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लॉकडाउन में लाल हुईं हरी सब्जियां, महंगाई से लोगों के बजट पर गहरा असर

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Published : Jul 20, 2020, 4:55 PM IST

कोरोना महामारी में महंगाई कमर तोड़ती नजर आ रही है. सब्जियां इतनी महंगी हो गई है कि लोग एक बार बनी सब्जी तीन टाइम खाने को मजबूर हैं. गुमला के लोगों ने कहा कि महंगाई इतनी बढ़ गई है कि उन्होंने सब्जी खाना ही कम कर दिया है.

Inflation of vegetables during lockdown in Gumla
कोरोना का काल में महंगाई से लाल हुई हरी सब्जियां

गुमला: जिले के लोग इन दिनों हरी सब्जियों की महंगाई के कारण झोली भर कर सब्जियां अपने घर नहीं ले जा पा रहे हैं, क्योंकि सब्जियों के दाम चरम पर हैं. कोरोना काल में भीड़ से खुद को बचते बचाते किसी तरह सब्जी बाजार तो पहुंच रहे हैं, मगर सब्जियों के भाव पता चलते ही उन्हें मायूस होना पड़ रहा है.

फिलहाल गुमला सब्जी बाजार में सब्जियों का जो मूल्य है उसमें टमाटर 70 से 80 रुपये प्रति किलो, आलू 35 से 40 रुपये, फूलगोभी 60, हरा बैगन 40, नीला बैगन 60, बोदी 40, शिमला मिर्च 80 और मूली 30 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि महंगाई के कारण सब्जियां खाना कम हो गया है. पहले घरों में तीन से चार प्रकार की सब्जियां बनती थीं, मगर अब एक सब्जी भी बनाना ही बहुत मुश्किल हो रहा है. क्योंकि सब्जियों की महंगाई चरम पर है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन की बोझ तले दबते कुली, नहीं भर पा रहे परिवार का पेट

महिला ग्राहक ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण घरों से कम ही निकलना होता है. तीन-चार दिन में एक बार निकलते हैं. जिसके बाद जरूरतों के सामान की खरीदारी करते हैं. जिसमें सब्जियां भी शामिल हैं. मगर सब्जियां इतनी महंगी हैं कि अब किसी भी सब्जी को एक किलो की जगह 250 ग्राम ही खरीदते हैं. अगर घर पर एक प्रकार की सब्जी बनी, तो वह सुबह से लेकर रात तक चलानी पड़ती है. उसमें भी आलू डालना पड़ता है.

सब्जी विक्रेताओं ने बताया कि सब्जियों की महंगाई के कारण उन्हें इन दिनों काफी घाटा हो रहा है. लोग घरों से कम निकल रहे हैं, कुछ सब्जी खरीदने वाले आते भी हैं, तो जितनी जरूरत होती है. उसकी एक चौथाई ही सब्जियों की खरीदारी करते हैं. ऐसे में रोजाना जहां हम लोग पहले पांच हजार से छह हजार की बिक्री कर लेते थे. वह अब घटकर दो से तीन हजार हो गई है. कई बार ऐसा होता है कि सब्जियां नहीं बिकती हैं तो फिर उसे फेंकना पड़ता है, क्योंकि हरी सब्जियां जल्द ही बर्बाद होती हैं और इसे बचाने के लिए हमारे पास स्टोर करने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है.

गुमला: जिले के लोग इन दिनों हरी सब्जियों की महंगाई के कारण झोली भर कर सब्जियां अपने घर नहीं ले जा पा रहे हैं, क्योंकि सब्जियों के दाम चरम पर हैं. कोरोना काल में भीड़ से खुद को बचते बचाते किसी तरह सब्जी बाजार तो पहुंच रहे हैं, मगर सब्जियों के भाव पता चलते ही उन्हें मायूस होना पड़ रहा है.

फिलहाल गुमला सब्जी बाजार में सब्जियों का जो मूल्य है उसमें टमाटर 70 से 80 रुपये प्रति किलो, आलू 35 से 40 रुपये, फूलगोभी 60, हरा बैगन 40, नीला बैगन 60, बोदी 40, शिमला मिर्च 80 और मूली 30 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि महंगाई के कारण सब्जियां खाना कम हो गया है. पहले घरों में तीन से चार प्रकार की सब्जियां बनती थीं, मगर अब एक सब्जी भी बनाना ही बहुत मुश्किल हो रहा है. क्योंकि सब्जियों की महंगाई चरम पर है.

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महिला ग्राहक ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण घरों से कम ही निकलना होता है. तीन-चार दिन में एक बार निकलते हैं. जिसके बाद जरूरतों के सामान की खरीदारी करते हैं. जिसमें सब्जियां भी शामिल हैं. मगर सब्जियां इतनी महंगी हैं कि अब किसी भी सब्जी को एक किलो की जगह 250 ग्राम ही खरीदते हैं. अगर घर पर एक प्रकार की सब्जी बनी, तो वह सुबह से लेकर रात तक चलानी पड़ती है. उसमें भी आलू डालना पड़ता है.

सब्जी विक्रेताओं ने बताया कि सब्जियों की महंगाई के कारण उन्हें इन दिनों काफी घाटा हो रहा है. लोग घरों से कम निकल रहे हैं, कुछ सब्जी खरीदने वाले आते भी हैं, तो जितनी जरूरत होती है. उसकी एक चौथाई ही सब्जियों की खरीदारी करते हैं. ऐसे में रोजाना जहां हम लोग पहले पांच हजार से छह हजार की बिक्री कर लेते थे. वह अब घटकर दो से तीन हजार हो गई है. कई बार ऐसा होता है कि सब्जियां नहीं बिकती हैं तो फिर उसे फेंकना पड़ता है, क्योंकि हरी सब्जियां जल्द ही बर्बाद होती हैं और इसे बचाने के लिए हमारे पास स्टोर करने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है.

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