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झारखंड में तरबूज की खेतीः हजारीबाग के वाटरमेलॉन की बिहार में भारी मांग, रोजाना मुजफ्फरपुर-गया से पहुंच रहे खरीदार

हजारीबाग के सलगांव लूटा समेत कई गांव इन दिनों झारखंड से बिहार तक में सुर्खियों में हैं. इसके पीछे की वजह है हजारीबाग के तरबूज की गुणवत्ता, जिसको खरीदने के लिए बिहार के गया और मुजफ्फरपुर तक से व्यापारी पहुंच रहे हैं. कई किसानों ने लीज पर तरबूज की खेती की है, इसकी भी जिले में चर्चा है.

huge demand of Hazaribag watermelons in Bihar buyers arriving from Muzaffarpur-Gaya daily
झारखंड में तरबूज की खेतीः हजारीबाग के वाटरमेलॉन की बिहार में भारी मांग
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Published : Apr 21, 2022, 7:58 PM IST

हजारीबागः कोरोना के दो साल बाद आखिरकार फिर जिंदगी पटरी पर आने लगी है. इसका असर इस बार तरबूज की खेती पर दिख रहा है. इस साल हजारीबाग में तरबूज की खेती का रकबा भी बढ़ गया है. पिछले वर्ष की तुलना में इस साल हजारीबाग में करीब 100 एकड़ अधिक क्षेत्रफल में तरबूज की खेती की गई है. हजारीबाग में कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जिले में 500 एकड़ में तरबूज की फसल लहलहा रही है. अच्छी गर्मी से तरबूज की गुणवत्ता भी सुधरी है और लाल तरबूज अच्छी कीमत दे रहा है. तभी तो हजारीबाग के तरबूज की पड़ोसी राज्य बिहार तक में भारी मांग है. हजारीबाग से तरबूज खरीदने के लिए रोजाना व्यापारी यहां पहुंच रहे हैं. अधिकांशतः किसान ईनाम प्लेटफार्म पर फसल बेचते हैं. बाद में कारोबारी किसानों के यहां से ले जाते हैं.

ये भी पढ़ें-बड़े काम की है ये घास, बंजर जमीन से भी करा दे मालामाल

बता दें कि हजारीबाग में लीज पर खेती का भी चलन बढ़ रहा है. ऐसे गरीब मजदूर जिनके पास अपनी जमीन नहीं है, वो लीज पर जमीन लेकर खेती कर रहे हैं. इससे एक ही खेत से कम से कम दो परिवार का गुजारा चल रहा है. इस तरह हजारीबाग बांका के रहने वाला किसान चंद्रेश्वर ने घर लगभग 5 किलोमीटर दूर सलगांव लूटा में लीज पर 10 एकड़ जमीन ली है और यहां तरबूज की खेती कर रहा है. खेत में तरबूज अब तैयार हो गया है.यहां खुशियों की फसल लहलहा रही है. ईनाम प्लेटफार्म के जरिये इसकी फसल झारखंड से बिहार तक पहुंच रही है.

देखें स्पेशल खबर

बिहार के व्यापारी सीधे चेदेश्वर के खेत पर तरबूज खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं. इससे किसान को अच्छी कमाई हो रही है. चंदेश्वर बताते है कि हजारीबाग के तरबूज की मांग सबसे अधिक गया और मुजफ्फरपुर में है. यहां के व्यापारी तरबूज खरीद कर ले जाते हैं. इस बार तरबूज की मांग अच्छी है और रेट भी अच्छा मिल रहा है. चंदेश्वर का कहना है कि पिछले साल कोरोना काल में भी हम लोगों ने तरबूज की खेती की थी. लेकिन भारी नुकसान उठाना पड़ा था. व्यापारी तो छोड़ दीजिए स्थानीय लोग भी तरबूज खरीदने के लिए नहीं आते थे. लेकिन इस बार गर्मी भी बढ़ी है तो दूसरी ओर इससे तरबूज की गुणवत्ता भी बढ़ी है. इससे अच्छा मुनाफा हो रहा है.

तरबूज की लालिमा से किसानों के चेहरे भी खुशी से लालः व्यापारी पवन कुमार का कहना है कि 2 सालों के बाद तरबूज की खेती से किसान खुश हैं. हजारीबाग तरबूज की खेती के लिए इन दिनों पूरे राज्य भर में जाना जा रहा है. अत्याधुनिक तरीके से खेती की जा रही है. कम लागत के साथ अधिक मुनाफा कैसे हो, इसे लेकर प्रशिक्षण भी लिया था. हजारीबाग के तरबूज की मिठास काफी दूर के व्यापारियों को खींच रहा है. गया से व्यापारी हजारीबाग के सुदूरवर्ती कटकमदाग प्रखंड के लूटा गांव पहुंच रहे हैं. व्यापारियों का कहना है हम लोग तरबूज गया के बाजारों में उपलब्ध करा रहे हैं और हमें मुनाफा भी हो रहा है.


