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संविधान निर्माण समिति का 'छोटा नागपुर केसरी', संसद में जिसने पहली बार अलग झारखंड की रखी थी मांग

हजारीबाग को वीर सपूतों का माटी कहा जाता है. यहां के गौरवपूर्ण इतिहास में कई स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र है. जिले के एक सपूत बाबू राम नरायण सिंह का स्वतंत्रता की लड़ाई में काफी अहम योगदान रहा. वे भारतीय संविधान निर्माण समिति के सदस्य थे, जिन्हें छोटा नागपुर केसरी से भी जाना जाता है.

संविधान निर्माण समिति का 'छोटा नागपुर केसरी', संसद में जिसने पहली बार अलग झारखंड राज्य का प्रस्ताव रखा था
बाबू राम नरायण सिंह
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Published : Jan 25, 2020, 5:11 PM IST

हजारीबाग: हजार बागों का शहर हजारीबाग सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं बल्कि वीर पुरुषों की धरती के रूप में भी जानी जाती है. यहां की माटी कई वीरों की वीरता की साक्षी बनी है. इसी श्रेणी में हैं महान स्वतंत्रता सेनानी बाबू राम नारायण सिंह जिन्हें छोटा नागपुर केसरी से भी जाना जाता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

केंद्रीय विधानसभा के सदस्य रहे

बाबू राम नारायण सिंह 1927 से 1946 तक केंद्रीय विधानसभा के सदस्य के रूप में अपने विचारों से राष्ट्रवाद की धारा प्रवाहित करते रहे.1946 में जब संविधान सभा का गठन हुआ तो उनके सदस्य के रूप में रामनारायण बाबू पंचायती राज, शक्तियों का विकेंद्रीकरण, मंत्री और सदस्यों का अधिकतम वेतन 500 रुपये करने की वकालत उन्होंने की थी. संविधान सभा में ही राम नारायण सिंह ने कहा था कि देश के प्रधानमंत्री को प्रधान सेवक कहा जाए तथा नौकरशाह लोक सेवक के रूप में जाने जाए. ऐसा इसलिए कि राष्ट्र की आत्मा कहीं लोकतंत्र में प्रवेश कर जाए, इस बात का उन्हें डर था.

और पढ़ें- देश की दुर्दशा ने स्वतंत्रता सेनानियों को किया खामोश! मानवीय मूल्यों में आ रही गिरावट से हैं चिंतित

संसद में झारखंड अलग राज्य की मांग

प्रथम आम चुनाव 1951 में हुआ तब बाबू राम नरायण सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी बनकर कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था. राम नारायण बाबू ने बड़ी बेबाकी से अपने विचार रखे थे. योग विद्या की पढ़ाई के लिए संसद में योग विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग और झारखंड को अलग राज्य की आवाज लोकसभा में उठाने वाले वह पहले सांसद थे.

गौरवान्वित है पूरा परिवार

लोकतंत्र के महापर्व गणतंत्र दिवस के अवसर पर हजारीबाग के रामनगर में रहने वाले बाबू राम नरायण सिंह के वंशज खुद को गौरवान्वित मानते हैं. उनके पोते बताते हैं कि उनके दादा दूरदर्शी इंसान थे, जिन्होंने अपने जीवन में देश सेवा के अलावा कुछ भी नहीं सोचा और अपना पूरा जीवन देश के लिए न्यौछावर कर दिया. संविधान निर्माण में उनका अहम योगदान है. वे कहते हैं कि जब भी गणतंत्र दिवस आता है तो खुशी से पूरा परिवार झूम जाता है. उन्हें काफी गर्व होता है कि वह बाबू राम नरायण सिंह के पोते हैं और उनके ही आदर्श को अपनाते हुए काम कर रहे हैं. बाबू राम नारायण सिंह की पुत्रवधू भी कहती हैं कि यह बेहद खुशी वाली बात है और परिवार का सीना चौड़ा हो जाता है जब कोई कहता है कि उनके दादा ससुर ने संविधान निर्माण में अपनी भूमिका निभाई है.

