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हजारीबाग में दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पर आधारित पुस्तक फांक रहे धूल, करोड़ों बर्बाद

हजारीबाग में दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पर आधारित पुस्तक धूल फांक रहे हैं. करोड़ों खर्च कर केंद्र सरकार ने खेल विभाग के जरिए यह पुस्तक छपवाया था. लेकिन छात्रों के बीच पुस्तक बांटे नहीं जा सके. जिससे करोड़ों रुपये की बर्बादी हो गई.

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Published : Jul 7, 2022, 12:04 PM IST

Updated : Jul 7, 2022, 12:41 PM IST

book based on biography of Deendayal Upadhyay is throwing dust in Hazaribag
book based on biography of Deendayal Upadhyay is throwing dust in Hazaribag

हजारीबागः केंद्र सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर आधारित पुस्तक छात्रों के बीच बंटवाने को लेकर पुस्तक छपवाया था. लेकिन पिछले कई सालों से किताब पड़ी हुई है. दरअसल झारखंड में सरकार बदल जाने के बाद पुस्तक छात्र तक नहीं पहुंचा. यह भी जानकारी है कि पुस्तक छपवाने में किसी बात को लेकर जांच की भी बात कही गई थी. लेकिन ना तो जांच हुई और ना ही पुस्तक छात्रों तक पहुंचा.

केंद्र सरकार ने खेल विभाग के जरिए सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर आधारित पुस्तक 15 वॉल्यूम में प्रिंट करवाया था. जिसका उद्देश्य यही था कि स्कूल के बच्चे दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी के बारे में जाने. लेकिन पुस्तक प्रिंट होने के बाद यह मामला जांच का हो गया कि कितने पुस्तक प्रिंट कराया गया है. इसी बीच झारखंड में सत्ता परिवर्तन हुआ. भाजपा के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बन गई और यह किताब छात्रों तक नहीं पहुंची.

देखें पूरी खबर

हजारीबाग ही नहीं पूरे राज्य भर में यह पुस्तक कहीं न कहीं पड़ी हुई है. हजारीबाग में स्टेडियम एक कमरे में जहां खेल विभाग का कार्यालय चलता है वह पुस्तक रखी गई है. हजारों पुस्तक धूल फांक रहे हैं. अगर यह पुस्तक छात्रों तक पहुंचता तो सरकार ने जिस सोच से किताब प्रिंट कराया था, उसका उद्देश्य पूरा हो जाता. लाखों रुपया पुस्तक प्रिंट करवाने में खर्च किया गया और इसका लाभ छात्रों को नहीं मिला. आलम यह है कि इन पुस्तकों के बारे में कोई भी पदाधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. उनका भी कहना है कि मुझे इस योजना के बारे में पता नहीं.

हजारीबागः केंद्र सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर आधारित पुस्तक छात्रों के बीच बंटवाने को लेकर पुस्तक छपवाया था. लेकिन पिछले कई सालों से किताब पड़ी हुई है. दरअसल झारखंड में सरकार बदल जाने के बाद पुस्तक छात्र तक नहीं पहुंचा. यह भी जानकारी है कि पुस्तक छपवाने में किसी बात को लेकर जांच की भी बात कही गई थी. लेकिन ना तो जांच हुई और ना ही पुस्तक छात्रों तक पहुंचा.

केंद्र सरकार ने खेल विभाग के जरिए सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर आधारित पुस्तक 15 वॉल्यूम में प्रिंट करवाया था. जिसका उद्देश्य यही था कि स्कूल के बच्चे दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी के बारे में जाने. लेकिन पुस्तक प्रिंट होने के बाद यह मामला जांच का हो गया कि कितने पुस्तक प्रिंट कराया गया है. इसी बीच झारखंड में सत्ता परिवर्तन हुआ. भाजपा के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बन गई और यह किताब छात्रों तक नहीं पहुंची.

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हजारीबाग ही नहीं पूरे राज्य भर में यह पुस्तक कहीं न कहीं पड़ी हुई है. हजारीबाग में स्टेडियम एक कमरे में जहां खेल विभाग का कार्यालय चलता है वह पुस्तक रखी गई है. हजारों पुस्तक धूल फांक रहे हैं. अगर यह पुस्तक छात्रों तक पहुंचता तो सरकार ने जिस सोच से किताब प्रिंट कराया था, उसका उद्देश्य पूरा हो जाता. लाखों रुपया पुस्तक प्रिंट करवाने में खर्च किया गया और इसका लाभ छात्रों को नहीं मिला. आलम यह है कि इन पुस्तकों के बारे में कोई भी पदाधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. उनका भी कहना है कि मुझे इस योजना के बारे में पता नहीं.

Last Updated : Jul 7, 2022, 12:41 PM IST
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