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सरकारी उदासीनता का शिकार है हजारीबाग वन्यजीव अभ्यारण्य, कभी जंगली जानवरों की आवाज से थर्राता था इलाका

हजारीबाग से लगभग 15 किलोमीटर दूर हजारीबाग-पटना रोड पर स्थित हजारीबाग वन्य जीव अभ्यारण्य लगभग 84 वर्ग किमी. में फैला हुआ है जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का महत्वपूर्ण केंद्र है.

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Published : Dec 30, 2019, 4:40 PM IST

हजारीबाग: प्रकृति की गोद में बसा है हजारीबाग और इसकी सुंदरता को और अधिक चार चांद लगाता है यहां का वन्यजीव अभ्यारण्य, जो आम लोगों के बीच हजारीबाग वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के नाम से ज्यादा प्रचलित है. जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर हजारीबाग-पटना रोड पर स्थित है हजारीबाग वन्यजीव अभ्यारण्य. 84 वर्ग किमी. में फैला यह अभ्यारण्य ठंड के दस्तक देते ही सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है.

देखें यह स्पेशल स्टोरी


देश का इकलौता टाइगर ट्रैप है यहां
1955 में नेशनल पार्क के नाम से बसे इस सेंचुरी में कभी चीता, तेंदुए जैसे जानवरों की भी बड़ी संख्या पाई जाती थी, लेकिन सरकारी उदासीनता के अभाव में यह नेशनल पार्क अब केवल वन्यजीव अभ्यारण्य ही रह गया है. यहां अब न तेंदुओं की आवाज से लोग घबराते हैं न भालू ही यहां घूमते दिखते हैं. अब जंतुओं के नाम पर यहां बाकी रह गए हैं तो सिर्फ नीलगाय, लकड़बग्घे और हिरण. हालांकि आज भी लोगों का इसके प्रति रुझान कम नहीं हुआ है. इस क्षेत्र की सबसे खास बात है कि यहां पदमा राजा ने एक टाइगर ट्रैप बनावाया है, जो पूरे देश में अपनी तरह का इकलौता टाइगर ट्रैप है. जिस पर बकरी बांधी जाती थी और फिर यहां बाघ को फंसाया जाता था. आज भी यह टाइगर ट्रैप अपने इतिहास को बता रहा है.

ये भी पढ़ें: देवघरः New Year के लिए बाबा मंदिर में तैयारी पूरी, सिविल ड्रेस में पुलिसकर्मी रहेंगे तैनात


रोमांच के पल देता यह अभ्यारण्य
वहीं कई पशु-पक्षियों को संरक्षण देता यह वाइल्ड लाइफ सेंचुरी न केवल रोमांच के बल्कि लोगों को सुकून के भी अनोखे पल देता है. यही कारण है कि यह सेंचुरी पिकनिक स्पॉट के रूप में धीरे-धीरे खासा प्रचलित हो रही है. भले ही यहां से जानवर विलुप्त हो गए हैं, लेकिन प्रकृति की सुंदरता नहीं घटी है. यहां जगह-जगह पर डैम का निर्माण किया गया है ताकि जानवर जहां से गुजरे तो अपनी प्यास बुझाए. यही नहीं यहां लगभग 70 कॉटेज भी बनाए गए हैं ताकि बाहरी लोग यहां आकर रह सके. वहीं नए-नए दुकानों का खुलना भी रोजाना जारी है.


सरकार दे ध्यान
यहां पर सबसे अधिक भीड़ होती है नए साल के समय. इस दौरान दूर-दराज से लोग यहां आते हैं और दोस्त-परिवार के साथ पिकनिक मनाते हैं. हजारीबाग के स्थानीय लोग तो इस पार्क की तुलना शिमला से करते हैं. शांत वातावरण इसकी पहचान है. वहीं यहां के डैम में लोग बोटिंग कर कर आनंद लेते हैं. यहां आए सभी सैलानी इस बात से जरूर ताल्लुकात रखते हैं कि सभी को एक बार तो यहां जरूर आना चाहिए. हालांकि वे यह कहने से भी नहीं चुकते कि सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

हजारीबाग: प्रकृति की गोद में बसा है हजारीबाग और इसकी सुंदरता को और अधिक चार चांद लगाता है यहां का वन्यजीव अभ्यारण्य, जो आम लोगों के बीच हजारीबाग वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के नाम से ज्यादा प्रचलित है. जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर हजारीबाग-पटना रोड पर स्थित है हजारीबाग वन्यजीव अभ्यारण्य. 84 वर्ग किमी. में फैला यह अभ्यारण्य ठंड के दस्तक देते ही सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है.

