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प्रोडक्शन हब बना हजारीबाग का जेपी सेंट्रल जेल, सालाना 3 करोड़ से ज्यादा की कमाई - हजारीबाग जेल में उत्पादन

Hazaribag jail earns Rs 3 crore. हजारीबाग का सेंट्रल जेल प्रोडक्शन हब बन गया है. यह जेल सलाना तीन करोड़ रुपए से अधिक की कमाई कर रहा है. जेल में कई उत्पादन इकाइयों की स्थापना की गई है.

Hazaribag jail earns Rs 3 crore
Hazaribag jail earns Rs 3 crore
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 1, 2024, 4:18 PM IST

हजारीबाग: लोकनायक जयप्रकाश नारायण सेंट्रल जेल उत्पादन और उद्यमशीलता के हब के तौर पर विकसित हो रहा है. जेल में अलग-अलग तरह के उत्पादों के निर्माण और बिक्री की बदौलत वर्ष 2022-23 में जेल प्रशासन ने 2.35 करोड़ का मुनाफा कमाया, जबकि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में ढाई से तीन करोड़ से ज्यादा की आमदनी की उम्मीद की जा रही है.

जेल में प्रिंटिंग मशीन, टेक्सटाइल्स, फर्नीचर, साबुन, फिनाइल आदि के उत्पादन की इकाइयां लगाई गई हैं. ये इकाइयां सैकड़ों प्रशिक्षित कैदियों की बदौलत संचालित की जा रही हैं. इसके एवज में मिलने वाले मेहनताना से वे खुद के साथ-साथ अपने परिजनों की मदद कर रहे हैं.

जेल के सुपरिंटेंडेंट जीतेंद्र कुमार के मुताबिक, इस वर्ष झारखंड हाईकोर्ट से जेल को फार्म, लीफ फाइल आदि की आपूर्ति के लिए ढाई करोड़ का कार्यादेश प्राप्त हुआ है. हजारीबाग के जिला प्रशासन के दफ्तरों से भी फॉर्म, फाइल, रजिस्टर सप्लाई के ऑर्डर प्राप्त हुए हैं. जेंल में लगाए गए आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस के संचालन में 35 प्रशिक्षित कैदियों को लगाया गया है.

इसी तरह टेक्सटाइल, साबुन और फिनाइल प्रोडक्शन की इकाइयों में 135 से ज्यादा कैदी काम करते हैं. उत्पादित सामान की सप्लाई धनबाद, बोकारो, चतरा, कोडरमा सहित झारखंड की दूसरी जेलों में की जाती है. लगभग आधा दर्जन जेलों में कैदी जो कपड़ा पहनते हैं, उसकी आपूर्ति इसी जेल से की जाती है.

जेल में फर्नीचर प्रोडक्शन की इकाई से भी लगभग 60 कैदी जुड़े हैं. यहां अलमीरा, एक्जीक्यूटिव टेबल, कंप्यूटर टेबल, चौकी सहित अलग-अलग तरह के फर्नीचर तैयार किए जाते हैं. पिछले साल फर्नीचर उत्पादन और सप्लाई से लगभग सात लाख रुपए की कमाई हुई है.

कैदियों को स्वावलंबन और रोजगार से जुड़ने के लिए जेल में ही ट्रेनिंग भी दी जा रही है. कई कैदी बुनाई, रोलिंग और टेलरिंग के काम से भी जुड़े हैं. इसके अलावा बागवानी और खेती भी कराई जाती है.

बता दें कि हजारीबाग का केंद्रीय कारा कई ऐतिहासिक घटनाओं-परिघटनाओं का साक्षी रहा है. 1834 में स्थापित इस जेल में अंग्रेजी हुकूमत ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण, खान अब्दुल गफ्फार खान, डॉ राजेंद्र प्रसाद, पं. राहुल सांकृत्यायन, शालिग्राम सिंह, रामवृक्ष बेनीपुरी, राम अनुग्रह नारायण सिंह, योगेंद्र शुक्ला, कृष्ण बल्लभ सहाय जैसे आजादी के कई योद्धाओं को कैद किया गया था.

इनपुट- आईएएनएस

हजारीबाग: लोकनायक जयप्रकाश नारायण सेंट्रल जेल उत्पादन और उद्यमशीलता के हब के तौर पर विकसित हो रहा है. जेल में अलग-अलग तरह के उत्पादों के निर्माण और बिक्री की बदौलत वर्ष 2022-23 में जेल प्रशासन ने 2.35 करोड़ का मुनाफा कमाया, जबकि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में ढाई से तीन करोड़ से ज्यादा की आमदनी की उम्मीद की जा रही है.

जेल में प्रिंटिंग मशीन, टेक्सटाइल्स, फर्नीचर, साबुन, फिनाइल आदि के उत्पादन की इकाइयां लगाई गई हैं. ये इकाइयां सैकड़ों प्रशिक्षित कैदियों की बदौलत संचालित की जा रही हैं. इसके एवज में मिलने वाले मेहनताना से वे खुद के साथ-साथ अपने परिजनों की मदद कर रहे हैं.

जेल के सुपरिंटेंडेंट जीतेंद्र कुमार के मुताबिक, इस वर्ष झारखंड हाईकोर्ट से जेल को फार्म, लीफ फाइल आदि की आपूर्ति के लिए ढाई करोड़ का कार्यादेश प्राप्त हुआ है. हजारीबाग के जिला प्रशासन के दफ्तरों से भी फॉर्म, फाइल, रजिस्टर सप्लाई के ऑर्डर प्राप्त हुए हैं. जेंल में लगाए गए आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस के संचालन में 35 प्रशिक्षित कैदियों को लगाया गया है.

इसी तरह टेक्सटाइल, साबुन और फिनाइल प्रोडक्शन की इकाइयों में 135 से ज्यादा कैदी काम करते हैं. उत्पादित सामान की सप्लाई धनबाद, बोकारो, चतरा, कोडरमा सहित झारखंड की दूसरी जेलों में की जाती है. लगभग आधा दर्जन जेलों में कैदी जो कपड़ा पहनते हैं, उसकी आपूर्ति इसी जेल से की जाती है.

जेल में फर्नीचर प्रोडक्शन की इकाई से भी लगभग 60 कैदी जुड़े हैं. यहां अलमीरा, एक्जीक्यूटिव टेबल, कंप्यूटर टेबल, चौकी सहित अलग-अलग तरह के फर्नीचर तैयार किए जाते हैं. पिछले साल फर्नीचर उत्पादन और सप्लाई से लगभग सात लाख रुपए की कमाई हुई है.

कैदियों को स्वावलंबन और रोजगार से जुड़ने के लिए जेल में ही ट्रेनिंग भी दी जा रही है. कई कैदी बुनाई, रोलिंग और टेलरिंग के काम से भी जुड़े हैं. इसके अलावा बागवानी और खेती भी कराई जाती है.

बता दें कि हजारीबाग का केंद्रीय कारा कई ऐतिहासिक घटनाओं-परिघटनाओं का साक्षी रहा है. 1834 में स्थापित इस जेल में अंग्रेजी हुकूमत ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण, खान अब्दुल गफ्फार खान, डॉ राजेंद्र प्रसाद, पं. राहुल सांकृत्यायन, शालिग्राम सिंह, रामवृक्ष बेनीपुरी, राम अनुग्रह नारायण सिंह, योगेंद्र शुक्ला, कृष्ण बल्लभ सहाय जैसे आजादी के कई योद्धाओं को कैद किया गया था.

इनपुट- आईएएनएस

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