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गुमला में खाने और बसों की मांगों को लेकर प्रवासी मजदूरों ने किया हंगामा, घरों के लिए पैदल ही निकल पड़े

गुमला में प्रवासी मजदूरों की स्वास्थ्य जांच के लिए बनाए गए शिविर में अन्य प्रदेशों से लौट रहे मजदूरों को भोजन नहीं मिलने और उन्हें बसें नहीं मुहैया कराए जाने को लेकर प्रवासी मजदूरों ने जमकर हंगामा किया. इसके बाद मजदूर जांच शिविर के स्टेडियम एक से पैदल ही अपने-अपने जिलों के लिए निकल गए.

Migrant workers demanded for food and buses in Gumla
घरों के लिए पैदल ही निकल पड़े प्रवासी मजदूर
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Published : May 23, 2020, 8:57 PM IST

गुमला: जिला मुख्यालय स्थित परमवीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम वन और नगर भवन में सभी प्रवासी मजदूर कई राज्यों से वापस लौटे हैं, जिनमें से कई ऐसे भी मजदूर हैं, जो रेड जोन इलाके से भी लौटे हैं. ऐसे में कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए हर कोई डरा हुआ है. प्रवासी मजदूरों ने बताया कि 2 से 3 दिन से गुमला में उन्हें रखा गया है. इस बीच उन्हें समय पर भोजन नहीं दिया जा रहा है. इसके साथ ही उन्हें उनके जिलों तक पहुंचाने के लिए समय पर बसें भी नहीं दी जा रही हैं. 3-4 घंटों तक बस में बिठाकर उन्हें उतारकर यह कहा जाता है कि दूसरी बस आएगी फिर उससे आपको भेजा जाएगा.

इस कारण उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मजदूरों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि समय पर उन्हें भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. इसके कारण छोटे-छोटे बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सभी भूख से तड़पने को मजबूर हैं. मजदूरों ने कहा कि जब वह गुमला से पहले अन्य प्रदेश में थे तो कई लोगों ने उनकी सहायता की थी. उन्हें समय पर भोजन दिया जा रहा था, लेकिन जब अपने ही प्रदेश में वह वापस लौट आए हैं तो उन्हें यहां भोजन के लिए तरसना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: विधायक ढुल्लू महतो को कोर्ट ने दी बड़ी राहत, हाइवा लूट मामले में मिली जमानत

इस मामले पर जिला प्रशासन के अधिकारी ने कहा कि गुमला जिले में हर दिन भारी संख्या में प्रवासी मजदूर वापस लौट रहे हैं. इसमें अधिकांश गुमला जिले के ही प्रवासी मजदूर होते हैं, लेकिन इसके साथ ही बंगाल और बिहार के भी प्रवासी मजदूर गुमला आ रहे हैं, जिन्हें अपने प्रदेशों के लिए वापस जाना है. इतनी भारी संख्या में एक साथ प्रवासी मजदूरों के लौटने के कारण थोड़ी सी व्यवस्था में गड़बड़ी हुई है.

उन्होंने बताया कि उनकी कैपेसिटी एक सौ से डेढ़ सौ प्रवासी मजदूरों को एक बार में भोजन देने की है. वह लोग समय पर प्रवासी मजदूरों को भोजन दे रहे हैं. कुछ अन्य प्रदेशों के मजदूर जो गुमला आए हैं, उन्हें यह लगता है कि उन्हें तुरंत ही उनके प्रदेशों के लिए भेज दिया जाए तो इसमें थोड़ी परेशानी हो रही है. क्योंकि बसों की संख्या कम है. ऐसे में बसों को अन्य जिलों में भेजने के लिए कई प्रकार की कागजी कार्रवाई से होकर गुजरना पड़ता है तो थोड़ा विलंब होता है. इस मामले को लेकर जिला प्रशासन एक-दो दिन में सुधार कर लेगा.

गुमला: जिला मुख्यालय स्थित परमवीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम वन और नगर भवन में सभी प्रवासी मजदूर कई राज्यों से वापस लौटे हैं, जिनमें से कई ऐसे भी मजदूर हैं, जो रेड जोन इलाके से भी लौटे हैं. ऐसे में कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए हर कोई डरा हुआ है. प्रवासी मजदूरों ने बताया कि 2 से 3 दिन से गुमला में उन्हें रखा गया है. इस बीच उन्हें समय पर भोजन नहीं दिया जा रहा है. इसके साथ ही उन्हें उनके जिलों तक पहुंचाने के लिए समय पर बसें भी नहीं दी जा रही हैं. 3-4 घंटों तक बस में बिठाकर उन्हें उतारकर यह कहा जाता है कि दूसरी बस आएगी फिर उससे आपको भेजा जाएगा.

इस कारण उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मजदूरों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि समय पर उन्हें भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. इसके कारण छोटे-छोटे बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सभी भूख से तड़पने को मजबूर हैं. मजदूरों ने कहा कि जब वह गुमला से पहले अन्य प्रदेश में थे तो कई लोगों ने उनकी सहायता की थी. उन्हें समय पर भोजन दिया जा रहा था, लेकिन जब अपने ही प्रदेश में वह वापस लौट आए हैं तो उन्हें यहां भोजन के लिए तरसना पड़ रहा है.

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इस मामले पर जिला प्रशासन के अधिकारी ने कहा कि गुमला जिले में हर दिन भारी संख्या में प्रवासी मजदूर वापस लौट रहे हैं. इसमें अधिकांश गुमला जिले के ही प्रवासी मजदूर होते हैं, लेकिन इसके साथ ही बंगाल और बिहार के भी प्रवासी मजदूर गुमला आ रहे हैं, जिन्हें अपने प्रदेशों के लिए वापस जाना है. इतनी भारी संख्या में एक साथ प्रवासी मजदूरों के लौटने के कारण थोड़ी सी व्यवस्था में गड़बड़ी हुई है.

उन्होंने बताया कि उनकी कैपेसिटी एक सौ से डेढ़ सौ प्रवासी मजदूरों को एक बार में भोजन देने की है. वह लोग समय पर प्रवासी मजदूरों को भोजन दे रहे हैं. कुछ अन्य प्रदेशों के मजदूर जो गुमला आए हैं, उन्हें यह लगता है कि उन्हें तुरंत ही उनके प्रदेशों के लिए भेज दिया जाए तो इसमें थोड़ी परेशानी हो रही है. क्योंकि बसों की संख्या कम है. ऐसे में बसों को अन्य जिलों में भेजने के लिए कई प्रकार की कागजी कार्रवाई से होकर गुजरना पड़ता है तो थोड़ा विलंब होता है. इस मामले को लेकर जिला प्रशासन एक-दो दिन में सुधार कर लेगा.

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