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हजारीबाग: पांच दोस्त जानवरों के लिए बने मसीहा, कहा- कुछ ऐसा करो जिसमें दिल को मिले तसल्ली

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Published : May 24, 2020, 8:06 PM IST

हजारीबाग में पांच दोस्तों ने मिलकर शहर के बेजुबान जानवरों को खाना खिलाने का बीड़ा उठाया है. जब पूरे शहर के लोग सो जाते हैं तो ये पांचों दोस्त शहर में निकलकर जानवरों को खाने खिलाते हैं. हजारीबाग में खीरा का फसल ज्यादा हुआ है. इसे देखते हुए ये दोस्त गोवंश को किसानों से खीरा खरीदकर ही खिला रहे हैं, जिससे किसानों को भी फायदा पहुंचे.

Five friends feeding food to animals in hazaribag
बेजुबान जानवरों को भोजन

हजारीबाग: जब पूरा शहर सो जाता है तो शहर के पांच दोस्त सड़क पर उतरते हैं और रात के अंधेरे में बेजुबान जानवरों को खाना खिलाते हैं. ये सभी पिछले 60 दिनों से गोवंश, कुत्ते, बिल्ली को शहर में खाना खिला रहे हैं, लेकिन 5 दिनों से इनका काम करने का तरीका कुछ बदल गया है. हजारीबाग मे इस बार खीरा की खेती बहुत हुई है. इसे देखते हुए ये सभी दोस्त जानवरों को खीरा खिला रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

लॉकडाउन होने के कारण हजारीबाग का खीरा बाहर नहीं जा पा रहा है. जिसके कारण किसानों को उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में किसान के चेहरे पर मायूसी छा गयी है. किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए इन पांचों ने गोवंश को खीरा खिलाने का मन बना लिया, जिससे किसानों को भी दो रुपया फायदा पहुंच सके. ऐसे में अब यह दोस्त दूरदराज क्षेत्रों में जाकर खीरा खरीद रहे हैं और गाय को खिला रहे हैं. उनका कहना है कि कुछ ऐसा करो जिसमें दिल को तसल्ली मिले, इस कारण हम लोग आपस में कुछ पैसा जमा कर गौवंश को खीरा खिलाने का काम कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें:- हजारीबाग: 26 मई से TRUE NET मशीन से कोरोना मरीजों की होगी जांच, अस्पताल प्रबंधन उत्साहित

इन सभी दोस्तों का यह भी कहना है कि हजारीबाग का तापमान बढ़ता जा रहा है. लॉकडाउन होने के कारण लोग घर में बंद हैं, होटल रेस्तरां यहां तक कि फुटपाथ दुकान सारे बंद हैं. ऐसे में इन बेजुबान जानवरों को ना खाना मिल पा रहा है और ना पानी. उन्होंने कहा कि जानवरों को पानी लाकर इतना दूर तक पिलाया नहीं जा सकता है, ऐसे में हमलोगों ने सोचा क्यों ना इन्हें खीरा खिलाया जाए, जिससे इन जानवरों का पेट के साथ-साथ प्यास भी बूझे. उन्होंने कहा कि दोस्ती सिर्फ मस्ती के लिए नहीं होती है, बल्कि इसके पीछे कुछ ऐसा भी उद्देश्य होना चाहिए जो समाज और देश को कुछ दे, ताकि अपनी भी जिम्मेवारी पूरी हो सके.

हजारीबाग: जब पूरा शहर सो जाता है तो शहर के पांच दोस्त सड़क पर उतरते हैं और रात के अंधेरे में बेजुबान जानवरों को खाना खिलाते हैं. ये सभी पिछले 60 दिनों से गोवंश, कुत्ते, बिल्ली को शहर में खाना खिला रहे हैं, लेकिन 5 दिनों से इनका काम करने का तरीका कुछ बदल गया है. हजारीबाग मे इस बार खीरा की खेती बहुत हुई है. इसे देखते हुए ये सभी दोस्त जानवरों को खीरा खिला रहे हैं.

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लॉकडाउन होने के कारण हजारीबाग का खीरा बाहर नहीं जा पा रहा है. जिसके कारण किसानों को उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में किसान के चेहरे पर मायूसी छा गयी है. किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए इन पांचों ने गोवंश को खीरा खिलाने का मन बना लिया, जिससे किसानों को भी दो रुपया फायदा पहुंच सके. ऐसे में अब यह दोस्त दूरदराज क्षेत्रों में जाकर खीरा खरीद रहे हैं और गाय को खिला रहे हैं. उनका कहना है कि कुछ ऐसा करो जिसमें दिल को तसल्ली मिले, इस कारण हम लोग आपस में कुछ पैसा जमा कर गौवंश को खीरा खिलाने का काम कर रहे हैं.

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इन सभी दोस्तों का यह भी कहना है कि हजारीबाग का तापमान बढ़ता जा रहा है. लॉकडाउन होने के कारण लोग घर में बंद हैं, होटल रेस्तरां यहां तक कि फुटपाथ दुकान सारे बंद हैं. ऐसे में इन बेजुबान जानवरों को ना खाना मिल पा रहा है और ना पानी. उन्होंने कहा कि जानवरों को पानी लाकर इतना दूर तक पिलाया नहीं जा सकता है, ऐसे में हमलोगों ने सोचा क्यों ना इन्हें खीरा खिलाया जाए, जिससे इन जानवरों का पेट के साथ-साथ प्यास भी बूझे. उन्होंने कहा कि दोस्ती सिर्फ मस्ती के लिए नहीं होती है, बल्कि इसके पीछे कुछ ऐसा भी उद्देश्य होना चाहिए जो समाज और देश को कुछ दे, ताकि अपनी भी जिम्मेवारी पूरी हो सके.

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