गुमलाः 1971 के भारत-पाक युद्ध में शामिल रहे जवान जयपाल नायक को जिला प्रेस एसोसिएशन ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया. इस दौरान उन्होंने अपने युद्ध के अनुभव को साझा किया. उन्होंने कहा कि आज भी उनमें वही जोश बाकी है. वहीं जवानों के प्रत्ति प्रशासनिक उदासीनता को लेकर वो थोड़े दुखी दिखे.
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भारत-पाक के बीच 1971 में हुए युद्ध में शामिल जवान जयपाल नायक को उनके डुमरडीह स्थित आवास जाकर जिला प्रेस एसोसिएशन के सदस्यों ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया. इस अवसर पर जयपाल नायक ने कहा कि आज भी उनकी भुजाएं युद्ध में बंदुक उठाने के लिए फड़फड़ा रही हैं. उन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध को याद करते हुए कहा कि वे युद्ध काल में लगातार 14 दिन पैदल चले और इस दौरान उनकी टुकड़ी के 17 जवान शहीद हो गये. जिसमें गुमला के एक जवान पुगु निवासी चामू उरांव शामिल हैं. जयपाल नायक ने कहा कि साथियों के वीरगति प्राप्त होने के बाद भी उनका हौसला कम नहीं हुआ और पाक के कई सैनिकों को उनकी टुकड़ी ने मार गिराया.
उन्होंने कहा कि 1971 का भारत-पाक युद्ध देश के वीर शहीदों की शौर्य गाथा की कहानी बयां करती है. जब दुश्मन देश के 93 हजार सैनिकों ने घुटने टेक दिये और पाकिस्तान के दो टुकडे हो गये. जयपाल नायक ने कहा कि वे 6 बिहार रेजिमेंट में बहाल हुए थे. उन्होंने 1965 और 1971 दोनों युद्धों में भाग लिया. उन्हें 11 मेडल भी मिला है. उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान वे सूखा खाना खाते थे. गांवों में लोग सैनिकों को भोजन बनाकर खिलाते थे.
जयपाल नायक ने कहा कि गुमला जिला प्रशासन वीर सैनिकों को भूल गई है और उनके सम्मान में कभी कार्यक्रम आयोजित नहीं करती है. इस अवसर पर रमेश पांडेय, दुर्जय पासवान, दीपक राम काजू, भोला चौधरी, किशोर जायसवाल, अनिल सिंह, रूपेश भगत, मुकेश सोनी सहित कई लोग उपस्थित थे.