हजारीबाग: हजार बागों का शहर हजारीबाग सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं बल्कि वीर पुरुषों की धरती के रूप में भी जानी जाती है. यहां की माटी कई वीरों की वीरता की साक्षी बनी है. इसी श्रेणी में हैं महान स्वतंत्रता सेनानी बाबू राम नारायण सिंह जिन्हें छोटा नागपुर केसरी से भी जाना जाता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

केंद्रीय विधानसभा के सदस्य रहे

बाबू राम नारायण सिंह 1927 से 1946 तक केंद्रीय विधानसभा के सदस्य के रूप में अपने विचारों से राष्ट्रवाद की धारा प्रवाहित करते रहे.1946 में जब संविधान सभा का गठन हुआ तो उनके सदस्य के रूप में रामनारायण बाबू पंचायती राज, शक्तियों का विकेंद्रीकरण, मंत्री और सदस्यों का अधिकतम वेतन 500 रुपये करने की वकालत उन्होंने की थी. संविधान सभा में ही राम नारायण सिंह ने कहा था कि देश के प्रधानमंत्री को प्रधान सेवक कहा जाए तथा नौकरशाह लोक सेवक के रूप में जाने जाए. ऐसा इसलिए कि राष्ट्र की आत्मा कहीं लोकतंत्र में प्रवेश कर जाए, इस बात का उन्हें डर था.

और पढ़ें- देश की दुर्दशा ने स्वतंत्रता सेनानियों को किया खामोश! मानवीय मूल्यों में आ रही गिरावट से हैं चिंतित

संसद में झारखंड अलग राज्य की मांग

प्रथम आम चुनाव 1951 में हुआ तब बाबू राम नरायण सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी बनकर कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था. राम नारायण बाबू ने बड़ी बेबाकी से अपने विचार रखे थे. योग विद्या की पढ़ाई के लिए संसद में योग विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग और झारखंड को अलग राज्य की आवाज लोकसभा में उठाने वाले वह पहले सांसद थे.

गौरवान्वित है पूरा परिवार

लोकतंत्र के महापर्व गणतंत्र दिवस के अवसर पर हजारीबाग के रामनगर में रहने वाले बाबू राम नरायण सिंह के वंशज खुद को गौरवान्वित मानते हैं. उनके पोते बताते हैं कि उनके दादा दूरदर्शी इंसान थे, जिन्होंने अपने जीवन में देश सेवा के अलावा कुछ भी नहीं सोचा और अपना पूरा जीवन देश के लिए न्यौछावर कर दिया. संविधान निर्माण में उनका अहम योगदान है. वे कहते हैं कि जब भी गणतंत्र दिवस आता है तो खुशी से पूरा परिवार झूम जाता है. उन्हें काफी गर्व होता है कि वह बाबू राम नरायण सिंह के पोते हैं और उनके ही आदर्श को अपनाते हुए काम कर रहे हैं. बाबू राम नारायण सिंह की पुत्रवधू भी कहती हैं कि यह बेहद खुशी वाली बात है और परिवार का सीना चौड़ा हो जाता है जब कोई कहता है कि उनके दादा ससुर ने संविधान निर्माण में अपनी भूमिका निभाई है.

Intro:हजार बागों का शहर हजारीबाग सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए नहीं बल्कि वीर पुरुषों की धरती के रूप में भी जानी जाती है। यहां की माटी कई वीरो की वीरता की साक्षी बनी है। यहां के 2 महापुरुषों को संविधान निर्माण समिति में जगह भी दिया गया। ऐसे में है महान स्वतंत्रता सेनानी बाबू राम नारायण सिंह और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री केबी सहाय ।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...