इस महीने में लगती है फसलः एक महिला किसान रेणु देवी ने बताया कि तरबूज लगाने के लिए दिसंबर महीने से तैयारी शुरू हो जाती है. 3 महीने के बाद फसल तैयार होती है. पहली फसल जो किसान बाजार में उतारता है उसे अधिक मुनाफा होता है. तरबूज की खेती करने में महिलाओं की महत्वपूर्ण योगदान होता है. महिलाएं खेत तैयार करने से लेकर पौधा लगाने और जब तक पौधा तैयार नहीं हो जाता है तब तक खरपतवार हटाने से लेकर फसल तोड़ने तक की जिम्मेदारी उठाती हैं. आज खेत में तरबूज भरा हुआ है. ऐसे में महिला भी कहती है कि हम लोग बहुत ही मेहनत से खेती करते हैं.

हजारीबागः कोरोना के दो साल बाद आखिरकार फिर जिंदगी पटरी पर आने लगी है. इसका असर इस बार तरबूज की खेती पर दिख रहा है. इस साल हजारीबाग में तरबूज की खेती का रकबा भी बढ़ गया है. पिछले वर्ष की तुलना में इस साल हजारीबाग में करीब 100 एकड़ अधिक क्षेत्रफल में तरबूज की खेती की गई है. हजारीबाग में कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जिले में 500 एकड़ में तरबूज की फसल लहलहा रही है. अच्छी गर्मी से तरबूज की गुणवत्ता भी सुधरी है और लाल तरबूज अच्छी कीमत दे रहा है. तभी तो हजारीबाग के तरबूज की पड़ोसी राज्य बिहार तक में भारी मांग है. हजारीबाग से तरबूज खरीदने के लिए रोजाना व्यापारी यहां पहुंच रहे हैं. अधिकांशतः किसान ईनाम प्लेटफार्म पर फसल बेचते हैं. बाद में कारोबारी किसानों के यहां से ले जाते हैं.

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बता दें कि हजारीबाग में लीज पर खेती का भी चलन बढ़ रहा है. ऐसे गरीब मजदूर जिनके पास अपनी जमीन नहीं है, वो लीज पर जमीन लेकर खेती कर रहे हैं. इससे एक ही खेत से कम से कम दो परिवार का गुजारा चल रहा है. इस तरह हजारीबाग बांका के रहने वाला किसान चंद्रेश्वर ने घर लगभग 5 किलोमीटर दूर सलगांव लूटा में लीज पर 10 एकड़ जमीन ली है और यहां तरबूज की खेती कर रहा है. खेत में तरबूज अब तैयार हो गया है.यहां खुशियों की फसल लहलहा रही है. ईनाम प्लेटफार्म के जरिये इसकी फसल झारखंड से बिहार तक पहुंच रही है.

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बिहार के व्यापारी सीधे चेदेश्वर के खेत पर तरबूज खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं. इससे किसान को अच्छी कमाई हो रही है. चंदेश्वर बताते है कि हजारीबाग के तरबूज की मांग सबसे अधिक गया और मुजफ्फरपुर में है. यहां के व्यापारी तरबूज खरीद कर ले जाते हैं. इस बार तरबूज की मांग अच्छी है और रेट भी अच्छा मिल रहा है. चंदेश्वर का कहना है कि पिछले साल कोरोना काल में भी हम लोगों ने तरबूज की खेती की थी. लेकिन भारी नुकसान उठाना पड़ा था. व्यापारी तो छोड़ दीजिए स्थानीय लोग भी तरबूज खरीदने के लिए नहीं आते थे. लेकिन इस बार गर्मी भी बढ़ी है तो दूसरी ओर इससे तरबूज की गुणवत्ता भी बढ़ी है. इससे अच्छा मुनाफा हो रहा है.

तरबूज की लालिमा से किसानों के चेहरे भी खुशी से लालः व्यापारी पवन कुमार का कहना है कि 2 सालों के बाद तरबूज की खेती से किसान खुश हैं. हजारीबाग तरबूज की खेती के लिए इन दिनों पूरे राज्य भर में जाना जा रहा है. अत्याधुनिक तरीके से खेती की जा रही है. कम लागत के साथ अधिक मुनाफा कैसे हो, इसे लेकर प्रशिक्षण भी लिया था. हजारीबाग के तरबूज की मिठास काफी दूर के व्यापारियों को खींच रहा है. गया से व्यापारी हजारीबाग के सुदूरवर्ती कटकमदाग प्रखंड के लूटा गांव पहुंच रहे हैं. व्यापारियों का कहना है हम लोग तरबूज गया के बाजारों में उपलब्ध करा रहे हैं और हमें मुनाफा भी हो रहा है.


इस महीने में लगती है फसलः एक महिला किसान रेणु देवी ने बताया कि तरबूज लगाने के लिए दिसंबर महीने से तैयारी शुरू हो जाती है. 3 महीने के बाद फसल तैयार होती है. पहली फसल जो किसान बाजार में उतारता है उसे अधिक मुनाफा होता है. तरबूज की खेती करने में महिलाओं की महत्वपूर्ण योगदान होता है. महिलाएं खेत तैयार करने से लेकर पौधा लगाने और जब तक पौधा तैयार नहीं हो जाता है तब तक खरपतवार हटाने से लेकर फसल तोड़ने तक की जिम्मेदारी उठाती हैं. आज खेत में तरबूज भरा हुआ है. ऐसे में महिला भी कहती है कि हम लोग बहुत ही मेहनत से खेती करते हैं.

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