हजारीबाग: जिला में हर साल हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचते थे. लेकिन इस साल झारखंड में प्रवासी पक्षियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जो हजारों से घटकर सैकड़ों पर आ गई है. आलम यह है कि कुछ प्रजाति पक्षियों ने तो आना भी बंद कर दिया है. मानव गतिविधियां इसका प्रमुख कारण बताया जा रहा है.
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मानव गतिविधियों के कारण इन दिनों प्रवासी पक्षी रूठ गए हैं. हजारों किलोमीटर यात्रा करने के बाद प्रवासी पक्षी झारखंड के कई इलाकों में पहुंचते थे. हजारीबाग इनका प्रमुख आश्रय स्थल था. लेकिन अब इनकी संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है. अतिथि देवो भव: का पाठ पढ़ाने वाले देश में अतिथियों सुरक्षा नहीं मिल पा रही है. पक्षियों के जानकार मुरारी सिंह बताते हैं कि जल स्रोतों के आसपास जनसंख्या का दबाव इसका प्रमुख कारण है. यही नहीं डीजे, पिकनिक और फिर विकास के नाम पर किए जा रहे काम इन पक्षियों को हम लोगों से दूर करता जा रहा है. क्योंकि यह पक्षी विदेशों से आते हैं और काफी संवेदनशील होते हैं. ये अपनी सुरक्षा के लिए भी चिंतित होते हैं. लेकिन बढ़ती मानव गतिविधियों के कारण अब यब हजारीबाग आने में डर रहे हैं.
वहीं, एक अन्य पदाधिकारी कहते हैं कि लोग अज्ञानता में इन पक्षियों को मार देते हैं, वह भी खाने के लिए. जो बहुत ही गंभीर समस्या है. इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है ताकि इन्हें कोई परेशान ना करें. उन्होंने कहा हम लोग मेहमान का स्वागत करते हैं, लेकिन हजारीबाग में इन दिनों इन्हें परेशान किया जा रहा है. इस कारण जल स्रोतों की खूबसूरती भी पहले से कम हो गई है और पक्षी हमसे दूर होते जा रहे हैं.
हजारीबाग बेहद खूबसूरत एवं शांत क्षेत्र है. यहां कई जल स्रोत भी हैं. हजारीबाग के जलस्रोत प्रवासी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. मंगोलिया और हिमालय के उस पार से ठंड के समय पक्षियां हिमालय लांग कर हमारे क्षेत्र में आती थी. लेकिन अब झारखंड में प्रवासी पक्षियों की संख्या कम हो गई है. अगर बात की जाए पक्षियों की प्रजातियों की तो इस बार यहां सबसे अधिक संख्या में हेडेड गूज, कॉमन पोचार्ड, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब, लिटिल ग्रिब, कॉमन कूट, टफ्टेड डक सहित अन्य मेहमान पंछी पहुंचे हैं. आज देखी गई पक्षियों की संख्या पिछले तीन साल के मुकाबले आधे से भी कम है. विदेशी पक्षियों कहीं ना कहीं मानव क्रियाकलापों के कारण ही हमसे दूर हो रहे हैं. ऐसे में जरूरत है, हर एक व्यक्ति को पक्षियों के प्रति संवेदनशील होने की ताकि प्रवासी पक्षी हमसे रूठे नहीं.