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झारखंड शिक्षा विभाग का जादू, पढ़ोगे गणित की किताब, होगा भाषा ज्ञान - book of Jharkhand Education Project Council

झारखंड शिक्षा विभाग का जादू देखना हो तो बच्चों को बांटी जा रही ज्ञान सेतु की किताबें देखिए. आप किताबों के पन्ने पलटते ही आप हैरान हो जाएंगे.

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झारखंड शिक्षा विभाग का जादू, पढ़ोगे गणित की किताब, होगा भाषा ज्ञान
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Published : Aug 26, 2021, 11:36 AM IST

Updated : Aug 26, 2021, 11:49 AM IST

हजारीबागः झारखंड सरकार पढ़ाई में कमजोर बच्चों के शैक्षणिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए ज्ञान सेतु कार्यक्रम चला रही है. इसमें बच्चों को तीन वर्गों में बांटकर उनके हिसाब से टेक्स्ट बुक बांटी जा रही है. लेकिन किताबों की छपाई में लापरवाही से एक अच्छी पहल की किरकिरी हो रही है.

ज्ञान सेतु कार्यक्रम में बांटी जा रही कई किताबों में कवर पेज और अंदर की सामग्री अलग-अलग हैं. इसका छोटे बच्चों के मन पर पुस्तक की शुद्धता को लेकर खराब असर पड़ने का खतरा है. तमाम लोग इसके चटखारे ले रहे हैं.

ये भी पढ़ें-शिक्षा विभाग के फरमान से उड़ी गरीब अभिभावकों की नींद, ऑनलाइन क्लास नहीं करने पर ड्रॉप आउट होंगे बच्चे

दरअसल, कोरोना लॉकडाउन के चलते करीब डेढ़ साल स्कूल बंद रहे हैं और सत्र के अंत में इन बच्चों को प्रमोट कर दिया गया. इससे सरकारी स्कूल के हजारों बच्चों का शैक्षणिक स्तर कमजोर हो गया है. इनके शिक्षा स्तर को ऊंचा करने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से ज्ञान सेतु कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसमें ऐसे बच्चे जो ऊपर की कक्षा में तो चले गए हैं लेकिन उनका शैक्षिक स्तर उसके अनुरूप नहीं है. इनके लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं.

देखें पूरी खबर

तीन वर्गों में बांटे गए विद्यार्थी

इसके लिए छात्र-छात्राओं को कक्षा के मुताबिक तीन वर्गों में बांटा गया है. इसमें पहला से दूसरी तक की कक्षा के विद्यार्थी एक ग्रुप में, तीसरी से पांचवी कक्षा तक के विद्यार्थी दूसरे और छठीं से आठवीं कक्षा के विद्यार्थी तीसरे ग्रुप में रखे गए हैं. इन्हें इसी तरह की किताब भी मुहैया कराई जा रही है. ताकि इनका शैक्षणिक स्तर ऊंचा हो सके.


मुफ्त बांटी जा रहीं किताबें

इन सभी विद्यार्थियों को इंग्लिश, मैथ, साइंस, हिंदी की पुस्तक मुहैया कराई जा रही है. इसके लिए कुल मिलाकर 16 किताबें प्रकाशित कराई गईं हैं. जिसमें इंग्लिश मीडियम की तर्ज पर वर्कबुक भी छात्रों को निशुल्क सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जा रहा है. अध्यापकों का कहना है कि यह किताबें इस तरह तैयार कराई गईं हैं कि छात्र-छात्राएं जब इन किताबों से पढ़ाई करेंगी तो उनका बौद्धिक स्तर ऊंचा होगा.

ये भी पढ़ें-काम का बोझ या मेहरबानी: कम अधिकारियों के चलते विकास कार्यों पर पड़ रहा असर, कुछ को मलाईदार पद देने पर उठ रहे सवाल

क्लास रूम जैसी बात नहीं

इधर, अभिभावकों का कहना है कि डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं. ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है लेकिन इसमें क्लास रूम की पढ़ाई जैसी बात नहीं हैं. बहुत सारे बच्चे इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं. कई जगह नेटवर्क की समस्या है तो कई ऐसे छात्र हैं जिनके पास मोबाइल ही नहीं है. तीसरी सबसे बड़ी समस्या बच्चों का शिक्षा के प्रति रूझान भी कम होता जाना है. ऐसे में नई किताबों से आंशिक लाभ तो मिलेगा ही.



किताबों के कवर लगाने में लापरवाही

इधर पुस्तक छपाई और कवर लगाने के दौरान लापरवाही सामने आ रही है. ज्ञान सेतु की कई किताबों के कवर पर विषय का नाम गणित लिखा है लेकिन पन्ने पलटने पर उसमें हिंदी विषय की पाठ्यसामग्री है. यही नहीं पैकेट बनाने में भी लापरवाही बरती गई है. गणित के पैकेट से हिंदी विषय की पुस्तक निकल रहीं है. ऐसे में कई विषय की किताबें अधिक तो कई के कम मिलने का खतरा है. इससे किताबों के वितरण में दिक्कत आएगी. साथ ही इसका छोटे बच्चों के मन पर पुस्तक की शुद्धता को लेकर खराब असर पड़ने का खतरा है.

झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से इन किताबों का प्रकाशन कराया गया है. इसके तहत 16 लाख से अधिक किताबों की प्रिंटिंग की जा चुकी है. किताबें पूरे राज्य में बांटा जा रहीं हैं. किताब छपने के पहले उसकी ठीक से मिलान न होने से यह चूक हुई है. लेकिन इसका जवाब प्रबंधन से लेकर सरकार के आला अधिकारियों के पास नहीं है.

हजारीबागः झारखंड सरकार पढ़ाई में कमजोर बच्चों के शैक्षणिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए ज्ञान सेतु कार्यक्रम चला रही है. इसमें बच्चों को तीन वर्गों में बांटकर उनके हिसाब से टेक्स्ट बुक बांटी जा रही है. लेकिन किताबों की छपाई में लापरवाही से एक अच्छी पहल की किरकिरी हो रही है.

ज्ञान सेतु कार्यक्रम में बांटी जा रही कई किताबों में कवर पेज और अंदर की सामग्री अलग-अलग हैं. इसका छोटे बच्चों के मन पर पुस्तक की शुद्धता को लेकर खराब असर पड़ने का खतरा है. तमाम लोग इसके चटखारे ले रहे हैं.

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दरअसल, कोरोना लॉकडाउन के चलते करीब डेढ़ साल स्कूल बंद रहे हैं और सत्र के अंत में इन बच्चों को प्रमोट कर दिया गया. इससे सरकारी स्कूल के हजारों बच्चों का शैक्षणिक स्तर कमजोर हो गया है. इनके शिक्षा स्तर को ऊंचा करने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से ज्ञान सेतु कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसमें ऐसे बच्चे जो ऊपर की कक्षा में तो चले गए हैं लेकिन उनका शैक्षिक स्तर उसके अनुरूप नहीं है. इनके लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं.

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तीन वर्गों में बांटे गए विद्यार्थी

इसके लिए छात्र-छात्राओं को कक्षा के मुताबिक तीन वर्गों में बांटा गया है. इसमें पहला से दूसरी तक की कक्षा के विद्यार्थी एक ग्रुप में, तीसरी से पांचवी कक्षा तक के विद्यार्थी दूसरे और छठीं से आठवीं कक्षा के विद्यार्थी तीसरे ग्रुप में रखे गए हैं. इन्हें इसी तरह की किताब भी मुहैया कराई जा रही है. ताकि इनका शैक्षणिक स्तर ऊंचा हो सके.


मुफ्त बांटी जा रहीं किताबें

इन सभी विद्यार्थियों को इंग्लिश, मैथ, साइंस, हिंदी की पुस्तक मुहैया कराई जा रही है. इसके लिए कुल मिलाकर 16 किताबें प्रकाशित कराई गईं हैं. जिसमें इंग्लिश मीडियम की तर्ज पर वर्कबुक भी छात्रों को निशुल्क सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जा रहा है. अध्यापकों का कहना है कि यह किताबें इस तरह तैयार कराई गईं हैं कि छात्र-छात्राएं जब इन किताबों से पढ़ाई करेंगी तो उनका बौद्धिक स्तर ऊंचा होगा.

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क्लास रूम जैसी बात नहीं

इधर, अभिभावकों का कहना है कि डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं. ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है लेकिन इसमें क्लास रूम की पढ़ाई जैसी बात नहीं हैं. बहुत सारे बच्चे इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं. कई जगह नेटवर्क की समस्या है तो कई ऐसे छात्र हैं जिनके पास मोबाइल ही नहीं है. तीसरी सबसे बड़ी समस्या बच्चों का शिक्षा के प्रति रूझान भी कम होता जाना है. ऐसे में नई किताबों से आंशिक लाभ तो मिलेगा ही.



किताबों के कवर लगाने में लापरवाही

इधर पुस्तक छपाई और कवर लगाने के दौरान लापरवाही सामने आ रही है. ज्ञान सेतु की कई किताबों के कवर पर विषय का नाम गणित लिखा है लेकिन पन्ने पलटने पर उसमें हिंदी विषय की पाठ्यसामग्री है. यही नहीं पैकेट बनाने में भी लापरवाही बरती गई है. गणित के पैकेट से हिंदी विषय की पुस्तक निकल रहीं है. ऐसे में कई विषय की किताबें अधिक तो कई के कम मिलने का खतरा है. इससे किताबों के वितरण में दिक्कत आएगी. साथ ही इसका छोटे बच्चों के मन पर पुस्तक की शुद्धता को लेकर खराब असर पड़ने का खतरा है.

झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से इन किताबों का प्रकाशन कराया गया है. इसके तहत 16 लाख से अधिक किताबों की प्रिंटिंग की जा चुकी है. किताबें पूरे राज्य में बांटा जा रहीं हैं. किताब छपने के पहले उसकी ठीक से मिलान न होने से यह चूक हुई है. लेकिन इसका जवाब प्रबंधन से लेकर सरकार के आला अधिकारियों के पास नहीं है.

Last Updated : Aug 26, 2021, 11:49 AM IST
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