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तत्कालीन उपायुक्त सुधीर प्रसाद की पहल से बदल गई इस गांव की तकदीर, आम बेचकर हो रहा विकास कार्य

हजारीबाग के लोचर गांव (Lochar Village) की तकदीर तत्कालीन उपायुक्त सुधीर प्रसाद (Ex DC Sudhir Prasad) ने बदल कर रख दी. तत्कालीन उपायुक्त सुधीर प्रसाद ने 1994 में गांव के वन भूमि में 300 आम के पौधे लगवाए थे, जिसका फल बेचकर आज ग्रामीण गांव का विकास कर रहे हैं. ग्रामीण आम बेचकर गांव में शौचालय निर्माण, सड़क निर्माण, नाली निर्माण, सिंचाई सुविधा, मंदिर निर्माण इत्यादि करवाते हैं. इस साल भी ग्रामीणों ने 90 हजार रुपये का आम बेचा है.

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लोचर गांव की बदली तकदीर
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Published : Jul 12, 2021, 4:41 PM IST

Updated : Jul 12, 2021, 7:09 PM IST

हजारीबाग: जिले के केरेडारी प्रखंड के लोचर गांव (Lochar Village) में हजारीबाग के तत्कालीन उपायुक्त सुधीर प्रसाद (Ex DC Sudhir Prasad) की पहल से आज पूरे गांव की तस्वीर, तकदीर बदल गई है. सुधीर प्रसाद ने इलाके में 300 आम के पेड़ लगाए थे. ग्रामीण आज उसी पेड़ का आम बेचकर सामुदायिक विकास का कार्य (Community Development Work) कर रहे हैं.

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सुधीर प्रसाद लगभग 15 साल पहले हजारीबाग के उपायुक्त थे. वो काफी तेज तर्रार अधिकारी माने जाते थे. साल 1994 में सुधीर प्रसाद ने तत्कालीन डीएफओ बीके बरियार को लोचर गांव के वन भूमि में आम का पौधा लगवाने का निर्देश दिया, जिसके बाद डीएफओ ने वन भूमि पर 300 आम के पौधे लगवाए थे, जिसमें लगभग 200 पौधे लग गए और शेष बचे 100 पौधे नष्ट हो गए. जो पेड़ जीवित हैं, उसमें अब फल लगना शुरू हो गया. सभी आम के पौधे उच्च कोटि के हैं, जिसका फल काफी स्वादिष्ट है और बाजारों में उसकी मांग भी अधिक है.

देखें स्पेशल स्टोरी

आम बेचकर गांव का विकास

लोचर गांव में लगे सभी आम के पेड़ों पर ग्रामीणों का अधिकार है. आम जब तैयार हो जाता है तो तय किया जाता है, कि कितना आम प्रत्येक घरों को दिया जाएगा. उसके बाद शेष बचे आम को बाजारों में बेच दिया जाता है. आम बिक्री के जो भी पैसे होते हैं उसे गांव के सामुदायिक विकास कार्यों में लगाया जाता है. जैसे शौचालय निर्माण, सड़क निर्माण, नाली निर्माण, सिंचाई सुविधा दुरुस्त करना, मंदिर बनाना इत्यादि. लोचर गांव में 70 घर है. सभी मिलकर आम के पेड़ की देखभाल करते हैं.

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लोचर गांव

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गांव के विकास के लिए ग्रामीण बनाते हैं योजना
ग्रामीण बताते हैं, कि आम के पौधों को बचाने के लिए ईंट का घेरा लगाया गया है, जब पौधा बड़ा हो गया तो सारे ईंट को जमा कर मंदिर बनाया गया, मंदिर के सामने बैठने के लिए चबूतरा भी बनाया गया, जिसमें गांव के लोग बैठक कर गांव के विकास के लिए योजना बनाते हैं.

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गांव में आम का बगीचा

मीनू महतो की सोच से गांव का विकास
ग्रामीणों का कहना है कि उपायुक्त सुधीर प्रसाद ने आम का पौधा तो लगा दिया और अपना दायित्व पूरा किया, लेकिन सामुदायिक विकास की सोच मीनू महतो की है. वहीं मीनू महतो बताते हैं, कि लोचर गांव में बहुत ही कम लोग रहते थे, गांव के लोग मुझे बहुत मान सम्मान देते थे, काफी मंथन के बाद हमने यह सोचा कि क्यों ना उपायुक्त के दिए गए तोहफे का उपयोग सामुदायिक विकास के लिए किया जाए, जिसके बाद ग्रामीणों के साथ मिलकर यह योजना बनाई गई.

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ग्रामीणों ने लगाए 100 पेड़
लोचर गांव में 300 पौधे तत्कालीन उपायुक्त सुधीर प्रसाद के ओर से लगवाए गए थे, जिसमें 100 पौधे नष्ट हो गए थे, उसके बाद ग्रामीणों ने मिलकर 100 पौधे लगाए. ग्रामीण बताते हैं कि सभी ग्रामीण आम के पेड की सुरक्षा करते हैं, साल भर पानी और खाद का छिड़काव किया जाता है, जब मंजर आता है, उसके बाद से लेकर फल आने तक हर व्यक्ति का दायित्व होता है, कि वह इसकी सुरक्षा करें. उन्होंने बताया कि आम तैयार हो जाने के बाद मीनू चाचा के बताए हुए कार्य के अनुसार काम किया जाता है.


