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हजारीबाग मेयर को नहीं मिली सरकारी गाड़ी, साढ़े तीन साल बीत गया कार्यकाल

हजारीबाग नगर निगम के मेयर का कार्यकाल बीतने की ओर है, लेकिन अबतक मेयर के लिए सरकारी गाड़ी का इंतजाम नहीं हो सका है. जबकि इसके लिए 2018 में प्रस्ताव पास हुआ था.

Hazaribag mayor
मेयर रोशनी तिर्की
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Published : Sep 8, 2021, 12:26 PM IST

हजारीबाग: हजारीबाग नगर निगम की मेयर के पास सरकारी गाड़ी तक नहीं है. जबकि उनका साढ़े तीन साल का कार्यकाल बीत चुका है. इससे कई बार कामकाज प्रभावित होता है. इससे पहले 2018 की बैठक में महापौर, उपमहापौर और नगर आयुक्त के लिए गाड़ी खरीदे जाने का प्रस्ताव पास किया गया था.


ये भी पढ़ें-नगर निगम में नहीं थम रहा विवाद, पार्षदों ने मेयर पर लगाया मनमानी का आरोप

मेयर रोशनी तिर्की ने बताया कि कार्यालय और आम जनता से मुलाकात करने के लिए वह अपनी गाड़ी का इस्तेमाल करती हैं. 2018 में जब वे निर्वाचित हुईं थीं तो बैठक में पास किया गया था कि महापौर, उपमहापौर और नगर आयुक्त के लिए एक गाड़ी दी जाएगी. लेकिन 3 साल 6 माह बीत जाने के बाद भी सरकारी गाड़ी नहीं दी गई. महापौर इसके लिए अफसरों को जिम्मेदार ठहराती हैं. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में तीन करोड़ रुपए की दो गाड़ी सड़क सफाई के लिए खरीदी गई, जिसे न बोर्ड से पास किया गया था और न ही किसी जनप्रतिनिधि से राय ली गई थी. लेकिन मेयर, डिप्टी मेयर के लिए गाड़ी का प्रस्ताव पास होने के बाद भी उसे नहीं खरीदा गया.

देखें पूरी खबर
मेयर ने बताई दुविधा

मेयर का कहना है कि सरकारी गाड़ी न होने से मुझे निजी गाड़ी का कार्यालय आने जाने के लिए इस्तेमाल करना पड़ता है. इससे कभी घर का तो कभी ऑफिस का काम प्रभावित होता है. मैं गाड़ी लेकर आती हूं तो घरवालों को दिक्कत होती है और कभी-कभार घर वाले गाड़ी लेकर चले जाते हैं तो ऑफिस और जनता का काम प्रभावित होता है. कई बार जनता से मुलाकात के काम में देरी होती है.

हजारीबाग: हजारीबाग नगर निगम की मेयर के पास सरकारी गाड़ी तक नहीं है. जबकि उनका साढ़े तीन साल का कार्यकाल बीत चुका है. इससे कई बार कामकाज प्रभावित होता है. इससे पहले 2018 की बैठक में महापौर, उपमहापौर और नगर आयुक्त के लिए गाड़ी खरीदे जाने का प्रस्ताव पास किया गया था.


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मेयर रोशनी तिर्की ने बताया कि कार्यालय और आम जनता से मुलाकात करने के लिए वह अपनी गाड़ी का इस्तेमाल करती हैं. 2018 में जब वे निर्वाचित हुईं थीं तो बैठक में पास किया गया था कि महापौर, उपमहापौर और नगर आयुक्त के लिए एक गाड़ी दी जाएगी. लेकिन 3 साल 6 माह बीत जाने के बाद भी सरकारी गाड़ी नहीं दी गई. महापौर इसके लिए अफसरों को जिम्मेदार ठहराती हैं. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में तीन करोड़ रुपए की दो गाड़ी सड़क सफाई के लिए खरीदी गई, जिसे न बोर्ड से पास किया गया था और न ही किसी जनप्रतिनिधि से राय ली गई थी. लेकिन मेयर, डिप्टी मेयर के लिए गाड़ी का प्रस्ताव पास होने के बाद भी उसे नहीं खरीदा गया.

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मेयर ने बताई दुविधा

मेयर का कहना है कि सरकारी गाड़ी न होने से मुझे निजी गाड़ी का कार्यालय आने जाने के लिए इस्तेमाल करना पड़ता है. इससे कभी घर का तो कभी ऑफिस का काम प्रभावित होता है. मैं गाड़ी लेकर आती हूं तो घरवालों को दिक्कत होती है और कभी-कभार घर वाले गाड़ी लेकर चले जाते हैं तो ऑफिस और जनता का काम प्रभावित होता है. कई बार जनता से मुलाकात के काम में देरी होती है.

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