हजारीबागः जिला में गंभीर रोगियों एवं प्रसुताओं को समय पर त्वरित उपचार मुहैया कराने को लेकर जीवनदायिनी नाम से एंबुलेंस संचालित की जा रही है. लेकिन जिले में इन दिनों 108 एंबुलेंस खुद बीमार चल रही है. ऐसे में एंबुलेंस की सुविधा राम भरोसे ही चल रही है. मरीजों को त्वरित उपचार मुहैया कराने के लिए शुरू हुई 108 एंबुलेंस सेवा दिनों-दिन मरम्मत के अभाव में लड़खड़ा रही है.
हजारीबाग में इन दोनों 10 नई एंबुलेंस सेवा के लिए दिए गए हैं. जिससे मरीज को अस्पताल लाया जा रहा है. लेकिन इसके पहले जिले को 18 हजार 108 एंबुलेंस दिए गए थे. उसमें से 15 एंबुलेंस खराब हो गए हैं. जिसे लेकर अब मरम्मत का काम चल रहा है. डेमोटांड़ के एक गरज में चार एंबुलेंस बनाने के लिए भेजे गए हैं. वहीं कई एंबुलेंस ऐसे हैं, जिनकी बैटरी और चक्के खराब हो चुके हैं. ऐसे में अब उसे दुरुस्त करने की तैयारी चल रही है. हजारीबाग सिविल सर्जन डॉ एसपी सिंह ने जानकारी दिया कि पुराने एंबुलेंस खराब हो चुके हैं और उन्हें बनाने का काम चल रहा है.
वहीं सिविल सर्जन डॉ एसपी सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आपातकालीन सेवा के तहत हजारीबाग को 10 नया एंबुलेंस दिया गया है. पुरानी कंपनी मेसर्स चिकित्सा हेल्थ केयर लिमिटेड से एमओयू समाप्त होने के बाद अब नयी कंपनी मेसर्स इएमआरआइ ग्रीन हेल्थ सर्विसेज मौजूदा संसाधनों का हैंडओवर दे दी है. उनका भी मानना है कि अगर पुराना एंबुलेंस दुरुस्त हो जाता तो हजारीबाग में एंबुलेंस की समस्या कभी नहीं होती. इसका लाभ सभी लोगों को मिलता. वर्तमान समय में 15 एंबुलेंस खराब पड़े हुए हैं लेकिन 10 नई एंबुलेंस सेवा देने के लिए तैयार भी हैं. बहुत जल्द सभी खराब एंबुलेंस को दुरुस्त कर लिया जाएगा. ऐसे में जिला में 25 एंबुलेंस सेवा देते हुए मिल जाएंगे.
ऐसा माना जा सकता है कि रखरखाव के अभाव में एंबुलेंस का खराब होना प्रशासनिक और सरकारी उदासीनता का प्रतीक है. जिस तरह से कोरोना ने फिर से दस्तक देना शुरू कर दिया है. ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ साथ एंबुलेंस सेवा दुरुस्त रहना बेहद जरूरी है.
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