हजारीबाग: सुदूरवर्ती गांव इचाक के गुंजा गांव के एक परिवार ने मौत के बाद सारे कार्यक्रम स्थगित कर दिए. मौत के बाद आत्मा की शांति के लिए ब्रह्मभोज बेहद ही महत्व रखता है. माना जाता है कि ब्राह्मण के भोज के बाद घर शुद्ध होता है, लेकिन हजारीबाग में परिवारवालों ने परिजन की मौत के बाद ब्रह्मभोज समेत अन्य कर्मकांड स्थगित कर दिए. परिजनों ने यह फैसला कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए लिया है.
दरअसल, हजारीबाग के सुदूरवर्ती इचाक के गूंजा गांव में नागेश्वरी देवी का निधन 14 मार्च को हो गया था. 24 मार्च को दशकर्म किया गया और 26 मार्च को ब्रह्मभोज होना था. लेकिन वायरस के प्रभाव को लेकर ग्रामीणों के साथ विचार विमर्श किया गया और पूरे परिवार ने निर्णय लिया कि हम ब्रह्मभोज नहीं करेंगे.
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परिवारवालों का कहना है कि आज के समय में हमारा समाज बेहद ही खतरनाक दौर से गुजर रहा है. जहां पूरे विश्व में हर दिन कोरोना वायरस से कई लोगों की मौत हो रही है. ऐसे में हमारे देश की भी स्थिति ठीक नहीं है. इस कारण हम लोगों ने सोचा है कि हम ब्रह्मभोज नहीं करेंगे, क्योंकि ब्रह्मभोज के दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग जुटते हैं. इस वक्त हम लोगों को दूरी बनाकर रहना है. इस कारण हम लोगों ने यह निर्णय लिया है.
इस परिवार के मुखिया डॉक्टर आरसी प्रसाद जो कांग्रेस पार्टी के चिकित्सा विभाग छोटानागपुर प्रमंडल प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भी हैं, उनका भी कहना है कि हम लोगों ने बेहद ही कठिन फैसला लिया है. डॉक्टर होने के नाते हमारा दायित्व भी है कि हम समाज को जागरूक करें. साथ ही साथ राजनीतिक पार्टी से संबंध होने के कारण हजारों की संख्या में लोग हमारे घर में पहुंचते तो ऐसे में सोशल डिस्टेंस नहीं बन पाती. इसलिए आज के समय में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसा कोई काम ना करें जो दूसरे लोगों को भी मुसीबत में डाल दे.