हजारीबागः झारखंड की कलाकृति लोक कला सोहराय गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर दिखेगी. कहा जाए तो यह हजारीबाग समेत पूरे झारखंड के लिए बेहद गौरव का पल है. पहली बार गणतंत्र दिवस के अवसर हजारीबाग की लोक कला को प्रदर्शित किया जाएगा. सोहराय लोक कला के बारे में कहा जाता है कि इसका इतिहास 5000 वर्ष पुराना है. जो हजारीबाग के बड़कागांव बादम के इसको गुफा देखा जा सकता है.
इसे भी पढ़ें- PM मोदी ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं से बातचीत की और उन्हें डिजिटल प्रमाण पत्र प्रदान किए
हजारीबाग की 5000 वर्ष पुरानी लोक कला सोहराय से जुड़ी कलाकृति इस बार राजपथ के दोनों दीवारों पर नजर आएगी. पहली बार सोहराय के साथ-साथ वैसे स्वतंत्रा सेनानी जिन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया लेकिन उनका नाम इतिहास के पन्नों में दफन हो गया, उनके भी चित्र इस पेंटिंग में देखने को मिलेगा. हजारीबाग से लगभग 11 कलाकार ने इस पेंटिंग को तैयार किया है. पेंटिंग जब दिल्ली में लगेगी तो 26 जनवरी को पूरे विश्व का ध्यान पेंटिंग अपनी ओर आकर्षित करेगी. जिससे सोहराय पेंटिंग अपनी छाप विश्व पटल पर छोड़ेगी और इसको एक नया आयाम मिलेगा. हजारीबाग के कलाकार ने यह कैनवस तैयार किया है, इसको लेकर वो भी काफी उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि ये कलाकारों के लिए गर्व की बात तो है ही साथ ही साथ हजारीबाग के लिए भी यह पल बेहद सुंदर पल है जब हजारीबाग की कलाकृति राजपथ पर दिखेगी.
इस पेंटिंग में जहां एक और गुमनाम नायक की तस्वीर रहेगी तो दूसरी ओर भारत में वैसी कलाकृति जिसका इतिहास है उसे भी प्रदर्शित किया जाएगा. हजारीबाग के ग्रामीण क्षेत्रों में सोहराय कला आज भी दिखती है. लेकिन धीरे-धीरे यह कला विलुप्त होती जा रही है. ऐसे में हजारीबाग के रहने वाले पद्मश्री बुलु इमाम ने इसे अलग पहचान पूरे विश्व में दिलाने की कोशिश की. अब उनके परिवार वाले इस धरोहर को आगे बढ़ाने के लिए दिन रात प्रयास कर रहे हैं. उन्हीं के प्रयास का यह रंग है कि आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ की दीवारों पर हजारीबाग की कला संस्कृति अपनी सुंदरता बिखेरेगी.
इसे भी पढ़ें- कश्मीर से कन्याकुमारी तक पहुंच चुकी है मधुबनी और सोहराय पेंटिग, व्यवसाय और आत्मनिर्भरता के खुल रहे रास्ते
12 दिसंबर से 17 दिसंबर के बीच भुवनेश्वर में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया था. जिसमें 250 कलाकार एक साथ काम कर रहे थे. इस कला कुंभ वर्कशॉप के तहत NGMA ने KIIT और KISS के साथ मिलकर आजादी का अमृत महोत्सव और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों के वीर जीवन और संघर्ष को दिखाने के लिए छह दिवसीय मेगा महाकुंभ वर्कशॉप आयोजित किया था. भारत में इस तरह का पहला कार्यक्रम था. इस वर्कशॉप के जरिए 750 मीटर की स्क्रोल पर प्रदर्शित करना है, जो 26 जनवरी 2022 गणतंत्र दिवस समारोह का एक अभिन्न अंग बनेगा. कला के इस महाकुंभ मे ओड़िशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, और आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्रों को चित्रित किया गया है. इसके साथ ही कलाकारों ने सोहराय, पटचित्र, तलपात्र चित्र, मंजुसा और मधुबनी कला का चित्रण किया. वहीं अन्य स्क्रॉल में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के गुमनाम नायकों की वीरता और संघर्ष की कहानियों को दर्शाया गया है.