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गुमला में शहीद हुए डॉग 'द्रोण' का गार्ड ऑफ ऑनर देकर किया गया अंतिम संस्कार, जवानों की जान बचाते-बचाते दी प्राणों की आहुति

गुमला में आईईडी विस्फोट में शहीद हुए कोबरा बटालियन के डॉग स्क्वाड का 'द्रोण' का अंतिम संस्कार हजारीबाग के बरही में सीआरपीएफ 203 कोबरा बटालियन परिसर में किया गया. इससे पहले उसे गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया.

Tribute to Martyr 'Drone'
शहीद 'द्रोन' को श्रद्धांजलि
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Published : Jul 15, 2021, 10:03 AM IST

हजारीबाग: ऐसा माना जाता है कि कुत्ता इंसान का सबसे अच्छा और वफादार दोस्त होता है. ये अपनी मालिक की सेवा बड़े ईमानदारी और वफादारी के साथ करता है और मालिक पर कोई मुसीबत आए तो अपनी जान की बाजी भी लगा देता है. ऐसी ही एक घटना से गुमला से सामने आई है जहां सुरक्षाबलों के साथ नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में लगा डॉग द्रोण कोबरा बटालियन की टीम को एक शक्तिशाली आईईडी ब्लास्ट से बचाते हुए खुद शहीद हो गया.

ये भी पढ़ें- IED ब्लास्ट में ग्रामीण की मौत, एक दिन पहले विस्फोटक ढूंढने में माहिर श्वान हुआ शहीद

डॉग द्रोण को दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर

आईईडी विस्फोट में शहीद हुए डॉग द्रोण को सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देने के बाद उसका अंतिम संस्कार किया. शहीद द्रोण का अंतिम संस्कार निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार बरही में 203 कोबरा बटालियन परिसर मे किया गया. इस दौरान कोबरा बटालियन के कई अधिकारी और जवान मौजूद थे, जिन्होंने शहीद डॉग 'द्रोण' को अंतिम विदाई दी.

आईईडी विस्फोट में शहीद हुआ डॉग 'द्रोण'

दरअसल गुमला के कुरूमगढ़ स्थित जंगल में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान आइइडी ब्लास्ट में डॉग द्रोण की मौत हो गई थी. उसे शहीद का दर्जा दिया गया. द्रोण ने अपनी जान पर खेलकर अपने साथ चल रहे जवानों की जान बचाई.

2015 में बटालियन में हुआ था तैनात

बताया जाता है कि डॉग द्रोण (Belgian Shepherd) छह साल और नौ महीने की उम्र में 27 दिसंबर 2015 को 203 कोबरा बटालियन में तैनात किया गया था. जिसके बाद उसने कई अभियानों में सुरक्षाबलों की मदद की थी. द्रोण कोबरा बटालियन 203 के डॉग स्क्वॉड (Dog Squad) टीम का आईईडी स्पेशल था और सीआरपीएफ कोबरा बटालियन का काफी चहेता था. द्रोण के कारण सुरक्षाबलों को कई बड़ी सफलताएं मिली हैं. शहीद होने के पहले डॉग द्रोण ने राज्य के लगभग सभी हिस्सों में 73 नक्सल अभियानों में भाग लिया. पिछले 7 अप्रैल 2016 को पारसनाथ क्षेत्र में 40 किलोग्राम विस्फोटक के 4 कंटेनर, डेटोनेटर, कॉर्टेक्स, मोबाइल फोन, वॉकी टॉकी, जीपीएस की बरामदगी भी द्रोण ने ही करवाई थी. बरही में 203 कोबरा वाहिनी सब इंस्पेक्टर सह पीआरओ पंकज कुमार यादव ने बताया कि द्रोण के शहीद होने से सुरक्षाबलों को नुकसान हुआ है और उसकी कमी हमेशा खलेगी.

हजारीबाग: ऐसा माना जाता है कि कुत्ता इंसान का सबसे अच्छा और वफादार दोस्त होता है. ये अपनी मालिक की सेवा बड़े ईमानदारी और वफादारी के साथ करता है और मालिक पर कोई मुसीबत आए तो अपनी जान की बाजी भी लगा देता है. ऐसी ही एक घटना से गुमला से सामने आई है जहां सुरक्षाबलों के साथ नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में लगा डॉग द्रोण कोबरा बटालियन की टीम को एक शक्तिशाली आईईडी ब्लास्ट से बचाते हुए खुद शहीद हो गया.

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डॉग द्रोण को दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर

आईईडी विस्फोट में शहीद हुए डॉग द्रोण को सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देने के बाद उसका अंतिम संस्कार किया. शहीद द्रोण का अंतिम संस्कार निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार बरही में 203 कोबरा बटालियन परिसर मे किया गया. इस दौरान कोबरा बटालियन के कई अधिकारी और जवान मौजूद थे, जिन्होंने शहीद डॉग 'द्रोण' को अंतिम विदाई दी.

आईईडी विस्फोट में शहीद हुआ डॉग 'द्रोण'

दरअसल गुमला के कुरूमगढ़ स्थित जंगल में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान आइइडी ब्लास्ट में डॉग द्रोण की मौत हो गई थी. उसे शहीद का दर्जा दिया गया. द्रोण ने अपनी जान पर खेलकर अपने साथ चल रहे जवानों की जान बचाई.

2015 में बटालियन में हुआ था तैनात

बताया जाता है कि डॉग द्रोण (Belgian Shepherd) छह साल और नौ महीने की उम्र में 27 दिसंबर 2015 को 203 कोबरा बटालियन में तैनात किया गया था. जिसके बाद उसने कई अभियानों में सुरक्षाबलों की मदद की थी. द्रोण कोबरा बटालियन 203 के डॉग स्क्वॉड (Dog Squad) टीम का आईईडी स्पेशल था और सीआरपीएफ कोबरा बटालियन का काफी चहेता था. द्रोण के कारण सुरक्षाबलों को कई बड़ी सफलताएं मिली हैं. शहीद होने के पहले डॉग द्रोण ने राज्य के लगभग सभी हिस्सों में 73 नक्सल अभियानों में भाग लिया. पिछले 7 अप्रैल 2016 को पारसनाथ क्षेत्र में 40 किलोग्राम विस्फोटक के 4 कंटेनर, डेटोनेटर, कॉर्टेक्स, मोबाइल फोन, वॉकी टॉकी, जीपीएस की बरामदगी भी द्रोण ने ही करवाई थी. बरही में 203 कोबरा वाहिनी सब इंस्पेक्टर सह पीआरओ पंकज कुमार यादव ने बताया कि द्रोण के शहीद होने से सुरक्षाबलों को नुकसान हुआ है और उसकी कमी हमेशा खलेगी.

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