साल 2021 में 90 हजार रुपये के आम की बिक्री
ग्रामीण बताते हैं कि साल 2021 में लगभग 90 हजार रुपये का आम बेचा गया है, अब बैठक कर निर्णय लिया जाएगा कि पैसे का उपयोग कहां किया जाए. उन्होंने बताया कि पिछले साल आम बेचने के बाद जो पैसा बचा, उससे महिला शौचालय का निर्माण करवाया गया था, शौचालय बनने के बाद कोई भी महिला खुले में शौच नहीं जाती है, गांव में जहां कपड़े धोने तक की व्यवस्था की गई है. ग्रामीण तत्कालीन उपायुक्त सुधीर प्रसाद के इस पहल की जमकर तारीफ भी करते हैं.

हजारीबाग: जिले के केरेडारी प्रखंड के लोचर गांव (Lochar Village) में हजारीबाग के तत्कालीन उपायुक्त सुधीर प्रसाद (Ex DC Sudhir Prasad) की पहल से आज पूरे गांव की तस्वीर, तकदीर बदल गई है. सुधीर प्रसाद ने इलाके में 300 आम के पेड़ लगाए थे. ग्रामीण आज उसी पेड़ का आम बेचकर सामुदायिक विकास का कार्य (Community Development Work) कर रहे हैं.

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सुधीर प्रसाद लगभग 15 साल पहले हजारीबाग के उपायुक्त थे. वो काफी तेज तर्रार अधिकारी माने जाते थे. साल 1994 में सुधीर प्रसाद ने तत्कालीन डीएफओ बीके बरियार को लोचर गांव के वन भूमि में आम का पौधा लगवाने का निर्देश दिया, जिसके बाद डीएफओ ने वन भूमि पर 300 आम के पौधे लगवाए थे, जिसमें लगभग 200 पौधे लग गए और शेष बचे 100 पौधे नष्ट हो गए. जो पेड़ जीवित हैं, उसमें अब फल लगना शुरू हो गया. सभी आम के पौधे उच्च कोटि के हैं, जिसका फल काफी स्वादिष्ट है और बाजारों में उसकी मांग भी अधिक है.

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आम बेचकर गांव का विकास

लोचर गांव में लगे सभी आम के पेड़ों पर ग्रामीणों का अधिकार है. आम जब तैयार हो जाता है तो तय किया जाता है, कि कितना आम प्रत्येक घरों को दिया जाएगा. उसके बाद शेष बचे आम को बाजारों में बेच दिया जाता है. आम बिक्री के जो भी पैसे होते हैं उसे गांव के सामुदायिक विकास कार्यों में लगाया जाता है. जैसे शौचालय निर्माण, सड़क निर्माण, नाली निर्माण, सिंचाई सुविधा दुरुस्त करना, मंदिर बनाना इत्यादि. लोचर गांव में 70 घर है. सभी मिलकर आम के पेड़ की देखभाल करते हैं.

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लोचर गांव

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गांव के विकास के लिए ग्रामीण बनाते हैं योजना
ग्रामीण बताते हैं, कि आम के पौधों को बचाने के लिए ईंट का घेरा लगाया गया है, जब पौधा बड़ा हो गया तो सारे ईंट को जमा कर मंदिर बनाया गया, मंदिर के सामने बैठने के लिए चबूतरा भी बनाया गया, जिसमें गांव के लोग बैठक कर गांव के विकास के लिए योजना बनाते हैं.

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गांव में आम का बगीचा

मीनू महतो की सोच से गांव का विकास
ग्रामीणों का कहना है कि उपायुक्त सुधीर प्रसाद ने आम का पौधा तो लगा दिया और अपना दायित्व पूरा किया, लेकिन सामुदायिक विकास की सोच मीनू महतो की है. वहीं मीनू महतो बताते हैं, कि लोचर गांव में बहुत ही कम लोग रहते थे, गांव के लोग मुझे बहुत मान सम्मान देते थे, काफी मंथन के बाद हमने यह सोचा कि क्यों ना उपायुक्त के दिए गए तोहफे का उपयोग सामुदायिक विकास के लिए किया जाए, जिसके बाद ग्रामीणों के साथ मिलकर यह योजना बनाई गई.

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ग्रामीणों ने लगाए 100 पेड़
लोचर गांव में 300 पौधे तत्कालीन उपायुक्त सुधीर प्रसाद के ओर से लगवाए गए थे, जिसमें 100 पौधे नष्ट हो गए थे, उसके बाद ग्रामीणों ने मिलकर 100 पौधे लगाए. ग्रामीण बताते हैं कि सभी ग्रामीण आम के पेड की सुरक्षा करते हैं, साल भर पानी और खाद का छिड़काव किया जाता है, जब मंजर आता है, उसके बाद से लेकर फल आने तक हर व्यक्ति का दायित्व होता है, कि वह इसकी सुरक्षा करें. उन्होंने बताया कि आम तैयार हो जाने के बाद मीनू चाचा के बताए हुए कार्य के अनुसार काम किया जाता है.


साल 2021 में 90 हजार रुपये के आम की बिक्री
ग्रामीण बताते हैं कि साल 2021 में लगभग 90 हजार रुपये का आम बेचा गया है, अब बैठक कर निर्णय लिया जाएगा कि पैसे का उपयोग कहां किया जाए. उन्होंने बताया कि पिछले साल आम बेचने के बाद जो पैसा बचा, उससे महिला शौचालय का निर्माण करवाया गया था, शौचालय बनने के बाद कोई भी महिला खुले में शौच नहीं जाती है, गांव में जहां कपड़े धोने तक की व्यवस्था की गई है. ग्रामीण तत्कालीन उपायुक्त सुधीर प्रसाद के इस पहल की जमकर तारीफ भी करते हैं.

Last Updated : Jul 12, 2021, 7:09 PM IST
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