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मुर्दा कल्याण समिति ने कायम की मानवता की मिसाल, कोरोना मरीजों को मिल रही निशुल्क एंबुलेंस सेवा - हजारीबाग मुर्दा कल्याण समिति

हजारीबाग में मुर्दा कल्याण समिति ने निशुल्क एंबुलेंस सेवा समाज के लोगों को प्रदान कर रहा है. एंबुलेंस सेवा के जरिए पीड़ित परिवार शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मुक्तिधाम पहुंचाती है. वैसे व्यक्ति जो आर्थिक रूप से संपन्न है उनसे कुछ पैसा लिया जाता है. ताकि एंबुलेंस चल सके.

मुर्दा कल्याण समिति ने कायम की मानवता की मिसाल
मुर्दा कल्याण समिति ने कायम की मानवता की मिसाल
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Published : Sep 24, 2020, 9:27 PM IST

हजारीबाग: जिले के मुर्दा कल्याण समिति किसी परिचय का मोहताज नहीं है. कोरोना काल में संस्था ने जो काम किया है. वह हजारीबाग में आने वाले दिनों में याद रखा जाएगा. हाल के दिनों में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का आंकड़ा में इजाफा हुआ है. ऐसे में अंतिम संस्कार कैसे हो यह पीड़ित परिवार के लिए चुनौती से कम नहीं रहती है. इसे देखते हुए मुर्दा कल्याण समिति ने निशुल्क एंबुलेंस सेवा समाज के लोगों को प्रदान कर रहा है. एंबुलेंस सेवा के जरिए पीड़ित परिवार शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मुक्तिधाम पहुंचाती है. वैसे व्यक्ति जो आर्थिक रूप से संपन्न है उनसे कुछ पैसा लिया जाता है. ताकि एंबुलेंस चल सके.

देखें स्पेशल स्टोरी

लोगों को दे रहे हैं सेवा

मुर्दा कल्याण समिति के अध्यक्ष मोहम्मद खालिद कहते हैं कि मुर्दा का अंतिम संस्कार हो, इसके लिए वे लोग पिछले कई सालों से काम कर रहे हैं. लेकिन वर्तमान समय में जो हालात उत्पन्न हुआ है. इसे देखते हुए उनकी संस्था यह सेवा हजारीबागवासियों को दे रही है.


15000 रुपए चार्ज करता है एंबुलेंस

मोहम्मद खालिद का यह भी कहना है कि जब पहले व्यक्ति की मौत कोरोना से हुई और उस दौरान पीड़ित परिवार अंतिम संस्कार के लिए एंबुलेंस के लिए दर-दर भटक रहा था. तो उन लोगों ने यह फैसला लिया. उनका यह भी कहना है कि अस्पताल से कोनार पुल जाने के लिए एंबुलेंस वाले 5000 से लेकर 15000 रूपए तक की मांग करते हैं, जबकि दूरी महज 5 किलोमीटर है. यह सरासर गलत है.

यह भी पढ़ेंः झारखंड में कोरोना का प्रकोप, अब तक 75,089 संक्रमित, 648 लोगों की मौत



मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं

मोहम्मद खालिद के इस कार्य को लेकर पीड़ित परिवार उनके जज्बे को भी सलाम करता है. उनका कहना है कि मोहम्मद खालिद कोई इंसान नहीं बल्कि देवता है. हजारीबाग के हर एक व्यक्ति को उनका सम्मान करना चाहिए. जब कोरोना काल में अपनों ने अपनों का साथ छोड़ दिया है. ऐसे में मोहम्मद खालिद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है.

अंतिम संस्कार में फजीहत

मोहम्मद खालिद एक संगठन बनाकर यह सेवा दे रहे हैं. ऐसे में उनके एंबुलेंस कार ड्राइवर भी कहता है कि अगर समाज के सभी लोग मुंह मोड़ लेंगे तो क्या होगा. इसलिए हमारी पूरी टीम अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कार्य कर रहे हैं और उन्हें इससे काफी सुकून में मिलता है. लेकिन उनका यह भी कहना है कि समाज के लोगों के की ओर से शुरुआती दौर में उन लोगों का उपेक्षा भी किया गया. लेकिन अब समाज के लोग भी यह समझ गए हैं कि अगर हम साथ नहीं देंगे तो अंतिम संस्कार करने में काफी फजीहत होगी.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

इसके अलावा भी हजारीबाग जिला प्रशासन भी निशुल्क एंबुलेंस सेवा प्रदान कर रहा है. हजारीबाग सिविल सर्जन संजय जयसवाल भी कहते हैं कि संक्रमित व्यक्ति की मौत होने के बाद हम लोग एंबुलेंस प्रदान कर रहे हैं. जिससे शमशान तक ले जाने में परेशानी न हो.

