गुमला: झारखंड छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित गुमला जिला में शुक्रवार की शाम को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 15 से 20 मजदूर साइकिल चलाकर गुमला पहुंचे. मजदूरों को स्वयं सेवकों ने भोजन और पानी की व्यवस्था कराई. सभी मजदूर बिहार के रहने वाले हैं जो रोजी-रोटी की तलाश में छत्तीसगढ़ पलायन कर गए थे. सभी मजदूर वहां पर रहकर अपना भरण पोषण कर रहे थे लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में की गई तालाबंदी की वजह से फैक्ट्रीयां बंद हो गई, जिसके कारण ये मजदूर बेरोजगार हो गए. इनके सामने बेरोजगारी और भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. इसी वजह से सभी अपने-अपने घरों के लिए साइकिल से निकल पड़े.
बता दें कि रायपुर से सभी मजदूर एक सप्ताह पहले निकले थे और शुक्रवार को सभी गुमला पहुंचे. इन मजदूरों को बिहार राज्य के अररिया और शेखपुरा जाना है. गुमला पहुंचने के बाद गुमला के युवा स्वयं सेवकों ने मदद पहुंचाई. मजदूरों ने जब स्वयं सेवकों से कहा कि उन्होंने कई दिनों से भोजन नहीं किया है जिसके कारण उन्हें भूख लगी है और शरीर भी कमजोर होने लगा है. मजदूरों ने गिड़गिड़ाते हुए कहा कि यहां से किसी बस से घर तक भेज दें. जिसके बाद सभी मजदूरों को स्वयं सेवकों ने जिला प्रशासन के बनाए गए शिविर में भेज दिया है जहां उन्हें मेडिकल सुविधा, भोजन और रात में ठहरने की व्यवस्था दी जाएगी.
दरअसल, गुमला जिला छत्तीसगढ़ और झारखंड की बॉर्डर पर स्थित है. यही वजह है कि इस जिले में प्रतिदिन सैकड़ों मजदूर पैदल, साइकिल से या फिर दो पहिया वाहन से प्रवेश कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर ओडिशा से भी मजदूर सिमडेगा के रास्ते गुमला में प्रवेश कर रहे हैं जो बिहार और यूपी के रहने वाले होते हैं.
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छत्तीसगढ़ से लौट रहे मजदूरों ने बताया कि वे रायपुर में रहकर मजदूरी करते थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनके समक्ष बेरोजगारी और भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. ऐसे में वे सभी साइकिल से ही बिहार के लिए निकल पड़े हैं. उन्हें बिहार राज्य के शेखपुरा और अररिया जिला जाना है. मजदूरों ने कहा कि बिहार सरकार मजदूरों की सहायता करे जो मजदूर बाहर के राज्यों में फंसे हैं उन्हें बसों से या फिर ट्रेनों से बिहार वापस लाया जाए.