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हजारीबाग के युवा बत्तख पालन कर लिख रहे तरक्की की इबारत, जानें पूरी कहानी

मुर्गी पालन अब पुराने जमाने की बात हो गई है. अब हजारीबाग के इचाक प्रखंड में युवाओं के बीच बत्तख पालन का व्यवसाय ट्रेंड कर रहा है. यहां के मोकतमा गांव में कई युवा बत्तख पालन से अच्छी आमदनी कर तरक्की की इबारत लिख रहे हैं.

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Published : Mar 22, 2021, 12:29 PM IST

Updated : Mar 22, 2021, 7:46 PM IST

Duck farming trend in youth of Mokatama village in Hazaribag
हजारीबाग के युवा बत्तख पालन कर लिख रहे तरक्की की इबारत

हजारीबागः आमतौर पर मुर्गी पालन को ही व्यवसाय के रूप में देखा जाता है.लेकिन अब ट्रेंड बदलने लगा है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन की जगह लोग बत्तख पालन कर आजीविका कमा रहे हैं. यहां के एक युवा ने 2500 से अधिक बत्तख पाले हैं, जो अब अंडा देने की स्थिति में आ गए हैं. ऐसे में युवक का कहना है कि अगर लीक से हटकर काम करेंगे तभी अच्छी आमदनी कर सकेंगे.

देखें स्पेशल स्टोरी
ये भी पढ़ें-पाकुड़ के टेडी चीन से खाली कराएंगे हमारा बाजार, बच्चों के चेहरों पर लाएंगे मुस्कानहजारीबाग के इचाक प्रखंड के मोकतमा गांव में अभिषेक मुर्मू ने बत्तख पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाया है. इसके पास 100- 200 नहीं बल्कि 2500 से अधिक बत्तख हैं. उसका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन बेहद आम बात है. आज के समय में मुनाफा भी काफी कम हो गया है, अगर बीमारी हो गई तो मुर्गियां मर जाती हैं. इस कारण यहां के ग्रामीणों ने इसे देखते हुए बत्तख पालन किया है. बत्तख पालन में शुरुआत में 1 महीने तक अधिक मेहनत है. इसके बाद मेहनत भी कम है और मुनाफा भी अधिक है. उनका कहना है कि एक अंडा होलसेल में ₹15 में बिकता है, वही बत्तख 300 से ₹400 में एक .ऐसे में आमदनी भी अच्छी होती है. उसका कहना है कि एक बत्तख तीन सौ के आसपास अंडा देता है. अगर मेरे पास 2500 बत्तख है तो आप समझ सकते हैं कि मुझे कितने अंडे मिलेंगे.

कई युवा कर रहे बत्तख पालन

वहीं सुमन कुमार ने बताया कि एक बड़े फार्महाउस में बत्तख के अंडे और बत्तख का व्यवसाय किया जा रहा है. बत्तख जिस फार्म में रखा जाता है उसके ठीक बगल में मछली पालन के लिए तालाब बनवाया गया है. ऐसे में बत्तख अपने फार्महाउस से निकलकर तालाब में भी देखे जाते हैं और यह दृश्य मनोरम होता है. यहां के युवक भी कहते हैं कि कभी कभार हम लोग आकर तालाब के बगल में बैठते हैं तो देखने में काफी अच्छा लगता है. इधर मोकतमा पंचायत के सरपंच सत्य नारायण सिंह का कहना है कि लीक से हटकर काम करने से युवा दूसरों के लिए भी पथप्रदर्शक बन रहे हैं.

हजारीबागः आमतौर पर मुर्गी पालन को ही व्यवसाय के रूप में देखा जाता है.लेकिन अब ट्रेंड बदलने लगा है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन की जगह लोग बत्तख पालन कर आजीविका कमा रहे हैं. यहां के एक युवा ने 2500 से अधिक बत्तख पाले हैं, जो अब अंडा देने की स्थिति में आ गए हैं. ऐसे में युवक का कहना है कि अगर लीक से हटकर काम करेंगे तभी अच्छी आमदनी कर सकेंगे.

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ये भी पढ़ें-पाकुड़ के टेडी चीन से खाली कराएंगे हमारा बाजार, बच्चों के चेहरों पर लाएंगे मुस्कानहजारीबाग के इचाक प्रखंड के मोकतमा गांव में अभिषेक मुर्मू ने बत्तख पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाया है. इसके पास 100- 200 नहीं बल्कि 2500 से अधिक बत्तख हैं. उसका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन बेहद आम बात है. आज के समय में मुनाफा भी काफी कम हो गया है, अगर बीमारी हो गई तो मुर्गियां मर जाती हैं. इस कारण यहां के ग्रामीणों ने इसे देखते हुए बत्तख पालन किया है. बत्तख पालन में शुरुआत में 1 महीने तक अधिक मेहनत है. इसके बाद मेहनत भी कम है और मुनाफा भी अधिक है. उनका कहना है कि एक अंडा होलसेल में ₹15 में बिकता है, वही बत्तख 300 से ₹400 में एक .ऐसे में आमदनी भी अच्छी होती है. उसका कहना है कि एक बत्तख तीन सौ के आसपास अंडा देता है. अगर मेरे पास 2500 बत्तख है तो आप समझ सकते हैं कि मुझे कितने अंडे मिलेंगे.

कई युवा कर रहे बत्तख पालन

वहीं सुमन कुमार ने बताया कि एक बड़े फार्महाउस में बत्तख के अंडे और बत्तख का व्यवसाय किया जा रहा है. बत्तख जिस फार्म में रखा जाता है उसके ठीक बगल में मछली पालन के लिए तालाब बनवाया गया है. ऐसे में बत्तख अपने फार्महाउस से निकलकर तालाब में भी देखे जाते हैं और यह दृश्य मनोरम होता है. यहां के युवक भी कहते हैं कि कभी कभार हम लोग आकर तालाब के बगल में बैठते हैं तो देखने में काफी अच्छा लगता है. इधर मोकतमा पंचायत के सरपंच सत्य नारायण सिंह का कहना है कि लीक से हटकर काम करने से युवा दूसरों के लिए भी पथप्रदर्शक बन रहे हैं.

Last Updated : Mar 22, 2021, 7:46 PM IST
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