हजारीबाग: दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. लेकिन जिले में गौ माता के आश्रय स्थल का अनादर हो रहा है. हजारीबाग में एक ऐसी गौशाला है जो सरकारी उदासीनता के कारण आर्थिक संकट से जूझ रही है. पुराना जुलजुल हजारीबाग में कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी गौशाला का लाखों रुपया का बकाया सरकार पर है.
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गायों का ओल्ड एज होम
बता दें कि आज यानी 5 नवंबर को गोवर्धन पूजा 2021 मनाई जा रही है. इस त्योहार पर गाय की पूजा की जाती है. हजारीबाग के जुलजुल में कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी गौशाला संचालित कर रही है. यह गौशाला गोवंश के लिए ओल्ड एज होम की तरह है. दूसरी गौशाला से अलग यहां रखी गई 90% गोवंश वृद्ध लाचार और वधशालाओं को भेजे जाने के दौरान बचाई गईं हैं. दूध नहीं देने वाली बूढ़ी हो चुकी गाय को भी यहां आश्रय मिलता है.
वर्तमान समय में लगभग 500 से अधिक गोवंश यहां हैं, जिनमें से महज 60 ऐसी गाय हैं जो दूध दे सकती हैं. इस गौशाला की स्थापना 1885 में की गई थी. लेकिन इस गौशाला का सरकार पर लगभग 30 लाख रुपये बकाया है.
क्यों हैं रुपये बकाया
दरअसल, ऐसी गायें जिन्हें तस्करों से छुड़ाया जाता है, उन्हें यहां रखने की व्यवस्था है. रखने के बाद उनके लिए चारा की व्यवस्था सरकार की ओर से की जाती है. लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ने के कारण गायों की चारा की राशि भी सरकार के खजाने से अरसे से नहीं मिली है. गौशाला के सचिव का कहना है कि गौशाला चलाना बहुत ही मुश्किल हो रहा है.
हालांकि, पैसा नहीं मिलने के कारण अब गौशाला ने नया उपाय निकाला है, गौशाला का कहना अब गाय को ही गोद दिया जाएगा. प्रतिदिन सरकारी दर के अनुसार गाय को ₹50 का चारा दिया जाता है. ऐसे में गौशाला के सदस्यों का कहना है 1500 रुपया मासिक देकर गाय को गोद लिया जा सकता है. जिससे गौशाला चलाने में हम लोगों को सहूलियत होगी.
चंदे से चल रही गौशाला
गौशाला चलाने में हजारीबाग के लोगों का अहम योगदान है. गौशाला चंदा या फिर अन्य कार्यक्रम के जरिए ही चल रही है. जैसे किसी का जन्मदिन या शादी का सालगिरह रहता है तो वह आकर यहां दान पुण्य करता है . उसी पैसे से गौशाला की गायों के लिए चारे की व्यवस्था होती है. अगर सरकार गाय के चारे के पैसे का भुगतान समय पर करती है तो सोसाइटी चलाने वाले लोगों को भी चंदा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.