायत भी दर्ज की गई है ।लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि आम जनता के गाढ़ी कमाई से जो टैक्स गड़ा जाता है ।जिससे देश की विकास की बुनियाद रखी जाती है। वह पैसा सदुपयोग में नहीं आ रहा है।

अब अधिकारी भी कहते हैं कि इस बात को लेकर उच्च अधिकारियों से बात की गई है। बहुत जल्द ही समस्या का समाधान होगा। यहां तक कि अधिकारियों का कहना है कि रैयत जमीन देने को तैयार है। लेकिन इसके बाद भी अगर विलंब हो रही है तो इसे सरकारी लापरवाही भी कहा जा सकता है ।तो दूसरी ओर ग्रामीण भी कहते हैं कि अगर सड़क बन जाता तो कॉलेज में पढाई होती और जिसका लाभ ग्रामीण लड़कों को मिलता।

byte.... अशोक यादव स्थानीय
byte..... उषा मिंज अंचल विकास पदाधिकारी इचाक



Conclusion:अब यह देखने वाली बात होगी सरकार की नींद 4 साल के बाद भी खुलती है या नहीं, और छात्रों को इस भवन से लाभ मिल पाता है या नहीं।

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग
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