हजारीबाग: राज्य और केंद्र सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तो कई लोकलुभावन वादे किए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. हजारीबाग में चैंबर ऑफ फार्मर ने बैठक कर अपना दर्द बयां किया है. किसानों का कहना है कि अब हालात ये हो गए हैं कि आत्महत्या को मजबूर हो जाएंगे, साहूकार और बैंक के लोन के तले इतना दब गए हैं कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. एक तरफ कोरोना ने किसानों की आर्थिक स्थिति खराब कर दी. वहीं हाल ही में आए चक्रवात तूफान यास ने फसलों को बर्बाद कर दिया है जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन इन किसानों का अब तक कोई सुध लेने वाला नहीं है.
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केंद्र और राज्य सरकार हर मंच से किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार वादे करते रही है. किसानों का मान सम्मान बढ़ाने के लिए उन्हें अन्नदाता कहा जाता रहा है. भारत किसान प्रधान देश है, जहां विकास दर भी किसानों के उत्पादन पर निर्भर है, लेकिन हजारीबाग के किसान इन दिनों काफी परेशान हैं और उनका परेशानी सुनने वाला कोई नहीं है. आक्रोशित किसानों ने बैठक कर यह निर्णय लिया है कि अगर सरकार किसानों की मदद नहीं करेगी तो आंदोलन किया जाएगा. चैंबर ऑफ फार्मर के पदाधिकारी ने बताया कि हजारीबाग के सभी किसान परेशान हैं, उनका लाखों लाख रुपए बर्बाद हो गए हैं. कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में बाजार बंद था और व्यापारी भी अनाज खरीदने नहीं पहुंच पाए, जिससे अनाज की बिक्री नहीं हो पाई. वहीं दूसरी तरफ चक्रवात तूफान यास ने पूरे फसल को बर्बाद कर दिया है.
कर्ज तले दबे किसान
वहीं किसानों ने कहा कि पैक्स की ओर से धान खरीद की गई, लेकिन अब तक भुगतान नहीं किया गया है और अब फसल लगाने की बारी आ रही है. उन्होंने कहा कि कुछ दिन में मानसून झारखंड में प्रवेश कर जाएगा, अब तक तैयारी भी शुरू नहीं की गई है, क्योंकि किसानों के पास पैसा ही नहीं है, कई एकड़ में लगी फसल अभी भी खेत में सूख रही है. उन्होंने बताया कि केसीसी लोन का दबाव किसानों पर है, वहीं साहूकार और व्यापारी, जिनसे खेती के लिए पैसा लेते हैं, उन्हें भी पैसे वापस नहीं कर पा रहे हैं, साहूकार और व्यापारी घर आकर गलत व्यवहार कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि घर में अनाज नहीं है और सरकार हमें अन्नदाता कहती है, इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है.
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किसान उपायुक्त और जनप्रतिनिधियों को सौंपेंगें ज्ञापन
हजारीबाग के किसानों ने चैंबर ऑफ फार्मर का गठन किया है, जो किसानों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करता है. किसान आपस में पदाधिकारियों का चयन करते हैं. चक्रवात तूफान यास के कारण किसानों की फसल बर्बाद हो गई है. चैंबर ने किसानों की बदहाली को लेकर बैठक भी की है. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उपायुक्त और विभिन्न जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा जाएगा, अगर सरकार बातें नहीं मानी जाएगी तो प्रखंड और गांव में धरना दिया जाएगा. उसके बाद भी अगर समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे.
कैसे पढ़ेंगे किसानों के बच्चे
किसानों का कहना है कि कहते हैं कि राज्य और केंद्र सरकार हमें अन्नदाता कहती है, लेकिन कभी आकर हमारे घर में देख ले. वर्तमान समय में अन्नदाता के घर में ही अनाज नहीं है, हमारे बच्चे क्या खाएंगे, कैसे पढ़ेंगे, हम लोन का पैसा कैसे चुकता करेंगे, यह समझ में के परे है. उन्होंने कहा कि अगर तत्काल सरकार की ओर से राहत नहीं मिली तो बड़ा ही अनर्थ हो जाएगा.