गुमलाः 6 लाख का इनामी नक्सली लाजिम अंसारी शुक्रवार को एनकाउंटर में मारा गया. चैनपुर के सेमरा बरटोली में उसका एनकाउंटर हुआ. लाजिम 2015 में नक्सली बना था. बदले की भावना की वजह से वह नक्सली बन बैठा था.
ये भी पढ़ेंः गुमला में मुठभेड़ में माओवादी लाजिम अंसारी ढेर, अब नक्सली रंथू उरांव और खुदी मुंडा की बारी
लाजिम के परिजनों ने बताया कि वह काफी मेहनती ओर इमानदारी किसान था. नक्सली बनने से पहले उसकी शादी हो चुकी थी. वो खेतीबारी और पशु का व्यापार करता था. उसकी तीन बेटी और एक बेटा है. वर्ष 2015 में वह पशु के कारोबार को लेकर अपने एक साथी एजाज अंसारी के साथ सदर थाना छेत्र के खरका गांव पहुंचा था. उस समय खरका गांव में एक व्यक्ति की दर्जनों भैंस चोरी हो गई थी. भैंस चोरी करने के आरोप में खरका गांव के ग्रामीणों ने लाज़िम व एजाज को पकड़ लिया था, दोनों की पिटाई कर दी गई थी. पिटाई के दौरान दोनो खुद को बेकसूर बता रहे थे. मगर ग्रामीणों ने उसकी एक भी नहीं सुनी. ग्रामीणों ने दोनों के ऊपर केस भी कर दिया था.
इस दौरान लाजिम और एजाज चोरी गए भैस को ढूंढ कर ला देने की बात कही थी. दोनों ने कुछ दिनों के अंदर ही भैंस ढूंढकर उसके मालिक के हवाले कर दिया था. इसके बावजूद दोनों के ऊपर शक का दायरा ओर बढ़ गया था. जिसके बाद लोगों ने खरका गांव के शैलेश तिवारी और जेजेएमपी नामक उग्रवादी संगठन से सांठगांठ रखने वाले एक व्यक्ति के इशारे में दोनों की पिटाई कर दी थी. साथ ही उसे प्रताड़ित भी किया था. इसी घटना के बाद लाज़िम खुद के साथ ज्यादती करने वालों से बदला लेने की ठान ली थी.
कुछ दिन बाद मौका मिलते ही वह शैलेश तिवारी की उसने गोली मारकर हत्या कर दी थी. फिर हत्याकांड के दूसरे दिन ही घर से फरार हो गया था. साथ ही नक्सली बुधेश्वर से संपर्क कर संगठन में शामिल हो गया. बताया तो यह भी जाता है कि लाजिम के नक्सली बनने के बाद वह खुद के साथ हुए ज्यादती का बदला भीड़ में शामिल रहने वाले लोगों से लेना चाहता था. साथ ही कई बार इसके लिए उसने प्रयास भी किया, मगर इस प्रयास में वह सफल नहीं हो पाया.
परिजनों ने बताया कि जब वह घर से भागकर नक्सली बन बैठा था, तब उसकी पत्नी गर्भवती थी. उसके नक्सली बनने के आठ दिन बाद पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया था. बेटी के जन्म लेने के डेढ़ माह बाद वह घर आया था, साथ ही पत्नी को बच्चों की परवरिश अच्छे से करने की बात कही थी. मगर इसके बाद से आज तक वह घर नहीं आया.
परिजनों ने कहा कि चार भाई बहनों में लाजिम सबसे छोटा था. उसके बड़े भाई घर में रहकर खेतीबारी करते हैं. जबकि पिता बुजुर्ग हो चुके हैं. पिता ने कहा कि बेटे के गलत रास्ते पर जाने के बाद कई बार मैसेंजर भेज कर उसे समाज की मुख्यधारा में जुड़ने को कहा गया था. मगर वह उसकी बात को नहीं माना. काफी समझाने के बाद भी वह नहीं माना. अब कुदरत को जो मंजूर था वही हुआ उसके साथ।पिता ने कहा कि बेटा था. उसके मारे जाने से दुख तो जरूर हुआ, मगर नक्सली बनने से पूर्व बेटे के साथ जो ज्यादती हुई वह किसी ओर के साथ नही हो, यही दुआ करता हूं. पिता ने कहा कि लाजिम के नक्सली बनने के बाद से परिवार अक्सर तबाह रहा.
भाईयों ने कहा कि लाजिम के नक्सली बनने के बाद उन्होंने उसे काफी समझाने का प्रयास किए. मगर वह नहीं माना. नतीजा रहा कि वे लोग जिस जमीन में खेतीबारी करते थे, उस 57 डिसमिल जमीन को भी एनआईए व पुलिस ने जब्त कर ली. इसके बाद किसी तरह मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं. भाइयों ने सरकार व प्रसाशन से अब जमीन मुक्त करने की मांग की है. ताकि आगे का जीवन अब वे शांतिपूर्वक जी सके.
इधर देर रात करीब 12 बजे लाजिम का शव पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लाया गया. तब उसे देखने वालों की भीड़ जुट गई. इसके बाद शव को मॉर्चरी हाउस में रख दिया गया. शनिवार को उसका पोस्टमार्टम मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में हुआ. पोस्टमार्टम के बाद शव को उसके पैतृक गांव पनसो ले जाया गया. जहां बड़ी संख्या में लोग उसके जनाजा में शामिल होकर उसे सुपुर्द ए खाक किया.