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देश का इकलौता टाइगर ट्रैप है यहां
1955 में नेशनल पार्क के नाम से बसे इस सेंचुरी में कभी चीता, तेंदुए जैसे जानवरों की भी बड़ी संख्या पाई जाती थी, लेकिन सरकारी उदासीनता के अभाव में यह नेशनल पार्क अब केवल वन्यजीव अभ्यारण्य ही रह गया है. यहां अब न तेंदुओं की आवाज से लोग घबराते हैं न भालू ही यहां घूमते दिखते हैं. अब जंतुओं के नाम पर यहां बाकी रह गए हैं तो सिर्फ नीलगाय, लकड़बग्घे और हिरण. हालांकि आज भी लोगों का इसके प्रति रुझान कम नहीं हुआ है. इस क्षेत्र की सबसे खास बात है कि यहां पदमा राजा ने एक टाइगर ट्रैप बनावाया है, जो पूरे देश में अपनी तरह का इकलौता टाइगर ट्रैप है. जिस पर बकरी बांधी जाती थी और फिर यहां बाघ को फंसाया जाता था. आज भी यह टाइगर ट्रैप अपने इतिहास को बता रहा है.

ये भी पढ़ें: देवघरः New Year के लिए बाबा मंदिर में तैयारी पूरी, सिविल ड्रेस में पुलिसकर्मी रहेंगे तैनात


रोमांच के पल देता यह अभ्यारण्य
वहीं कई पशु-पक्षियों को संरक्षण देता यह वाइल्ड लाइफ सेंचुरी न केवल रोमांच के बल्कि लोगों को सुकून के भी अनोखे पल देता है. यही कारण है कि यह सेंचुरी पिकनिक स्पॉट के रूप में धीरे-धीरे खासा प्रचलित हो रही है. भले ही यहां से जानवर विलुप्त हो गए हैं, लेकिन प्रकृति की सुंदरता नहीं घटी है. यहां जगह-जगह पर डैम का निर्माण किया गया है ताकि जानवर जहां से गुजरे तो अपनी प्यास बुझाए. यही नहीं यहां लगभग 70 कॉटेज भी बनाए गए हैं ताकि बाहरी लोग यहां आकर रह सके. वहीं नए-नए दुकानों का खुलना भी रोजाना जारी है.


सरकार दे ध्यान
यहां पर सबसे अधिक भीड़ होती है नए साल के समय. इस दौरान दूर-दराज से लोग यहां आते हैं और दोस्त-परिवार के साथ पिकनिक मनाते हैं. हजारीबाग के स्थानीय लोग तो इस पार्क की तुलना शिमला से करते हैं. शांत वातावरण इसकी पहचान है. वहीं यहां के डैम में लोग बोटिंग कर कर आनंद लेते हैं. यहां आए सभी सैलानी इस बात से जरूर ताल्लुकात रखते हैं कि सभी को एक बार तो यहां जरूर आना चाहिए. हालांकि वे यह कहने से भी नहीं चुकते कि सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

Intro:प्रकृति की गोद में बसा है हजारीबाग और इसकी सुंदरता को और अधिक चार चांद लगाता है हजारीबाग वन जीव अभ्यारण। जिसे हजारीबाग वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के नाम से जाना जाता है। चलिये आज आपको हम सफर कराते हैं वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का। जिसे देखकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे कि कुदरत ने से अपने हाथों से बनाया है।


हजारीबाग से लगभग 15 किलोमीटर दूर हजारीबाग पटना रोड पर स्थित है हजारीबाग वन्य जीव अभ्यारण में जो लगभग 80 वर्ग मील में फैला है।


