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खेतों में ही सड़ रही देश-विदेश में निर्यात होने वाली हजारीबाग की सब्जियां, नहीं पहुंच रहे व्यापारी - hazaribag vegetables are exported

कोरोना ने एक बार फिर से किसानों की कमर तोड़कर रख दी है. दरअसल देश-विदेश में मशहूर हजारीबाग की सब्जियों का कोरोना कारण निर्यात नहीं हो पा रहा है और वह खेतों में ही सड़ रही है. जिसकी वजह से किसान काफी परेशान हैं.

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हजारीबाग की सब्जियां
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Published : May 22, 2021, 8:03 PM IST

हजारीबागः कोरोना का असर किसानों पर जबरदस्त रूप से पड़ रहा है. गर्मी की खेती किसान बहुत ही मेहनत से करते हैं. इससे कमाई से आगे की खेती की रूपरेखा बनाई जाती है. लेकिन इस वर्ष संक्रमण के कारण खेती पर बुरा असर पड़ा है. आलम यह है कि हजारीबाग का टमाटर जो लगभग पूरे देश में जाता था, वह खेत में ही सड़ रहा है. धनिया पत्ता जो विदेशों में भी निर्यात किया जाता था वह भी खेत में ही है और खीरा जानवर को खिलाना पड़ रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

इसे भी पढ़ें- कोरोना काल में फूलों की खेती करने वाले किसानों और दुकानदारों के चेहरे मुरझाए, नहीं मिल रहे खरीददार



कोरोना के कारण नहीं पहुंच रहे व्यापारी
संक्रमण का असर समाज के हर एक तबके पर पड़ा है. कोरोना ने सभी की कमर तोड़ दी है. किसानों की स्थिति भी खराब है. किसानों की उपजाई हुई सब्जी खेत में ही पड़ी हुई है. हजारीबाग टमाटर की खेती के लिए पूरे देश भर में जाना जाता है. यहां से उपजाया हुआ टमाटर दिल्ली, बंगाल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश तक पहुंचता था. लेकिन इस बार फसल तैयार होने के बावजूद टमाटर बिक नहीं रहा है. आलम यह है कि बाहर से व्यापारी पहुंची नहीं रहे हैं. जिसके कारण किसानों को समस्या हो रही है. किसान कहते हैं कि फसल तैयार है, लेकिन खरीदार ही नहीं है. वहीं बेमौसम बरसात ने भी लोगों को तबाह कर दिया है. पानी की वजह से सब्जी खराब हो रही है. ऐसे में लाखों रुपये की फसल नष्ट हो रही है. अगर हजारीबाग की बात की जाए तो लगभग 10 से 12 करोड़ों रुपये का टमाटर दूसरे राज्यों में भेजा जाता है.

देश-विदेश में फेमस हजारीबाग का धनिया पत्ता
हजारीबाग के धनिया पत्ते की मांग विदेशों में भी है. पिछले साल यहां के व्यापारी नेपाल, सिंगापुर तक धनिया पत्ता बेचे थे. इसके अलावा धनिया पत्ता की मांग देश के कोने कोने तक है. बताया जाता है कि हजारीबाग का इचाक धनिया पत्ता की बड़ी मंडी है. जहां पूरे जिले का धनिया पत्ता पहुंचता है. फिर यहां से यह कई राज्यों समेत विदेश तक पहुंचता है. लेकिन इस बार व्यापारी धनिया पत्ता लेने के लिए नहीं पहुंचे.

2 रुपये किलो बिक रहा तरबूज
वहीं, बात की जाए खीरा और तरबूज की तो दोनों की स्थिति भी बेहद खराब है. खीरा अब तो बिक ही नहीं रहा. किसान अगर खीरा तोड़े तो उन्हें घर से नुकसान होगा. क्योंकि मजदूर को पैसा देना होता है. ऐसे में मजदूरी भी नहीं निकलेगी. इस कारण किसान खीरा खेत में ही छोड़ दे रहे हैं. उनका कहना है कि जानवर का चारा खीरा बन गया है. वहीं तरबूज भी मात्र 2 रुपये किलो बिक रहा है. अब वह भी बिकना बंद हो गया है, क्योंकि खरीदार ही नहीं है.

हजारीबागः कोरोना का असर किसानों पर जबरदस्त रूप से पड़ रहा है. गर्मी की खेती किसान बहुत ही मेहनत से करते हैं. इससे कमाई से आगे की खेती की रूपरेखा बनाई जाती है. लेकिन इस वर्ष संक्रमण के कारण खेती पर बुरा असर पड़ा है. आलम यह है कि हजारीबाग का टमाटर जो लगभग पूरे देश में जाता था, वह खेत में ही सड़ रहा है. धनिया पत्ता जो विदेशों में भी निर्यात किया जाता था वह भी खेत में ही है और खीरा जानवर को खिलाना पड़ रहा है.

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कोरोना के कारण नहीं पहुंच रहे व्यापारी
संक्रमण का असर समाज के हर एक तबके पर पड़ा है. कोरोना ने सभी की कमर तोड़ दी है. किसानों की स्थिति भी खराब है. किसानों की उपजाई हुई सब्जी खेत में ही पड़ी हुई है. हजारीबाग टमाटर की खेती के लिए पूरे देश भर में जाना जाता है. यहां से उपजाया हुआ टमाटर दिल्ली, बंगाल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश तक पहुंचता था. लेकिन इस बार फसल तैयार होने के बावजूद टमाटर बिक नहीं रहा है. आलम यह है कि बाहर से व्यापारी पहुंची नहीं रहे हैं. जिसके कारण किसानों को समस्या हो रही है. किसान कहते हैं कि फसल तैयार है, लेकिन खरीदार ही नहीं है. वहीं बेमौसम बरसात ने भी लोगों को तबाह कर दिया है. पानी की वजह से सब्जी खराब हो रही है. ऐसे में लाखों रुपये की फसल नष्ट हो रही है. अगर हजारीबाग की बात की जाए तो लगभग 10 से 12 करोड़ों रुपये का टमाटर दूसरे राज्यों में भेजा जाता है.

देश-विदेश में फेमस हजारीबाग का धनिया पत्ता
हजारीबाग के धनिया पत्ते की मांग विदेशों में भी है. पिछले साल यहां के व्यापारी नेपाल, सिंगापुर तक धनिया पत्ता बेचे थे. इसके अलावा धनिया पत्ता की मांग देश के कोने कोने तक है. बताया जाता है कि हजारीबाग का इचाक धनिया पत्ता की बड़ी मंडी है. जहां पूरे जिले का धनिया पत्ता पहुंचता है. फिर यहां से यह कई राज्यों समेत विदेश तक पहुंचता है. लेकिन इस बार व्यापारी धनिया पत्ता लेने के लिए नहीं पहुंचे.

2 रुपये किलो बिक रहा तरबूज
वहीं, बात की जाए खीरा और तरबूज की तो दोनों की स्थिति भी बेहद खराब है. खीरा अब तो बिक ही नहीं रहा. किसान अगर खीरा तोड़े तो उन्हें घर से नुकसान होगा. क्योंकि मजदूर को पैसा देना होता है. ऐसे में मजदूरी भी नहीं निकलेगी. इस कारण किसान खीरा खेत में ही छोड़ दे रहे हैं. उनका कहना है कि जानवर का चारा खीरा बन गया है. वहीं तरबूज भी मात्र 2 रुपये किलो बिक रहा है. अब वह भी बिकना बंद हो गया है, क्योंकि खरीदार ही नहीं है.

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