हजारीबागः हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 200 ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी हुए हैं. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखा से प्रकाशित किया था, जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन ने गंभीरता से जांच की. अब प्रशासन ने भी ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लगा दिया है. बताया जा रहा है कि छोटे-बड़े 200 ऑक्सीजन सिलेंडर और 60 रेगुलेटरों की चोरी हुई है.
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हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में बड़ी गड़बड़ी का पर्दाफाश हुआ है. लगभग 200 आक्सीजन सिलेंडर चोरी होने का मामला प्रकाश में आया है. इसे लेकर सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. वहीं, पुलिस ने अस्पताल में कार्यरत वार्ड कर्मी सुरेंद्र यादव को ऑक्सीजन सलेंडर बेचने के आरोप में हिरासत में लिया है और पूछताछ कर रही है.
डेमोटाड स्थित रिफलिंग प्लांट में हुआ खुलासा
ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी होने का खुलासा तब हुआ, जब एक व्यक्ति आक्सीजन सिलेंडर भरवाने को लेकर डेमोटाड स्थित प्लांट गया. सिलेंडर लेकर पहुंचे व्यक्ति से पूछताछ की गई, तो सिलेंडर बेचने का मामला सामने आया. इसके बाद ऑक्सीजन सिलेंडर की जांच की गई, जिसमें 200 सिलेंडर चोरी की बात सामने आई. इस मामले में पुलिस ने अस्पताल प्रबंधक और चार अन्य को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है.
पुलिस की तैनाती के बावजूद सिलेंडर की हुई चोरी
ऑक्सीजन सिलेंडर के रिफलिंग प्लांट पर पुलिस की तैनाती और अस्पताल परिसर के बाहर भी चेक पोस्ट बनाया गया, ताकि ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर अफरा-तफरी का माहौल ना बने. इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर की चोरी कैसे हुई यह बड़ा सवाल है. हजारीबाग सदर एसडीपीओ ने बताया कि किसी पदाधिकारी और वार्ड कर्मी की मिलीभगत के बिना ऐसी घटना नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा कि हर एक पहलू पर जांच की जा रही है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से लिखित शिकायत मिली है, जिसपर कार्रवाई की जा रही है.
चार हजार में बेचा गया छोटा सिलेंडर
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बी-टाइप के 165 में से 64 सिलेंडर, डी-टाइप के 349 में से 267 सिलेंडर और रेगुलेटर 115 में से 55 ही बचे हैं. इससे बी-टाइप के 101 सिलेंडर, डी-टाइप के 82 सिलेंडर और 60 रेगुलेटर की चोरी हुई है. ईटीवी भारत के पास कुछ दस्तावेज भी हाथ लगे हैं, जिसमें बी-टाइप सिलेंडर 4000 और डी-टाइप सिलेंडर 18000 रुपये में बेचा गया है.
सवालों के घेरे में हैं कई लोग
बताया जा रहा है कि इस घटना में कई समाजसेवी के नाम भी सामने आ सकते हैं. हालांकि, इस पूरे प्रकरण में अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ कई अन्य लोग भी सवालों के घेरे में हैं. यह भी आशंका जताई जा रही है कि सिर्फ ऑक्सीजन का नहीं, बल्कि रेडमेसिवर इंजेक्शन का भी बड़ा खेल हुआ है. बहराल जांच का इंतजार करना होगा और देखने वाली बात होगी इस पूरे प्रकरण में कौन-कौन लोग संलिप्त है.