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यहां स्कूल में बच्चे जान जोखिम में डालकर कुएं से भर रहे हैं पानी, शिक्षक बेपरवाह

विशुनपुर प्रखंड क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय रेहेटोली में पढ़ने वाले गरीब बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर कुएं से पानी भरते हैं. स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि बच्चे ये अपनी मर्जी से करते हैं.

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कुएं से पानी भरता छात्र
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Published : Feb 6, 2020, 3:33 AM IST

गुमला: बच्चे स्कूल इसलिए जाते हैं कि वे वहां विद्या ग्रहण करें और एक बेहतर मुकाम हासिल कर देश के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें. लेकिन गुमला जिला के विशुनपुर प्रखंड क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय रेहेटोली में पढ़ने वाले गरीब बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर कुएं से पानी भरकर पीते हैं और मिड डे मील की थाली भी धोते हैं.

देखें पूरी खबर

शिक्षक बेपरवाह
बता दें कि यह सब स्कूल के शिक्षकों के सामने ही हो रहा है. बावजूद इसके शिक्षक बेपरवाह हैं. वे यह सब अपनी आंखों से देखने के बाद भी बच्चों को ऐसा करने से मना नहीं करते हैं.

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जान से खिलवाड़
विशुनपर प्रखंड स्थित रेहेटोली में स्थित इस स्कूल में कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई होती है. इस स्कूल में कुल छात्र-छात्राओं की संख्या 126 है. शिक्षा के इस मंदिर में गांव के गरीब छात्रों को कुएं से पानी भरवा कर एक तरह से शारीरिक दंड ही दिया जा रहा है और उनकी जान से खिलवाड़ भी.

ये भी पढ़ें- बाबूलाल मरांडी का पुतला दहन करने आए पार्टी के ही नेता पर गिरा आग का गोला, बाल-बाल बचे

'बच्चे अपने मन से भरते हैं पानी'
वहीं, इस मामले में स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने कहा कि कुएं का पानी बच्चों को स्वादिष्ट लगता है, जिसके कारण वहां से पानी भरते हैं. वे मना करते हैं लेकिन बच्चे नहीं मानते हैं.

गुमला: बच्चे स्कूल इसलिए जाते हैं कि वे वहां विद्या ग्रहण करें और एक बेहतर मुकाम हासिल कर देश के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें. लेकिन गुमला जिला के विशुनपुर प्रखंड क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय रेहेटोली में पढ़ने वाले गरीब बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर कुएं से पानी भरकर पीते हैं और मिड डे मील की थाली भी धोते हैं.

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शिक्षक बेपरवाह
बता दें कि यह सब स्कूल के शिक्षकों के सामने ही हो रहा है. बावजूद इसके शिक्षक बेपरवाह हैं. वे यह सब अपनी आंखों से देखने के बाद भी बच्चों को ऐसा करने से मना नहीं करते हैं.

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जान से खिलवाड़
विशुनपर प्रखंड स्थित रेहेटोली में स्थित इस स्कूल में कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई होती है. इस स्कूल में कुल छात्र-छात्राओं की संख्या 126 है. शिक्षा के इस मंदिर में गांव के गरीब छात्रों को कुएं से पानी भरवा कर एक तरह से शारीरिक दंड ही दिया जा रहा है और उनकी जान से खिलवाड़ भी.

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'बच्चे अपने मन से भरते हैं पानी'
वहीं, इस मामले में स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने कहा कि कुएं का पानी बच्चों को स्वादिष्ट लगता है, जिसके कारण वहां से पानी भरते हैं. वे मना करते हैं लेकिन बच्चे नहीं मानते हैं.

Intro:Day plan news

गुमला: बच्चे विद्यालय इसलिए जाते हैं कि वे वहां विद्या ग्रहण करें और एक बेहतर मुकाम हासिल कर देश के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें । मगर गुमला जिला के बिशुनपुर प्रखंड क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय रेहेटोली में पढ़ने वाले गरीब बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर कुएं से पानी भरकर मध्यान भोजन की थाली याद हो रहे हैं और यह सब हो रहा है विद्यालय के शिक्षकों के सामने । बावजूद इसके शिक्षक बेपरवाह है वे सब अपनी आंखों से देखने के बाद भी बच्चों को ऐसा करने से मना नहीं करते हैं ।

Body:वैसे तो केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 में संपूर्ण भारत में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू कर 6 से 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया है । इसके साथ ही इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी बच्चे को मानसिक यातना या शारीरिक दंड भी नहीं दिया जा सकता है । बिशुनपर प्रखंड स्थित रेहेटोली में स्थित इस विद्यालय मे कक्षा एक से पाँच तक की पढ़ाई होती है । इस विद्यालय में कुल छात्र छात्राओं की संख्या 126 है । यूँ कहें शिक्षा के इस मंदिर में गांव के गरीब छात्रों को कुए से पानी भरवा कर एक तरह से शारीरिक दंड ही दिया जा रहा है ।

Conclusion:वहीं इस मामले पर विद्यालय के प्रधानाध्यापिका ने कहा कि कुएं का पानी बच्चों को स्वादिष्ट लगता है जिसके कारण वहां से पानी भरते हैं । हम लोग मना करते हैं लेकिन बच्चे नहीं मानते है ।
अब ऐसे में अगर किसी बच्चे के साथ कुछ अनहोनी हो जाए तो फिर उसकी जवाबदेही कौन लेगा । जरूरत है जिला प्रशासन के अधिकारियों को कि वे ऐसे विद्यालय पर सख्ती बरतें और शिक्षकों के ऊपर पर कार्रवाई करें।

बाईट :रीता देवी ( प्रधानाध्यापिका )
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