खालिद से सीख लेने की जरूरत

हजारीबाग मे कोरोना संक्रमण के मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए समिति के साथ-साथ समाज के अन्य लोग भी सहयोग कर रहे हैं. यह सहयोग यह बताता है कि हजारीबाग के लोग संजीदा है. जरूरत है यहां के लोगों से सीख लेने की ताकि देश के किसी की भी कोने में अंतिम संस्कार करने में पीड़ित परिवार को कठिनाई न हो.

हजारीबाग: जिले के मुर्दा कल्याण समिति किसी परिचय का मोहताज नहीं है. कोरोना काल में संस्था ने जो काम किया है. वह हजारीबाग में आने वाले दिनों में याद रखा जाएगा. हाल के दिनों में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का आंकड़ा में इजाफा हुआ है. ऐसे में अंतिम संस्कार कैसे हो यह पीड़ित परिवार के लिए चुनौती से कम नहीं रहती है. इसे देखते हुए मुर्दा कल्याण समिति ने निशुल्क एंबुलेंस सेवा समाज के लोगों को प्रदान कर रहा है. एंबुलेंस सेवा के जरिए पीड़ित परिवार शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मुक्तिधाम पहुंचाती है. वैसे व्यक्ति जो आर्थिक रूप से संपन्न है उनसे कुछ पैसा लिया जाता है. ताकि एंबुलेंस चल सके.

देखें स्पेशल स्टोरी

लोगों को दे रहे हैं सेवा

मुर्दा कल्याण समिति के अध्यक्ष मोहम्मद खालिद कहते हैं कि मुर्दा का अंतिम संस्कार हो, इसके लिए वे लोग पिछले कई सालों से काम कर रहे हैं. लेकिन वर्तमान समय में जो हालात उत्पन्न हुआ है. इसे देखते हुए उनकी संस्था यह सेवा हजारीबागवासियों को दे रही है.


15000 रुपए चार्ज करता है एंबुलेंस

मोहम्मद खालिद का यह भी कहना है कि जब पहले व्यक्ति की मौत कोरोना से हुई और उस दौरान पीड़ित परिवार अंतिम संस्कार के लिए एंबुलेंस के लिए दर-दर भटक रहा था. तो उन लोगों ने यह फैसला लिया. उनका यह भी कहना है कि अस्पताल से कोनार पुल जाने के लिए एंबुलेंस वाले 5000 से लेकर 15000 रूपए तक की मांग करते हैं, जबकि दूरी महज 5 किलोमीटर है. यह सरासर गलत है.

यह भी पढ़ेंः झारखंड में कोरोना का प्रकोप, अब तक 75,089 संक्रमित, 648 लोगों की मौत



मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं

मोहम्मद खालिद के इस कार्य को लेकर पीड़ित परिवार उनके जज्बे को भी सलाम करता है. उनका कहना है कि मोहम्मद खालिद कोई इंसान नहीं बल्कि देवता है. हजारीबाग के हर एक व्यक्ति को उनका सम्मान करना चाहिए. जब कोरोना काल में अपनों ने अपनों का साथ छोड़ दिया है. ऐसे में मोहम्मद खालिद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है.

अंतिम संस्कार में फजीहत

मोहम्मद खालिद एक संगठन बनाकर यह सेवा दे रहे हैं. ऐसे में उनके एंबुलेंस कार ड्राइवर भी कहता है कि अगर समाज के सभी लोग मुंह मोड़ लेंगे तो क्या होगा. इसलिए हमारी पूरी टीम अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कार्य कर रहे हैं और उन्हें इससे काफी सुकून में मिलता है. लेकिन उनका यह भी कहना है कि समाज के लोगों के की ओर से शुरुआती दौर में उन लोगों का उपेक्षा भी किया गया. लेकिन अब समाज के लोग भी यह समझ गए हैं कि अगर हम साथ नहीं देंगे तो अंतिम संस्कार करने में काफी फजीहत होगी.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

इसके अलावा भी हजारीबाग जिला प्रशासन भी निशुल्क एंबुलेंस सेवा प्रदान कर रहा है. हजारीबाग सिविल सर्जन संजय जयसवाल भी कहते हैं कि संक्रमित व्यक्ति की मौत होने के बाद हम लोग एंबुलेंस प्रदान कर रहे हैं. जिससे शमशान तक ले जाने में परेशानी न हो.

खालिद से सीख लेने की जरूरत

हजारीबाग मे कोरोना संक्रमण के मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए समिति के साथ-साथ समाज के अन्य लोग भी सहयोग कर रहे हैं. यह सहयोग यह बताता है कि हजारीबाग के लोग संजीदा है. जरूरत है यहां के लोगों से सीख लेने की ताकि देश के किसी की भी कोने में अंतिम संस्कार करने में पीड़ित परिवार को कठिनाई न हो.

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