हजारीबागः हजारीबाग मेडिकल कॉलेज परिसर में 500 बेड के अस्पताल का निर्माण कार्य पिछड़ गया है. 30 महीने यानी ढाई साल में इस अस्पताल का निर्माण कार्य पूरा हो जाना था, लेकिन तीन साल बाद भी अस्पताल निर्माण के काम में प्रगति नहीं हो पाई है. अभी इसकी नींव तैयार करने का ही काम चल रहा है. अभी इसमें एक साल से भी अधिक समय लगने की उम्मीद है. अस्पताल का निर्माण कार्य पिछड़ने से लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पा रहीं हैं.
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बता दें कि हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में 500 बेड के अस्पताल निर्माण के लिए 17 फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑनलाइन शिलान्यास किया था. दावा किया गया था कि इस अस्पताल में अंतरराष्ट्रीय मानदंड के मुताबिक सुविधा होगी, जिससे हजारीबाग के लोगों को काफी लाभ मिलेगा. इसको करीब 3 साल होने को हैं पर निर्माण कार्य गति नहीं पकड़ पा रहा है. वर्तमान समय में नींव की ही तैयारी चल रही है.
सदर अस्पताल से चल रहा मेडिकल कॉलेज का कामः बता दें कि 23 फरवरी 2017 को हजारीबाग में मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास हुआ था और बहुत ही कम समय में मेडिकल कॉलेज भवन का उद्घाटन कर दिया गया. सदर अस्पताल को एचएमसीएच में शामिल कर कॉलेज का काम चलाया जा रहा है. लेकिन नए भवन को लेकर यहां मूलभूत सुविधाएं नहीं बढ़ाई जा रहीं हैं. इससे मरीजों को परेशानी हो रही है. कभी डॉक्टर की कमी रहती है तो कभी पूरा अस्पताल ही अंधेरे में रहता है. ऐसे में मेडिकल कॉलेज परिसर में ही बन रहे 500 बेड के अस्पताल से लोगों को उम्मीद बंधी थी. लेकिन अस्पताल बने में देरी से लोगों में मायूसी है.
क्या हैं देरी के बहानेः अस्पताल में देरी की समय-समय पर अलग-अलग वजहें बताई जा रहीं हैं. पहले तो कहा जा रहा था कि राज्य सरकार पैसा ही आवंटित नहीं कर रही है. इस कारण अस्पताल बनने में विलंब हो रहा है. इस अस्पताल के निर्माण का कुल बजट 557 करोड़ रुपये है. पहले चरण में राज्य सरकार को 140 करोड़ रुपये जारी करने थे, लेकिन इसके लिए 10 करोड़ रुपये ही मंजूर किए गए थे. लेकिन अब साइट इंचार्ज अभिजीत सन्यास का कहना है कि हमें राज्य सरकार की ओर से पैसा आवंटित कर दिया गया है.2023 अंत तक हम लोग अस्पताल पूरा कर लेंगे. लगभग 300 मजदूर काम में लगाए गए हैं.
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शुरुआती दौर में अस्पताल के निर्माण को लेकर कई समस्याएं आईंः अस्पताल भवन निर्माण में देरी की एक बड़ी वजह पर्यावरण स्वीकृति भी बना. इसके निर्माण के लिए पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति ही दो साल बाद मिल पाई थी. लेकिन अब राज्य सरकार से मदद मिलने के बाद हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा कहते हैं कि अस्पताल बनने से हजारीबाग, रामगढ़,चतरा, कोडरमा के लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधा बेतहर होगी. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले 2 सेशन से छात्रों का नामांकन रूका हुआ था. लेकिन अब छात्रों का नामांकन शुरू हो रहा है.
निर्माण कंपनी का दावा, जल्द करेंगे हैंडओवरः जिस अस्पताल को 30 महीने के अंदर बनकर तैयार होना था वह अब तक नहीं हो पाया. लेकिन अस्पताल बनाने वाले कंपनी का कहना है कि अब सरकार के द्वारा हम लोगों को मदद मिल रही है. हम लोग बहुत जल्द 6 तल का अस्पताल बनाकर हैंडओवर कर देंगे.
शासन पर सवालः सरकार और राज्य के अधिकारी योजनाओं के पूरा होने के समय पर उसकी शुरुआत तक नहीं करा पा रहे हैं. शासन का यह ढर्रा हजारीबाग में है, जो झारखंड के बड़े और प्रमुख शहरों में है. इंटिरियर इलाकों में अधिकारियों के कामकाज का अंदाजा ही लगाया जा सकता है. वहीं हजारीबाग से भाजपा सांसद जयंत सिन्हा भी इस दिशा में कोई प्रयास नहीं कर सके, ये भी अपने आप में बड़ा सवाल है.