हजारीबाग: आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी देश के तमाम हिस्सों के सुदूरवर्ती गांवों में बुनियादी सुविधाओं तक का विकास नहीं हो सका है. नतीजतन लोगों की जान खतरे में पड़ रही है. झारखंड का तो और भी बुरा हाल है. यहां एक और सुदूरवर्ती गांव से खटिया पर प्रसव पीड़िता को अस्पताल पहुंचाने का मामला सामने आया है, जिससे पीड़िता को स्वास्थ्य सुविधा दिलाने में दो घंटे की देरी हुई. इस दौरान उसकी जान पर खतरा मंडराता रहा. इससे पहले भी झारखंड में सड़क के अभाव में खटिया पर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने की खबरें सुर्खियां बन चुकी हैं.
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हजारीबाग के इचाक प्रखंड के दाढ़ी घागर के 6 गांवों में सड़क और अस्पताल तक की व्यवस्था नहीं की जा सकी है. किसी व्यक्ति के बीमार होने पर खटिया पर लादकर ही अस्पताल पहुंचाया जाता है. ताजा मामला ग्राम पुराण पनिया का है. यहां की रहने वाली गुड़िया देवी को प्रसव पीड़ा शुरू होने के साथ ही स्थिति बिगड़ने लगी. प्रसव पीड़िता की जान बचाने के लिए अस्पताल ले जाना था.
लेकिन गांव में न सड़क है और न ही अस्पताल. इससे प्रखंड मुख्यालय इचाक के अस्पताल ले जाने के लिए ग्रामीण प्रसव पीड़िता को खटिया पर लादकर निकले.लगभग 2 घंटे तक पहाड़ के रास्ते वे मुख्य सड़क पर पहुंचे और फिर वहां से उसे निजी गाड़ी से अस्पताल ले गए.
ममता वाहन को नहीं आई ममता
ग्रामीणों ने सड़क से प्रसव पीड़िता को अस्पताल पहुंचाने के लिए ममता वाहन को भी फोन किया था, लेकिन वह भी समय पर नहीं पहुंचा. समाजसेवी भावेश कुमार हेंब्रम ने बताया इस गांव में सड़क के लिए जिला प्रशासन से लेकर सरकार तक को आवेदन दिया गया है. लेकिन आवेदन पर कार्रवाई नहीं हुई है.