Body:हजार बागों का शहर हजारीबाग को कुदरत ने अपने हाथों से सजाया है। नदी ,झरने जंगल इसकी पहचान है। इसी कुदरत के गोद में बसा है हजारीबाग नेशनल पार्क ।जिसे बाद में सेंचुरी की श्रेणी में रखा गया ।

एक जमाना था जब यहां पूरे देश से सैलानी भ्रमण करने आते थे और रात में जंगली जानवरों को अपनी आंखों से देखते थे। लंबे समय तक प्रकृति के मनोरम छटा को निहारने के लिए कोलकाता दिल्ली लखनऊ और मुंबई से भी लोग यहां आते रहे हैं। कई फिल्मी सितारे भी आकर यहां शूटिंग करवाए हैं। लेकिन कालचक्र ने इसे बदल दिया और आज यह अपने अस्तित्व की लड़ाई खुद से लड़ रही है। इसके बावजूद यह क्षेत्र प्रकृति सुंदरता से भरा पड़ा है। जगह-जगह पर डैम का निर्माण किया गया है ताकि जानवर क्षेत्र गुजरे तो अपना प्यास बुझाए। यही नहीं लगभग 70 कॉटेज भी बनाये गए है अगर कोई बाहर के लोग आते हैं तो वहां पर रह सकते हैं ।

खासकर नए साल के समय यहां पर काफी भीड़ भी होती है और लोग दूर-दराज से आकर यहां पिकनिक भी मनाते हैं। हजारीबाग के स्थानीय लोग तो इसे शिमला से भी तुलना करते हैं। शांत वातावरण इसकी पहचान है। वहां पर डैम है जहां लोग वोटिंग कर कर आनंद लेते हैं ।अगर आपको यहां मस्ती करना है तो अपने साथ खाने की वह सारे सामान लाने होंगे जो आप खाना चाहते हैं। क्योंकि अंदर में खाने की व्यवस्था नहीं है। लोग जो लाकर देते हैं वह यहां पर काम करने वाले लोग बनाकर खिलाते हैं। उनके हाथों का बना खाना किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं है। लकड़ी के आग पर बना खाना यहां का आकर्षण का केंद्र बिंदु है। क्षेत्र की खासियत यह है कि यहां मोबाइल फोन भी काम नहीं करता है। इस कारण फुर्सत में आप प्रकृति का मजा ले सकते हैं। ठंड के समय बहने वाली हवा मानो कुछ काम में फुसफुस आता हुआ आगे बढ़ जाता है।

स्थानीय लोग भी कहते हैं कि इस क्षेत्र का भले विकास नहीं हुआ लेकिन इसकी कुदरती खूबसूरती किसी से कम नहीं है। मोरम के रास्ते, घने जंगल और जंगलों के बीच में टावर यह हजारीबाग सेंचुरी की पहचान है। पहले यहां जानवर दिखा करते थे और उन जानवरों को देखने के लिए टावर बनाए गए थे ।लेकिन टावर अब खड़े हैं और जानवर गायब होते चले गए ।यहां आपको कभी कभार हिरन ,जंगली, सूअर, नीलगाय बंदर और पंछियों की आवाज सुनने को मिलेंगे ।इस क्षेत्र की खासियत है कि यहां पदमा राजा ने एक टाइगर ट्रेप बनाया है जो पूरे देश में इकलौता है। जिस पर बकरी बांदा जाता था और फिर बाग ही कैद हो जाता था वह आज भी टाइगर ट्रेप अपने इतिहास को बता रहा है।


byte.... फिरोज अंसारी पीला जैकेट बने हुए
byte.... रंजीत कुमार ब्लू जैकेट बने हुए
byte.... खुशी लाल जैकेट पहने हुए लड़की
byte.... विनोद गुप्ता पीला रंग का जैकेट माथे में टोपी
byte... बैजू यादव हलवाई सफेद शर्ट पहने हुए


Conclusion:कुदरत ने अपने दोनों हाथों से हजारीबाग को सजाया है। जरूरत है प्रशासन और आम जनता को भी सजग रहने की और प्रकृति के साथ तालमेल स्थापित करने की ना कि उसे उजाड़ने की तब ही यह सुंदरता बरकरार रहेगी।

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग
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