गुमलाः ग्रामीण सुदूर इलाकों में आज भी समाज अंधविश्वास की चपेट में है. पुराने ढर्रे पर चल रही रूढ़िवादी सोच को पकड़े हुए लोग उसी के ईर्द-गिर्द घूम रहे हैं. ऐसे समाज को लड़कियों का आगे बढ़ना, आधुनिक और प्रगतिशील सोच रखना हजम नहीं होता. लड़कियों को बंदिशों में रखना जैसे उनका शगल है. कोई महिला घर की दहलीज लांघकर परिवार और समाज के लिए कुछ करने की ठाने तो उसे ताना दिया जाता है, तरह तरह के सवाल किए जाते हैं, प्रताड़नाएं दी जाती हैं. जिला के सिसई प्रखंड के शिवनाथपुर पंचायत के डहूटोली गांव की एक प्रगतिशील महिला किसान मंजू उरांव के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है.
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गांव की महिला किसान मंजू उरांव (22 वर्ष) सफल कृषक हैं. खेती-बारी कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं. परिवार के छह एकड़ जमीन के अतिरिक्त वह ग्रामीणों से 10 एकड़ जमीन लीज पर लेकर धान, मकई, टमाटर, आलू की खेती दो वर्षों से करती आ रही हैं. खेती से हुई आमदनी से वह इस बार एक पुराना ट्रैक्टर खरीदकर स्वयं खेतों की जुताई कर एक मिसाल कायम (girl driving tractor in field in Gumla) की है. लेकिन मंजू द्वारा ट्रैक्टर चलाने को ग्रामीण अप-शगुन के तौर पर देख रहे हैं. उनका मानना है कि महिला के ट्रैक्टर चलाने से गांव में महामारी और अकाल पड़ जाएगा.
मंजू उरांव ने गांव के पुराने नियमों के विरुद्ध काम किया है तो उसके खिलाफ पंचायत द्वारा फरमान (Panchayat issued decree on girl) जारी किया जा रहा है. ग्रामीणों को डर है कि लड़की द्वारा ट्रैक्टर से खेत जोतने से गांव में आपदा आ सकती है. इसलिए ग्रामीणों ने लड़की के खिलाफ पंचायत बैठाकर जुर्माना लगाने के साथ-साथ लड़की के खेती-बारी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इतना ही नहीं पंचायत का फरमान नहीं मानने पर मंजू का सामाजिक बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.
मंजू द्वारा ट्रैक्टर से खेत जोतने पर रोकः मंजू द्वारा ट्रैक्टर से खेत जोते जाने पर ग्रामीण गांव में महामारी फैलने व अकाल पड़ने की आशंका जता रहे हैं. मंगलवार को पहान की मौजूदगी में सैकड़ों महिला पुरुषों ने गांव में लड़की के खिलाफ पंचायत बैठाई (Panchayat against girl) गयी. इस पंचायत में दोबारा ट्रैक्टर से खेत नहीं जोतने की हिदायत देते हुए मंजू से माफी व जुर्माना की मांग की गयी. पंचायत में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या काफी अधिक थी. लोगों का कहना था कि गांव को सुरक्षित करने के लिए जुर्माने की राशि से गांव में फैले आपदा व रोग को भगाया जाएगा. इतना ही नहीं पंचायत का फरमान नहीं मानने पर सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी दी गयी.
मंजू का फरमान मानने से इनकारः आधुनिक सोच रखने वाली मंजू उरांव पढ़ी लिखी हैं. वह केओ कॉलेज गुमला में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है. इसलिए वह लड़की द्वारा खेत नहीं जोतने की बात को अंधविश्वास मानती हैं. वह कहती हैं कि लड़की अब सबकुछ कर सकती हैं. जब आसमान छू सकती हैं, कई अविष्कारों का हिस्सा बन सकती हैं तो फिर खेती क्यों नहीं कर सकती. इसलिए मंजू ने पंचायत का फरमान का मानने से इनकार कर दिया. मंजू ने बताया कि उसे खेती में काफी रुचि है. केसीसी ऋण के लिए पिता व मैंने आवेदन किया था पर ऋण नहीं मिला. खेतों में कहीं भी सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है. पूंजी, सिंचाई व संसाधन का प्रबंध होने से और व्यापक रूप से खेती कर सकती हूं. उन्होंने कहा कि मैं पंचायत के किसी भी फरमान को नहीं मानूंगी और खेती करता रहूंगी.
ये वाकया सुनने में जितना छोटा है लेकिन इसे समझ पाना उतना ही मुश्किल है. आज महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है, आधी आबादी को सरकार और समाज अलग दर्जा भी प्राप्त है. लेकिन ऐसी आधुनिक सोच का क्या फायदा जब एक महिला अपने खेत में ट्रैक्टर ना चला सके. अपनी आजीविका के लिए काम ना कर सके. क्या लड़की का खेत में ट्रैक्टर चलाना इतना बड़ा गुनाह हो गया कि उसके खिलाफ फरमान जारी कर दिया गया.