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'पानी रोको, पौधा रोपो' अभियान की गुमला जिले में हुई शुरुआत, तीन प्रखंडों में पदाधिकारियों ने चलाए कुदाल - Employment will be provided to laborers in Gumla

गुमला में बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 'पानी रोको, पौधा रोपो' अभियान की शुरूआत की गई. वहीं, इस अभियान के तहत अन्य प्रदेशों से आ रहे मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा.

Stop water and Planting plant campaign started in gumla
गुमला में पानी रोको, पौधा रोपो अभियान की हुई शुरुआत
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Published : Jun 1, 2020, 9:16 PM IST

गुमला: पूरे झारखंड राज्य में 1 जून 2020 से बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 'पानी रोको, पौधा रोपो' अभियान की शुरूआत की गई. इसी कड़ी में गुमला जिले के रायडीह, घाघरा और गुमला प्रखंडों में जिले के वरीय पदाधिकारियों की उपस्थिति में योजना का शुभारंभ किया गया.


इस अवसर पर घाघरा प्रखंड के टोटांबी पंचायत में ‘पानी रोको, पौधा रोपो’ अभियान की शुरूआत की गई. वहीं, उप विकास आयुक्त हरि कुमार केशरी ने कहा कि बिरसा हरित क्रांति योजना के तहत गांवों में मनरेगा के क्रियान्वयन के जरिए बड़ी संख्या में गुमला आने वाले प्रवासी श्रमिकों को उनके अपने गांव में रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए जिन प्रवासी श्रमिकों का जाॅब कार्ड नहीं है, उनका जाॅब कार्ड बनाया जा रहा है, साथ ही क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी करने के बाद प्रवासी श्रमिकों को इन योजनाओं से जोड़कर स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध किया जाएगा.

वहीं, टोटांबी पंचायत में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रशिक्षु आईएएस मनीष कुमार ने कहा कि आज श्वेत क्रांति दिवस है. साधारण भाषा में इसे हम ’’दूध दिवस’’ कहते है. इसके जनक डाॅ. वर्गीज कुरियन का कहना था कि स्वस्थ्य शरीर के लिए दूध का उपयोग अनिवार्य है. दूध हमारे शरीर के लिए सर्वश्रेष्ठ पोषक है. इसी तरह हरित क्रांति के लिए जल ही जीवन है. हम बहते जल को रोक कर सुखाड़ के समय इसका उपयोग कर सकते है. उन्होंने कहा कि हमारी मिट्टी जितनी उर्वर होगी, उतनी ही पौधा रोपण से हरित क्रांति सफल होगी. साथ ही प्रवासी श्रमिक भी ग्राम स्तर पर रोजगार पाने के उतने ही हकदार है जितने स्थानीय श्रमिक.

ये भी पढ़ें- सीएम हेमंत सोरेन ने कॉरपोरेट घरानों से की अपील, कहा- मजदूरों को झारखंड भेजने में करें सरकार का सहयोग

उपायुक्त ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न सामाजिक दूरी से निपटने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पटरी में लाने के लिए मनरेगा योजना के तहत तीन महत्वपूर्ण योजना जैसे नीलाबंर पिताबंर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद ’’पोटो हो’’ खेल विकास योजना की शुरुआत की गई है. उन्होंने कहा कि जिले के सभी प्रखंड के सभी पंचायत और गांवों में कम से कम 5 योजनाओं को चलाई जाएगी. इन योजनाओं के माध्यम से स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिया जाएगा.

उपायुक्त ने कहा कि इन योजनाओं में से प्रतिदिन पंचायतों में कम से कम 200 से 250 मानव दिवस के सृजन का लक्ष्य रखा गया है. योजनाओं के क्रियान्वयन से एक ओर हम बड़ी आबादी को रोजगार दे सकेंगे. वहीं, दूसरी ओर जल संरक्षण और मृदा संरक्षण कर भू-जल स्तर को ऊपर उठाया जा सकता है. 15 से 20 जून के बीच झारखंड में मानसून की भी संभावना है.

गुमला: पूरे झारखंड राज्य में 1 जून 2020 से बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 'पानी रोको, पौधा रोपो' अभियान की शुरूआत की गई. इसी कड़ी में गुमला जिले के रायडीह, घाघरा और गुमला प्रखंडों में जिले के वरीय पदाधिकारियों की उपस्थिति में योजना का शुभारंभ किया गया.


इस अवसर पर घाघरा प्रखंड के टोटांबी पंचायत में ‘पानी रोको, पौधा रोपो’ अभियान की शुरूआत की गई. वहीं, उप विकास आयुक्त हरि कुमार केशरी ने कहा कि बिरसा हरित क्रांति योजना के तहत गांवों में मनरेगा के क्रियान्वयन के जरिए बड़ी संख्या में गुमला आने वाले प्रवासी श्रमिकों को उनके अपने गांव में रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए जिन प्रवासी श्रमिकों का जाॅब कार्ड नहीं है, उनका जाॅब कार्ड बनाया जा रहा है, साथ ही क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी करने के बाद प्रवासी श्रमिकों को इन योजनाओं से जोड़कर स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध किया जाएगा.

वहीं, टोटांबी पंचायत में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रशिक्षु आईएएस मनीष कुमार ने कहा कि आज श्वेत क्रांति दिवस है. साधारण भाषा में इसे हम ’’दूध दिवस’’ कहते है. इसके जनक डाॅ. वर्गीज कुरियन का कहना था कि स्वस्थ्य शरीर के लिए दूध का उपयोग अनिवार्य है. दूध हमारे शरीर के लिए सर्वश्रेष्ठ पोषक है. इसी तरह हरित क्रांति के लिए जल ही जीवन है. हम बहते जल को रोक कर सुखाड़ के समय इसका उपयोग कर सकते है. उन्होंने कहा कि हमारी मिट्टी जितनी उर्वर होगी, उतनी ही पौधा रोपण से हरित क्रांति सफल होगी. साथ ही प्रवासी श्रमिक भी ग्राम स्तर पर रोजगार पाने के उतने ही हकदार है जितने स्थानीय श्रमिक.

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उपायुक्त ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न सामाजिक दूरी से निपटने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पटरी में लाने के लिए मनरेगा योजना के तहत तीन महत्वपूर्ण योजना जैसे नीलाबंर पिताबंर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद ’’पोटो हो’’ खेल विकास योजना की शुरुआत की गई है. उन्होंने कहा कि जिले के सभी प्रखंड के सभी पंचायत और गांवों में कम से कम 5 योजनाओं को चलाई जाएगी. इन योजनाओं के माध्यम से स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिया जाएगा.

उपायुक्त ने कहा कि इन योजनाओं में से प्रतिदिन पंचायतों में कम से कम 200 से 250 मानव दिवस के सृजन का लक्ष्य रखा गया है. योजनाओं के क्रियान्वयन से एक ओर हम बड़ी आबादी को रोजगार दे सकेंगे. वहीं, दूसरी ओर जल संरक्षण और मृदा संरक्षण कर भू-जल स्तर को ऊपर उठाया जा सकता है. 15 से 20 जून के बीच झारखंड में मानसून की भी संभावना है.

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