हजारीबाग: वैश्विक महामारी कोरोना ने समाज के हर एक तबके को प्रभावित किया है. हर एक व्यवसाय पर इसका इन दिनों बुरा असर देखने को मिल रहा है. कोरोना की मार से पहले सब्जी की फसलें बर्बाद हुईं, अब तरबूज की फसल पर भी प्रभाव पड़ा है. ऐसे मे किसान परेशान हैं. आलम यह है कि खेतों में तरबूज पड़ा हुआ है और खरीददार ही नहीं पहुंच रहे हैं.
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तरबूज के नहीं बिकने से किसान परेशान
किसानों का कहना है कि बड़ी ही मेहनत और पैसा लगाकर खेती की थी. जमीन भी किराए पर ली थी लेकिन कोरोना का असर इस तरह पड़ा है कि हम लोगों का लागत भी वापस आ जाए तो बहुत बड़ी बात होगी. उनका कहना है कि तरबूज ठंडा फल है. आज के समय में लोग ठंडा फल से दूरी बनाए हुए हैं.
यह भी एक कारण है कि तरबूज नहीं बिक रहा है. दूसरा कारण यह है कि लॉकडाउन होने के कारण व्यापारी खेत पर नहीं पहुंच रहे हैं. बाजार पूरा तरह से बंद है. प्रारंभिक दौर में 10 रुपये किलो तक तरबूज का दाम हम लोगों को मिला था, लेकिन आज 3 से 4 रुपये किलो भी अगर बिक जाए तो बड़ी बात होगी.
3 दिनों से नहीं बिका एक भी तरबूज
कई ऐसे दुकानदार हैं जो खेत से तरबूज लाकर बाजार में बेचने के लिए दुकान लगाए हुए हैं. उनके भी फल नहीं बिक रहे हैं तो दूसरी ओर एनएच पर भी फल वाले अपनी दुकान लगाए हैं ताकि राहगीर खरीदें तो घर चले. उनका भी कहना है कि हम लोग हजारों रुपये के तरबूज ले आए हैं लेकिन एक भी तरबूज पिछले 3 दिनों से नहीं बिका है. तरबूज लेने से सब लोग कोताही बरत रहे हैं, जिसका एकमात्र कारण कोरोना है.
लाखों रुपये के तरबूज बर्बाद
संक्रमण के कारण लाखों रुपये का तरबूज इस साल बिना बिके ही बर्बाद हो जाएगा. ऐसे कई किसान हैं जिनका लाखों लाख रुपए डूब जाएगा और उसके बारे में ना ही किसी के पास सोचने का वक्त है और ना ही कोई योजना. ऐसे में किसान भगवान भरोसे हैं. जरूरत है कुछ ऐसी योजना बनाने की जो किसानों की मदद कर सके.