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गुमला: जिला स्तरीय खनन टास्क फोर्स और जिला पर्यावरण समिति की बैठक, डीसी ने दिए कई निर्देश - Deputy Commissioner meeting with mining task force in Gumla

गुमला उपायुक्त ने जिला स्तरीय खनन टास्क फोर्स और जिला पर्यावरण समिति के पदाधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें पर्यावरण को स्वच्छ बनाने पर जोर दिया गया. बैठक में वन प्रमंडल पदाधिकारी ने पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से जिले में फ्लाई ऐश के कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले चिमनी ईंटों के कार्यान्वयन को हतोत्साहित करने पर भी चर्चा की गई.

Mining Task Force and Environment Committee Meeting in gumla
उपायुक्त ने की बैठक
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Published : Aug 19, 2020, 7:19 PM IST

गुमला: जिला स्तरीय खनन टास्क फोर्स और जिला पर्यावरण समिति की बैठक उपायुक्त शिशिर कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में हुई, जिसमें वन प्रमंडल पदाधिकारी श्रीकांत के. ने उपायुक्त को बताया कि गुमला जिले में पर्यावरण सुधार के लिए पर्यावरण योजना तैयार करना है, जिला स्तरीय पर्यावरण योजना तैयार कर चरणबद्ध तरीके से कार्य किए जाएंगे. बैठक में वेस्ट मैनेजमेंट, सॉलिड वेस्ट, प्लास्टिक, कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिटेशन वेस्ट, बायोमेडिकल वेस्ट, हजार्ड वेस्ट, ई-वेस्ट, वाटर मैनेजमेंट, डोमेस्टिक वेस्ट, इंडस्ट्रियल वेस्ट, एयर क्वालिटी, माइनिंग, ध्वनि प्रदूषण आदि पर विशेष जोर दिया जाएगा.

बैठक में वन प्रमंडल पदाधिकारी ने पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से जिले में फ्लाई ऐश के कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली चिमनी ईंटों के कार्यान्वयन को हतोत्साहित करने पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि ईंट भट्ठों में बनने वाले ईंटों को पकाने में प्रयोग किए जाने वाला ईंधन और ईंट भट्ठे से निकलने वाला जहरीला धुंए से पर्यावरण में प्रदूषण और राख का उत्सर्जन होता है, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है, जबकि फ्लाई ऐश के बने ईंट ईको फ्रेंडली होते हैं. वहीं उन्होंने बताया कि प्लांट से बनकर निकलने वाले राख का इस्तेमाल कर इन ईंटों के निर्माण में किया जाता है, फ्लाई ऐश ईंटों के निर्माण में प्रदूषण काफी कम होता है और इसे बनाने के लिए मिट्टी की ईंटों की तरह भट्ठा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है.

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वहीं उपायुक्त ने सभी संबंधित विभागों को अपने-अपने विभागों का डाटा राज्य सरकार के निर्धारित प्रारूप में भरकर 24 अगस्त 2020 तक वन प्रमंडल पदाधिकारी के कार्यालय में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. उन्होंने जिले में ईंट भट्ठे में निर्मित ईंटों के स्थान पर फ्लाई ऐश को प्रोत्साहित करने का भी निर्देश दिया है. बैठक में उपायुक्त ने जिले के निजी अस्पतालों की ओर से जैव चिकित्सा अपशिष्ट निपटान की भी समीक्षा की. समीक्षा के दौरान उपायुक्त ने जिले के 10 बेडों से अधिक क्षमता वाले निजी अस्पतालों की ओर से जैव चिकित्सा अपशिष्ट निपटाने के लिए चयनित निजी गैर सरकारी संगठन के साथ ससमय एमओयू करने का निर्देश दिया है, साथ ही उन्होंने जिन निजी अस्पतालों की ओर से जैव चिकित्सा अपशिष्ट का निपटारा नहीं किया जा रहा है उन अस्पतालों के विरूद्ध कार्रवाई करने का निर्देश सिविल सर्जन के प्रतिनिधि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को दिया है.

गुमला: जिला स्तरीय खनन टास्क फोर्स और जिला पर्यावरण समिति की बैठक उपायुक्त शिशिर कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में हुई, जिसमें वन प्रमंडल पदाधिकारी श्रीकांत के. ने उपायुक्त को बताया कि गुमला जिले में पर्यावरण सुधार के लिए पर्यावरण योजना तैयार करना है, जिला स्तरीय पर्यावरण योजना तैयार कर चरणबद्ध तरीके से कार्य किए जाएंगे. बैठक में वेस्ट मैनेजमेंट, सॉलिड वेस्ट, प्लास्टिक, कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिटेशन वेस्ट, बायोमेडिकल वेस्ट, हजार्ड वेस्ट, ई-वेस्ट, वाटर मैनेजमेंट, डोमेस्टिक वेस्ट, इंडस्ट्रियल वेस्ट, एयर क्वालिटी, माइनिंग, ध्वनि प्रदूषण आदि पर विशेष जोर दिया जाएगा.

बैठक में वन प्रमंडल पदाधिकारी ने पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से जिले में फ्लाई ऐश के कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली चिमनी ईंटों के कार्यान्वयन को हतोत्साहित करने पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि ईंट भट्ठों में बनने वाले ईंटों को पकाने में प्रयोग किए जाने वाला ईंधन और ईंट भट्ठे से निकलने वाला जहरीला धुंए से पर्यावरण में प्रदूषण और राख का उत्सर्जन होता है, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है, जबकि फ्लाई ऐश के बने ईंट ईको फ्रेंडली होते हैं. वहीं उन्होंने बताया कि प्लांट से बनकर निकलने वाले राख का इस्तेमाल कर इन ईंटों के निर्माण में किया जाता है, फ्लाई ऐश ईंटों के निर्माण में प्रदूषण काफी कम होता है और इसे बनाने के लिए मिट्टी की ईंटों की तरह भट्ठा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है.

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वहीं उपायुक्त ने सभी संबंधित विभागों को अपने-अपने विभागों का डाटा राज्य सरकार के निर्धारित प्रारूप में भरकर 24 अगस्त 2020 तक वन प्रमंडल पदाधिकारी के कार्यालय में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. उन्होंने जिले में ईंट भट्ठे में निर्मित ईंटों के स्थान पर फ्लाई ऐश को प्रोत्साहित करने का भी निर्देश दिया है. बैठक में उपायुक्त ने जिले के निजी अस्पतालों की ओर से जैव चिकित्सा अपशिष्ट निपटान की भी समीक्षा की. समीक्षा के दौरान उपायुक्त ने जिले के 10 बेडों से अधिक क्षमता वाले निजी अस्पतालों की ओर से जैव चिकित्सा अपशिष्ट निपटाने के लिए चयनित निजी गैर सरकारी संगठन के साथ ससमय एमओयू करने का निर्देश दिया है, साथ ही उन्होंने जिन निजी अस्पतालों की ओर से जैव चिकित्सा अपशिष्ट का निपटारा नहीं किया जा रहा है उन अस्पतालों के विरूद्ध कार्रवाई करने का निर्देश सिविल सर्जन के प्रतिनिधि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को दिया है.

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