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स्कूल में बच्चियों के सिर पर पानी का बोझ, कैसे आगे बढ़ेगा झारखंड

जिले के घाघरा क्षेत्र के तुसगांव में आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय के बच्चियों से पानी भरवाने का काम करवाया जा रहा है. स्कूल में किसी भी तरह के पानी की व्यवस्था नहीं है, इसलिए मजबूरी में पढ़ने आई बच्चियों को ही पानी लाना पड़ता है.

बाहर से पानी लाती बच्चियां
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Published : Sep 18, 2019, 8:05 PM IST

गुमला: जंगलों और पहाड़ों में रहकर अपनी आजीविका चलाने वाले विलुप्त प्राय आदिम जनजाति के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए कल्याण विभाग द्वारा संपोषित आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय चलाया रहा है. स्कूल के संचालन का जिम्मा विकास भारती एनजीओ को दिया गया है. मगर जिले के घाघरा प्रखंड क्षेत्र के तुसगांव आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली छोटी-छोटी बच्चियों की स्थिति काफी दयनीय है.

वीडियों में देखिए पूरी खबर

स्कूल में पढ़ाने के बजाए बच्चियों दैनिक कार्यों के लिए पानी भरवाया जा रहा है. सरकार लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर इन बच्चियों को सुविधा मुहैया करवाने का दावा करती है फिर भी पढ़ने पहुंची बच्चियां से पानी भरवाया जाता है. अब ऐसे में इसे शिक्षा का अधिकार अधिनियम और बाल श्रम कानून दोनों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है.

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शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन

आपको बता दें कि विकास भारती वही एनजीओ है जिस के सचिव को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. लेकिन अब इसी एनजीओ के द्वारा संचालित आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय की छोटी-छोटी बच्चियों से उनके शिक्षा का अधिकार अधिनियम का एवं बाल श्रम का खुला उल्लंघन किया जा रहा है.

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विद्यालय में पढ़ने वाली बच्चियों से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हर रोज वह बाल्टी लेकर चापाकल जाती हैं और फिर वहां से पानी भर कर वापस स्कूल आती हैं.

पानी की नहीं है कोई व्यवस्था

प्रधानाध्यापक ने कहा कि विद्यालय में पानी की सुविधा नहीं है. जिसके चलते शौचालय, स्नान एवं अन्य कार्यों के लिए बच्चियां प्रत्येक दिन पानी लाती हैं. वहीं, इस संबंध में जब जिला कल्याण पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जिले में जितने भी आवासीय विद्यालय हैं सभी कल्याण विभाग के ही हैं. कुछ विद्यालय का संचालन विभाग कर रही है जबकि कुछ विद्यालयों का संचालन एनजीओ द्वारा किया जा रहा है.

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विकास भारती एनजीओ करता है संचालन

प्रधानाध्यापक का कहना है कि घाघरा प्रखंड में जो आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय है उसको विकास भारती नाम का एनजीओ संचालित कर रहा है. उन विद्यालयों में भी वही सुविधाएं हैं जो कल्याण विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों में है. जब उनसे आदिम जनजाति की बच्चियों से पानी भरवाने पर सवाल किया गया तो उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही.

गुमला: जंगलों और पहाड़ों में रहकर अपनी आजीविका चलाने वाले विलुप्त प्राय आदिम जनजाति के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए कल्याण विभाग द्वारा संपोषित आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय चलाया रहा है. स्कूल के संचालन का जिम्मा विकास भारती एनजीओ को दिया गया है. मगर जिले के घाघरा प्रखंड क्षेत्र के तुसगांव आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली छोटी-छोटी बच्चियों की स्थिति काफी दयनीय है.

वीडियों में देखिए पूरी खबर

स्कूल में पढ़ाने के बजाए बच्चियों दैनिक कार्यों के लिए पानी भरवाया जा रहा है. सरकार लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर इन बच्चियों को सुविधा मुहैया करवाने का दावा करती है फिर भी पढ़ने पहुंची बच्चियां से पानी भरवाया जाता है. अब ऐसे में इसे शिक्षा का अधिकार अधिनियम और बाल श्रम कानून दोनों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है.

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शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन

आपको बता दें कि विकास भारती वही एनजीओ है जिस के सचिव को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. लेकिन अब इसी एनजीओ के द्वारा संचालित आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय की छोटी-छोटी बच्चियों से उनके शिक्षा का अधिकार अधिनियम का एवं बाल श्रम का खुला उल्लंघन किया जा रहा है.

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विद्यालय में पढ़ने वाली बच्चियों से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हर रोज वह बाल्टी लेकर चापाकल जाती हैं और फिर वहां से पानी भर कर वापस स्कूल आती हैं.