Body:आज पूरा देश गणतंत्र दिवस बना रहा है। हम अपने संविधान के प्रति अपना सर झुका रहे हैं ।हमारा देश पूरे विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का भी दम्भ भी भरता है। हजारीबाग के दो ऐसे महापुरुष हुए हैं जिन्होंने संविधान निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई है। जिसमें बाबू राम नारायण सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। इनके साथ-साथ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री केबी सहाय का भी नाम भी संविधान निर्माण में लिया जाता है।

बाबू राम नारायण सिंह 1927 से 1946 तक केंद्रीय विधान सभा के सदस्य के रूप में अपने विचारों से राष्ट्रवाद की धारा प्रवाहित करते रहे ।1946 में जब संविधान सभा का गठन हुआ तो उनके सदस्य के रूप में रामनारायण बाबू पंचायती राज, शक्तियों का विकेंद्रीकरण ,मंत्री और सदस्यों का अधिकतम वेतन ₹500 करने की वकालत उन्होंने की थी। संविधान सभा में ही राम नारायण सिंह ने कहा था कि देश के प्रधानमंत्री को प्रधान सेवक कहा जाए तथा नौकरशाह लोक सेवक के रूप में जाने जाए। ऐसा इसलिए कि राष्ट्र की आत्मा कहीं लोकतंत्र में प्रवेश कर जाए ,इस बात का उन्हें डर था ।

प्रथम आम चुनाव 1952 में हुआ तब निर्दलीय प्रत्याशी बनकर कांग्रेस उम्मीदवार को उन्होंने हराया ।रामनारायण बाबू ने बड़ी बेबाकी से अपने विचार रखे। योग विद्या की पढ़ाई के लिए संसद में योग विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग की थी। झारखंड राज्य अलग राज्य लोकसभा में उठाने वाले पहले सांसद थे।

ऐसे में आज लोकतंत्र के महापर्व अवसर पर हजारीबाग के रामनगर में रहने वाले उनके वंशज खुद को गौरवान्वित मानते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे दादा दूरदर्शी इंसान थे। जिन्होंने अपने जीवन में देश सेवा के अलावा कुछ भी नहीं सोचा और अपना जीवन पूरा देश के लिए निछावर कर दिया। संविधान निर्माण में उनका अहम योगदान है। उनके कई बातें आज भी किताबों में जिक्र किया गया है जो उन्हें काफी अधिक गौरवान्वित महसूस कराता है। वह कहते हैं कि जब भी गणतंत्र दिवस आता है तो खुशी से पूरा परिवार झूम जाता है। आज हमें काफी गर्व होता है कि हम उनके पोते हैं और उनके ही आदर्श को आज भी अपनाते हुए हम काम कर रहे हैं। वह कहते हैं कि किसी के परिवार के लिए यह बेहद खास होता है जब उनके पूर्वज संविधान निर्माण और देश के लिए अपना योगदान दें ।ऐसे में हम भी काफी खुशी महसूस करते हैं। उनका कहा हुआ कई सारी बातें आज सच हो रही है। वे एक दूरदर्शी और दार्शनिक इंसान थे जो अपने विचार के लिए पूरे देश भर में उस वक्त जाने जाते थे।

बाबू राम नारायण सिंह की पुत्रवधू भी कहती है कि यह हमारे लिए बेहद खुशी वाली बात है और परिवार का सीना चौड़ा हो जाता है जब कोई कहता है कि इनके दादा ससुर ने संविधान निर्माण में अपनी भूमिका निभाई है। वह कहती है कि सिर्फ परिवार के लिए ही नहीं पूरे हजारीबाग के लिए भी यह गौरव वाली बात है ।

byte..... प्रमोद सिंह बाबू राम नारायण सिंह के पोते
byte.... रीता सिंह ,पुत्रवधू बाबू राम नारायण सिंह


Conclusion:गणतंत्र दिवस के अवसर पर हजारीबाग के निवासी भी महान स्वतंत्रता सेनानी और संविधान निर्माण समिति के सदस्य बाबू राम नारायण सिंह को नमन करता है। ईटीवी भारत भी ऐसे विभूति को श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग

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