पानी की नहीं है कोई व्यवस्था

प्रधानाध्यापक ने कहा कि विद्यालय में पानी की सुविधा नहीं है. जिसके चलते शौचालय, स्नान एवं अन्य कार्यों के लिए बच्चियां प्रत्येक दिन पानी लाती हैं. वहीं, इस संबंध में जब जिला कल्याण पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जिले में जितने भी आवासीय विद्यालय हैं सभी कल्याण विभाग के ही हैं. कुछ विद्यालय का संचालन विभाग कर रही है जबकि कुछ विद्यालयों का संचालन एनजीओ द्वारा किया जा रहा है.

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विकास भारती एनजीओ करता है संचालन

प्रधानाध्यापक का कहना है कि घाघरा प्रखंड में जो आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय है उसको विकास भारती नाम का एनजीओ संचालित कर रहा है. उन विद्यालयों में भी वही सुविधाएं हैं जो कल्याण विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों में है. जब उनसे आदिम जनजाति की बच्चियों से पानी भरवाने पर सवाल किया गया तो उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही.

Intro:Day plan story

गुमला : जंगलों पहाड़ों में रहकर अपनी आजीविका चलाने वाले विलुप्त प्राय आदिम जनजाति के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए कल्याण विभाग द्वारा संपोषित आदिम जनजाति आवासीय विद्यालयों को संचालन करने के लिए विकास भारती नामक एक एनजीओ को दी गई है । मगर गुमला जिला के घाघरा प्रखंड क्षेत्र के तुसगांव आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली छोटी-छोटी आदिम जनजातियों की बच्चियों से उनके दैनिक कार्यों के लिए पानी भरवाया जा रहा है । जबकि इन छोटी छोटी बच्चियों की सुविधाओं के लिए सूबे की सरकार एनजीओ से लाखों करोड़ों रुपए का करार किया होगा । बावजूद इसके बच्चियां स्कूल से बाहर दूर जाती है और फिर वहां से बाल्टी भर कर पानी लेकर वापस स्कूल आती है । अब ऐसे में यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम एवं बाल श्रम कानून दोनों का एनजीओ विकास भारती के द्वारा खुला उल्लंघन किया जा रहा है ।


Body:आपको बता दें कि विकास भारती वही एनजीओ है जिस के सचिव को पद्मश्री के सम्मान से सम्मानित किया गया है । एनजीओ विकास भारती का गुमला जिला के बिशुनपुर प्रखंड मुख्यालय में ही मुख्यालय है । जहां सालों भर सूबे के मंत्री और विधायक आते रहते हैं । विकास भारती के द्वारा सूबे के कई जिलों में सरकार की सहायता से कार्य किए जा रहे हैं । मगर जिस तरह से इस एनजीओ के द्वारा संचालित आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय की छोटी-छोटी बच्चियों से उनके शिक्षा का अधिकार अधिनियम का एवं बाल श्रम का खुला उल्लंघन किया जा रहा है उससे तो यही लगता है कि इस एनजीओ को न तो कानून का डर है और ना ही सरकार का ।
विद्यालय में पढ़ने वाली बच्चों से जब पूछा गया तो बच्चों ने बताया कि हर रोज वह बाल्टी लेकर चापाकल जाती है और फिर वहां से पानी भर कर वापस स्कूल आती हैं ।


Conclusion: विद्यालय की प्रधानाध्यापिका से जब इस मामले पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह विद्यालय कल्याण विभाग द्वारा संपोषित है । जिसे विकास भारती 2008 से संचालित कर रही है । उन्होंने कहा कि विद्यालय में पानी की सुविधा नहीं है । जिसके चलते शौचालय , स्नान एवं अन्य कार्यों के लिए बच्चियां अपने उपयोग के लिए प्रत्येक दिन पानी लाती हैं ।
वहीं इस संबंध में जब जिला कल्याण पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जिले में जितने भी आवासीय विद्यालय हैं वह सब कल्याण विभाग का ही है ।।कुछ विद्यालय का संचालन विभाग कर रही है जबकि कुछ विद्यालयों का एनजीओ के द्वारा किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि घाघरा प्रखंड में जो आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय है उसको विकास भारती नामक एनजीओ के द्वारा संचालित किया जा रहा है ।।उन विद्यालयों में भी वही सुविधाएं हैं जो कल्याण विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों में है।
। मगर जब उनसे आदिम जनजाति की बच्चियों से रोजाना पानी भरने का सवाल किया गया तो उनका माथा पहले तो शर्म से झुक गया । बाद में उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही ।

बाईट _vis01b_एतवारी कुमारी ( छात्रा )
बाईट _vis01c_सोनमणि कुमारी ( छात्रा )
बाईट _vis01d_सोनी कुमारी टोप्पो ( प्रधानाध्यापिका , आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय तुसगांव ,घाघरा )
बाईट _vis01e_ बी.के.सिन्हा ( जिला कल्याण पदाधिकारी ,गुमला )
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